बूंदी. ऐसा पहली बार हुआ है जब बूंदी जिला पूर्ण रूप से विपक्ष की भुमिका मे रहेगा. इस बार जिले से कोई भी राज्य सरकार मे मंत्री नहीं होगा. इस बार जिले की तीनों सीटों पर से भाजपा का एक भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया. तीनों सीट कांग्रेस के कब्जे में हैं. इसी के चलते इस बार राज्य सरकार के मंत्रिमंडल मे जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकेगा.
इससे पहले सरकार किसी भी दल की हो किसी ना किसी को मंत्रिमंडल मे जगह मिलती रही है. इसको जिले के विकास से भी जोड़कर देखा जा रहा है. जिले से कोई भाजपा विधायक नहीं होने के चलते राज्य सरकार से बजट लाने में अब भाजपा के हारे हुए विधायकों को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी.
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बहुमत हासिल कर भले ही सरकार का गठन कर लिया हो, लेकिन बूंदी मे भाजपा को तीनों सीट से हाथ धोना पड़ा है. इसी वजह से सरकार में इस बार बूंदी को बतौर मंत्री का तमगा नही मिल पाएगा. जिले की बूंदी, हिडोंली व केशोरायपाटन सीट से कांग्रेस के विधायक चुनकर आए हैं. इसका मलाल बूंदी भाजपा को रहेगा कि राज्य में सरकार भाजपा की बन गयी, लेकिन जिले में एक भी विधायक भाजपा का नहीं है.
हर सरकार में रहा बूंदी का मंत्री : जिले में यह पहली बार होगा जब राज्य सरकार मे बतौर मंत्री कोई नही होगा. इससे पहले सरकार किसी की भी रही हो किसी ना किसी विधायक को मंत्रिमंडल मे जगह मिलती आई है. पहले भाजपा व कांग्रेस के विधायक बनते आए हैं. इसके चलते जिस भी पार्टी की सरकार बनती तब उस विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही है. भाजपा सरकार में जिले से बाबू लाल वर्मा दो बार मंत्री रह चुके हैं, जबकि गहलोत सरकार में कांग्रेस के अशोक चांदना मंत्री रहे हैं.
बूंदी जिला आजादी से ही राजनीति में काफी सशक्त माना जाता है. लंबे समय तक जिले मे कांग्रेस का दबदबा रहा है. बूंदी से विधायक रहे पंडित बृज सुंदर शर्मा तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं, वे कांग्रेस के काफी सीनयर व नामवर नेता थे. इसके बाद भाजपा के कृष्ण कुमार गोयल शेखावत सरकार मे उद्योग मंत्री रह चुके हैं. बाद के सालों मे कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा वित्त राज्य मंत्री रहे. इसके बाद 2003 व 2013 में भाजपा के केशोरायपाटन से विधायक बाबू लाल वर्मा भाजपा सरकार मे कैबिनेट मंत्री रहे.