बूंदी. जिले में एक निजी स्कूल में छात्र के साथ अमानवीय सलूक किए जाने के मामले में शनिवार को स्कूल में बाल कल्याण समिति एवं पुलिस ने दौरा किया. जहां पुलिस ने घटना की सत्यता जांचने के लिए बच्चे के बयान लिए.
प्रथम दृष्टया यहां खुलासा हुआ है कि घटना में जो आरोप लगाए गए थे, वह टीम के सामने सिद्ध नहीं हो सके. ऐसे में टीम ने माना है कि जो आरोप लगाए गए थे, वे जांच में साबित नहीं हो सके हैं.
बूंदी के देवपुरा रोड़ स्थिति एक निजी स्कूल में गुरुवार को दिव्यांग छात्र के साथ एक शिक्षिका द्वारा अमानवीय तरीके से कृत्य किया गया था. यहां पर स्कूल की शिक्षिका पर आरोप था कि 6 वर्षीय दिव्यांग छात्र राजदीप को बुक पर कवर नहीं चढ़ाने पर छात्र के साथ मारपीट की गई और उसे पानी के टैंक में लटका दिया गया. इस मामले में परिजनों ने जिला कलेक्टर से शिकायत की तो जिला कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच कमेटी बना दी, जिसमें बाल कल्याण समिति और पुलिस थी.
यह भी पढ़ें- निजी स्कूल का घिनौना चेहरा, दिव्यांग बच्चे को शिक्षिका ने पानी के टैंक में फेंका
शनिवार को उसी स्कूल में बाल कल्याण समिति और पुलिस की टीम पहुंची जहां पर स्कूल प्रबंधक सहित पीड़ित छात्र से बात की. इस पर पीड़ित बच्चे ने घटना से पूरी तरह से इंकार कर दिया और कहा कि मुझे कुछ पता नहीं है. ऐसे में टीम ने जिस टैंक में बच्चे को लटकाने के आरोप लगे थे, उस टैंक को खुलवाया और उसकी गहराई को नापा गया. टैंक की गहराई 5 से 7 फीट निकली और 4 फीट पानी टैंक का कम था.
पूरी पड़ताल में टीम के सामने यह साबित हो चुका था कि मामला तथ्यों से परे हैं. ऐसे में टीम के पुलिस अधिकारी रसीद कुरूसी और बाल संरक्षण टीम की शोभा कासट ने बताया कि बच्चे ने जो आरोप लगाए गए थे, उन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है. टीम ने बच्चे के बयान लिए तो प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध लग रहा है और झूठा साबित होते हुए नजर आ रहा है.
यह भी पढ़ें- 12वीं कक्षा की छात्रा ने इमारत से कूदकर की आत्महत्या, पढ़ाई को लेकर स्ट्रेस में होने की जताई जा रही आशंका
जानकारी के लिए आपको बता दें कि बच्चे ने पहले जिला कलेक्टर से वार्ता में टैंक में फेंकने की बात को कबूला था, वहीं मारपीट की बात को भी कबूला था. लेकिन, बाल संरक्षण की टीम व पुलिस की टीम के सामने बच्चे ने अपने बयान बदल दिए.
वहीं दूसरी ओर स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगने के बाद स्कूल प्रबंधन भी पुलिस और बाल संरक्षण टीम की जांच में पूरा सहयोग कर रहा है. आखिर विवाद की मुख्य जड़ क्या है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. टीम ने जिला कलेक्टर को जांच के बाद रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें आरोप लगे तत्व को साबित नहीं करने जैसी बात कही गई है.