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बूंदी: सालों से अटकी पड़ी है रामगढ़ टाइगर रिजर्व की फाइल, राजनीतिक रसूखदारों की चढ़ रही भेंट

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Published : Aug 6, 2020, 11:08 PM IST

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण प्रदेश का सबसे पुराना अभ्यारण्य है, लेकिन यहां कमी है तो बस बाघ की. यहां का टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट राजनीति रसूखदारों की भेंट चढ़ रहा है. हालांकि रणथंभोर से एक टाइगर यहां आया लेकिन उसे इंतजार है बाघिन का.

बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य, Bundi's Ramgarh Sanctuary
रामगढ़ अभ्यारण

बूंदी. रामगढ़ विषधारी अभ्यारण को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव सरकार के पास अभी भी पेंडिंग है. जिस पर मुहर नहीं लगी है, रामगढ़ अभ्यारण में रणथंभौर से आया टाइगर दहाड़ भी रहा है. वह टेरिटरी बनने में जुटा है पर बाघिन नहीं आएगी तो पिछले बाघों की तरह वह भी रणथंभौर लौट जाएगा.

रामगढ़ अभ्यारण कब बनेगा टाइगर रिजर्व ?

बाघिन के लिए वन्य जीव अभ्यारण्य से जुड़े अधिकारी सरकारी आदेशों का इंतजार कर रहे हैं. रामगढ़ अभ्यारण्य के जंगलों में सांभर, चीतल, जंगली सूअरों, शाकाहारी वन्य जीव की तादाद अच्छी खासी है. टाइगर की सुरक्षा के इंतजाम भी स्थानीय स्तर पर पुख्ता हैं. लेकिन इसके बावजूद टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट राजनीति रसूखदारों की भेंट चढ़ रहा है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
अभ्यारण में टाइग्रेस की कमी

रणथंभौर में बाघों की वजह से सालाना करोड़ों रुपए की टूरिज्म इंडस्ट्री खड़ी हो चुकी है. साथ ही 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. छोटे-बड़े 300 होटल हैं और इनमें 2 हजार से अधिक रूम हैं. 500 और नए रूम बनने जा रहे हैं. बड़े होटल के कमरों का किराया 1 हजार से 10 हजार तक हैं. वहीं, 1 हजार से ज्यादा जिप्सी कार रजिस्टर हैं. लगातार पर्यटन को विस्तार मिल रहा है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
बाघ

पढ़ेंः Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया गया था. जिस मौक पर वन्यजीव प्रेमियों का कहना था कि स्थानीय राजनेता आपसी टांग खिंचाई की बजाय, रामगढ़ को टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पारित कराने और जल्द बाघिन लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएं. टाइगर रिजर्व घोषणा के बावजूद भी प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़े हैं. इसके पिछे वजह है कि राजनेता और रसूखदार लोगों के रणथंबोर क्षेत्र में आलीशान होटल हैं वे नहीं चाहते कि बूंदी में बाघ आए और विदेशी टूरिस्ट रणथंभौर की बजाय बूंदी में जाए.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
रामगढ़ अभ्यारण की खूबसूरती

रामगढ़ अभ्यारण में वन्यजीवों की अच्छी संख्या

जानकारी के अनुसार 1982 में बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण और 2019 में टाइगर रिजर्व घोषित हुआ था. कुल अभयारण्य 800 वर्ग किमी में फैला हुआ है, लेकिन 307 वर्ग किमी इलाके में ही टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला हुआ है. एक तरफ रणथंभोर है तो दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व है. टाइगर रिजर्व में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, हाईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्य जीव मौजूद हैं. रणथंभोर से ज्यादा खूबसूरत बाघो के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
रामगढ़ अभ्यारण

पढ़ेंः Special : कजली तीज पर कोरोना का 'ग्रहण'...पहली बार नहीं होगा ऐतिहासिक मेले का आयोजन

रणथंभौर से ज्यादा वैरायटी के पेड़ पौधे रामगढ़ अभ्यारण्य में है. बता दें कि साल 2007 में 19 तक के तीन बाघ आए थे. पर तीनों ही लौट गए. 2007 में बाघ का राजा युवराज लौटते समय लाखेरी के पास में नदी की कंदारो में शिकारियों के हत्थे चढ़ गया था. 5 साल बाद T62 आया. जो कुछ महीने तक रामगढ़ अभ्यारण्य में रहकर वापस लौट गया. साल 2017 में T91 साल भर तक रामगढ़ अभ्यारण्य में रहा और तत्कालीन बीजेपी सरकार के आदेश के अनुसार कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स में इस बाघ को शिफ्ट कर दिया गया और इस बाघ का T91 की जगह MT1 नाम रखकर शिफ्ट कर दिया गया.

पढ़ेंः Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

वर्तमान में T115 रामगढ़ अभ्यारण्य और टी 110 लाखेरी के जंगलों में करीब साल भर से घूम रहे हैं और बाघिन नहीं आई तो यह भी वापस लौट जाएंगे, लेकिन वन्य जीव प्रेमी का कहना है कि इन दोनों टाइगरों के रहने के दौरान ही टाइगर रिजर्व घोषित होने के साथ बाघिन आ जाए तो इन दोनों की टेरिटरी बना कर इन्हें यहीं पर ही रोका जा सकता है.

रणथंभौर से लेने थे 6 बाघ, लेकिन आदेश नहीं हुए जारी

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से 6 बाघों को बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में शिफ्ट करने की अनुमति दी गई थी. स्टेट वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारियों ने कहा था कि जनवरी 2020 में रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य में दो टाइगर रिजर्व शिफ्ट करना था, लेकिन मामला दस्तावेजों में अटका है. वैसे रामगढ़ अभ्यारण्य में दो बाघों को शिफ्ट करना दो दशकों से चल रहा है पर मुहर मंजूरी नहीं मिली है. रामगढ़ के जंगलों को 1982 में वन्य जीव अभ्यारण्य का दर्जा मिला था. अभ्यारण्य में 1985 में बाघों की घटती संख्या इतनी हुई की 1999 आते-आते एक ही बाघ बचा था. मुख्यमंत्री ने पिछले बजट में प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा की थी.

बूंदी के बाद बने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ सुरक्षित नहीं

बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण्य में सबसे अधिक समय तक T91 बाघ रहा और उसका मूवमेंट बूंदी जिले के हर इलाके में रहा. ऐसे में उसे सरकार की मंशा के अनुसार कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया. हाल ही में वहां दो टाइगर की मौत होने की खबर सामने आई है. वन विभाग से जुड़े कर्मचारी और वन्यजीव प्रतिपालक मानते थे कि मुकुंदरा टाइगर हिल्स, टाइगर के लिए सुरक्षित नहीं होगा और यही कारण रहा कि यहां दो टाइगर की मौत हो गई.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का एकमात्र मंदिर जहां पर है पारे का शिवलिंग, एक बार पूजा करने पर हो जाती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण

ऐसे में बूंदी का टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभ्यारण्य को ही वन्यजीव से जुड़े लोग सुरक्षित मानते हैं. प्रतिपालक पृथ्वी सिंह का कहना है कि सरकार ने बजट घोषणा में रामगढ़ को टाइगर रिजर्व और बाघ देने की बात कही थी. रामगढ़ अभ्यारण्य में अभी बाघ मौजूद हैं. सिर्फ सरकार चाहे तो इसके प्रोजेक्ट की फाइल को आगे बढ़ा सकती है. बूंदी जिले के नेता और जनता को दबाव बनाना चाहिए ताकि जल्द से जल्द बूंदी में बाघिन आ सके. जिससे यहां भी पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

बूंदी. रामगढ़ विषधारी अभ्यारण को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव सरकार के पास अभी भी पेंडिंग है. जिस पर मुहर नहीं लगी है, रामगढ़ अभ्यारण में रणथंभौर से आया टाइगर दहाड़ भी रहा है. वह टेरिटरी बनने में जुटा है पर बाघिन नहीं आएगी तो पिछले बाघों की तरह वह भी रणथंभौर लौट जाएगा.

रामगढ़ अभ्यारण कब बनेगा टाइगर रिजर्व ?

बाघिन के लिए वन्य जीव अभ्यारण्य से जुड़े अधिकारी सरकारी आदेशों का इंतजार कर रहे हैं. रामगढ़ अभ्यारण्य के जंगलों में सांभर, चीतल, जंगली सूअरों, शाकाहारी वन्य जीव की तादाद अच्छी खासी है. टाइगर की सुरक्षा के इंतजाम भी स्थानीय स्तर पर पुख्ता हैं. लेकिन इसके बावजूद टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट राजनीति रसूखदारों की भेंट चढ़ रहा है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
अभ्यारण में टाइग्रेस की कमी

रणथंभौर में बाघों की वजह से सालाना करोड़ों रुपए की टूरिज्म इंडस्ट्री खड़ी हो चुकी है. साथ ही 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. छोटे-बड़े 300 होटल हैं और इनमें 2 हजार से अधिक रूम हैं. 500 और नए रूम बनने जा रहे हैं. बड़े होटल के कमरों का किराया 1 हजार से 10 हजार तक हैं. वहीं, 1 हजार से ज्यादा जिप्सी कार रजिस्टर हैं. लगातार पर्यटन को विस्तार मिल रहा है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
बाघ

पढ़ेंः Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया गया था. जिस मौक पर वन्यजीव प्रेमियों का कहना था कि स्थानीय राजनेता आपसी टांग खिंचाई की बजाय, रामगढ़ को टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पारित कराने और जल्द बाघिन लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएं. टाइगर रिजर्व घोषणा के बावजूद भी प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़े हैं. इसके पिछे वजह है कि राजनेता और रसूखदार लोगों के रणथंबोर क्षेत्र में आलीशान होटल हैं वे नहीं चाहते कि बूंदी में बाघ आए और विदेशी टूरिस्ट रणथंभौर की बजाय बूंदी में जाए.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
रामगढ़ अभ्यारण की खूबसूरती

रामगढ़ अभ्यारण में वन्यजीवों की अच्छी संख्या

जानकारी के अनुसार 1982 में बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण और 2019 में टाइगर रिजर्व घोषित हुआ था. कुल अभयारण्य 800 वर्ग किमी में फैला हुआ है, लेकिन 307 वर्ग किमी इलाके में ही टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला हुआ है. एक तरफ रणथंभोर है तो दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व है. टाइगर रिजर्व में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, हाईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्य जीव मौजूद हैं. रणथंभोर से ज्यादा खूबसूरत बाघो के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है.

बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण , Bundi's Ramgarh Sanctuary
रामगढ़ अभ्यारण

पढ़ेंः Special : कजली तीज पर कोरोना का 'ग्रहण'...पहली बार नहीं होगा ऐतिहासिक मेले का आयोजन

रणथंभौर से ज्यादा वैरायटी के पेड़ पौधे रामगढ़ अभ्यारण्य में है. बता दें कि साल 2007 में 19 तक के तीन बाघ आए थे. पर तीनों ही लौट गए. 2007 में बाघ का राजा युवराज लौटते समय लाखेरी के पास में नदी की कंदारो में शिकारियों के हत्थे चढ़ गया था. 5 साल बाद T62 आया. जो कुछ महीने तक रामगढ़ अभ्यारण्य में रहकर वापस लौट गया. साल 2017 में T91 साल भर तक रामगढ़ अभ्यारण्य में रहा और तत्कालीन बीजेपी सरकार के आदेश के अनुसार कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स में इस बाघ को शिफ्ट कर दिया गया और इस बाघ का T91 की जगह MT1 नाम रखकर शिफ्ट कर दिया गया.

पढ़ेंः Special Report: कोरोना काल में दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ते बूंदी के बैंककर्मी

वर्तमान में T115 रामगढ़ अभ्यारण्य और टी 110 लाखेरी के जंगलों में करीब साल भर से घूम रहे हैं और बाघिन नहीं आई तो यह भी वापस लौट जाएंगे, लेकिन वन्य जीव प्रेमी का कहना है कि इन दोनों टाइगरों के रहने के दौरान ही टाइगर रिजर्व घोषित होने के साथ बाघिन आ जाए तो इन दोनों की टेरिटरी बना कर इन्हें यहीं पर ही रोका जा सकता है.

रणथंभौर से लेने थे 6 बाघ, लेकिन आदेश नहीं हुए जारी

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से 6 बाघों को बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में शिफ्ट करने की अनुमति दी गई थी. स्टेट वाइल्ड लाइफ से जुड़े अधिकारियों ने कहा था कि जनवरी 2020 में रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य में दो टाइगर रिजर्व शिफ्ट करना था, लेकिन मामला दस्तावेजों में अटका है. वैसे रामगढ़ अभ्यारण्य में दो बाघों को शिफ्ट करना दो दशकों से चल रहा है पर मुहर मंजूरी नहीं मिली है. रामगढ़ के जंगलों को 1982 में वन्य जीव अभ्यारण्य का दर्जा मिला था. अभ्यारण्य में 1985 में बाघों की घटती संख्या इतनी हुई की 1999 आते-आते एक ही बाघ बचा था. मुख्यमंत्री ने पिछले बजट में प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा की थी.

बूंदी के बाद बने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ सुरक्षित नहीं

बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण्य में सबसे अधिक समय तक T91 बाघ रहा और उसका मूवमेंट बूंदी जिले के हर इलाके में रहा. ऐसे में उसे सरकार की मंशा के अनुसार कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया. हाल ही में वहां दो टाइगर की मौत होने की खबर सामने आई है. वन विभाग से जुड़े कर्मचारी और वन्यजीव प्रतिपालक मानते थे कि मुकुंदरा टाइगर हिल्स, टाइगर के लिए सुरक्षित नहीं होगा और यही कारण रहा कि यहां दो टाइगर की मौत हो गई.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का एकमात्र मंदिर जहां पर है पारे का शिवलिंग, एक बार पूजा करने पर हो जाती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण

ऐसे में बूंदी का टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभ्यारण्य को ही वन्यजीव से जुड़े लोग सुरक्षित मानते हैं. प्रतिपालक पृथ्वी सिंह का कहना है कि सरकार ने बजट घोषणा में रामगढ़ को टाइगर रिजर्व और बाघ देने की बात कही थी. रामगढ़ अभ्यारण्य में अभी बाघ मौजूद हैं. सिर्फ सरकार चाहे तो इसके प्रोजेक्ट की फाइल को आगे बढ़ा सकती है. बूंदी जिले के नेता और जनता को दबाव बनाना चाहिए ताकि जल्द से जल्द बूंदी में बाघिन आ सके. जिससे यहां भी पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

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