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स्पेशल स्टोरीः भगवान देवनारायण के यहां मिलती है जहरीले कीड़े और सांप के रोगों से मुक्ति - bundi news

गुर्जर समाज के लोक देवता देवनारायण की जयंती रविवार को मनाई जाएगी, भगवान देवनारायण पर सर्व समाज की गहरी आस्था है. जहां बूंदी शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर देव डूंगरी गांव की पहाड़ी पर स्थित भगवान देवनारायण गुर्जर समाज में आस्था का केंद्र हैं, जयंती के मौके पर दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और जयंती को मेले के रूप में मनाते हैं.

बूंदी न्यूज, bundi news
देव डूंगरी के देवनारायण भगवान पर गहरी आस्था
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Published : Feb 2, 2020, 12:02 AM IST

बूंदी. राजस्थान में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की जयंती रविवार को बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाएगी. इसको लेकर प्रदेश भर के सभी देवनारायण मंदिरों में विशेष सजावट की गई है और जयंती की सभी तैयारी पूरी कर ली है.

वहीं बूंदी शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर गोगास ग्राम की पहाड़ी पर स्थित देव डूंगरी देवनारायण भगवान के मंदिर पर लोगों की गहरी आस्था है. ये मंदिर यहां करीब 100 वर्षों से स्थापित है और लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

देव डूंगरी के देवनारायण भगवान पर गहरी आस्था

मंदिर में हर वर्ष पूर्णावर्ती और गुर्जर समाज की जयंती के उपलक्ष में अनूठे आयोजन होते हैं. आसपास के ग्रामीण और दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थियों का यहां पर जमावड़ा लगा रहता है और मेले के रूप में यहां भगवान देवनारायण की जयंती मनाई जाती है. जिस भक्तजन कि यहां पर मनोकामना पूरी हो जाती है वह भगवान देवनारायण के मंदिर में महाप्रसादी का आयोजन करते हैं.

मंदिर स्थापित होने की कहानी है प्रचलित

देव डूंगरी स्थित भगवान देवनारायण के यहां स्थापित होने की कहानी बड़ी ही रोचक है. बताया जाता है कि 100 वर्ष पहले भगवान देवनारायण यहां पर जंगल में प्रकट हुए थे और उन्होंने यहां पर अपना स्थान जमा लिया. फिर एक ऋषि मुनि उनकी सेवा करते थे और ऋषि मुनि के एक चेले हुआ करते थे.

ऋषि मुनि ने एक दिन चेले को एक जादुई चीज देते हुए कहा कि मैं कोई से भी रूप में हूं तो मुझे यह जादुई चीज नाक के पास लाकर सूंघा देना, तो आपको एक जादू देखने को मिलेगा. ऐसे में ऋषि मुनि शेर का रूप बन गए और चेले ने उस दृश्य को देखा तो चेला वहां से शेर देख कर भाग गया और पूरे गांव में शेर वाली बात बोल दी.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: कैंसर पर 'विजय' पाएंगे बीकानेर के डॉक्टर, समय रहते चल जाएगा पता

मंदिर के संरक्षक रामकरण गुर्जर बताते हैं कि उस जमाने में राजा शेरों के शिकार किया करते थे और उसी के तहत बूंदी के राजा भी यहां पर शिकार करने के लिए पहुंचे. जहां उन्होंने उसे ही ऋषि मुनि वाले शेर को देखा और उसका शिकार करने लगे तो पहली बंदूक की गोली चली तो सही, लेकिन वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी.

फिर राजा ने दूसरी गोली चलाई तो बंदूक से फिर गोली चली और गोली जमीन पर गिर गई और बंदूक से पानी निकलने लगा. राजा अपनी बंदूक को देख रहे थे कि शेर वहां से गायब हो गया. ऐसे में राजा ने भी पूरी प्रजा को शेर ढूंढने के लिए लगा दिया, लेकिन शेर नहीं मिल सका.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरीः बिजासन माता मंदिर में आते ही ठीक हो जाता है 'लकवा' रोग...जानें क्या है विधि

ऐसे में राजा को यह बात प्रतीत हुई कि यहां पर भगवान देवनारायण का ही चमत्कार है और पूरी प्रजा को पता लगा कि भगवान देवनारायण यहां पर चमत्कारिक रूप से दर्शन देते हैं. इस पर लोगों की उसी समय से गहरी आस्था चलती हुई आई और राजा ने भगवान देवनारायण के चबूतरे को मंदिर के रूप में बनवा दिया तब से लेकर अब तक यहां पर लोगों की गहरी आस्था रही है.


आस्था का केंद्र देव डूंगरी भगवान देवनारायण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कई वर्षों से भगवान देवनारायण यहां पर लोगों का आस्था का केंद्र बने हुए हैं और दूरदराज से यहां पर लोग आते हैं. पूर्णिमा सहित जयंती के अवसर पर यहां पर अनूठे आयोजन होते हैं. भजन- गीत- नृत्य यहां पर होते हैं और भगवान देवनारायण को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन प्रयासरत रहते हैं.

जहरीले सांप का इलाज मिलता यहां पर

पुजारी ने बताया कि भगवान के दर पर जो जो भी यहां पहुंचा है वह खाली नहीं लौटा. खासतौर पर देवनारायण भगवान जहरीले कीड़े और जहरीले सांप से कटे हुए लोगों के रोगों को दूर करते हैं. साथ में लंबी बीमारी के रोगों को भी दूर करने का काम करते हैं. जो भी बीमार भगवान देवनारायण के दर पर पहुंचा वह रोग मुक्त होकर गया है.

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देव डूंगरी पर और भी है मंदिर

वहीं देव डूंगरी स्थान पर भगवान देवनारायण के अलावा माताजी, शंकर भगवान, हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित है. इसी परिसर में चारों मंदिर अलग-अलग स्थान पर स्थापित हैं और लोग भगवान देवनारायण की जयंती के अवसर पर इन सभी स्थानों के दर्शन करने के लिए उत्साहित रहते हैं. मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है ऐसे में यहां पर जाने के लिए रास्ता सीधा वाहन से भी है और लोग पैदल वाहन से भगवान के दर पर पहुंचकर भगवान के दर्शन करते हैं.

मेले के रूप में मनाते हैं भगवान की जयंती

यहां आज भी देवनारायण जयंती के 1 दिन पूर्व अनूठा आयोजन होता है. आसपास के ग्रामीण और दूरदराज के भक्त भगवान देवनारायण के मंदिर में एकत्रित हुए और भजन गीत गाकर भगवान देवनारायण को प्रसन्न किया. भगवान देवनारायण के गीत गाकर इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया.

बता दें कि देव डूंगरी भगवान देवनारायण का मंदिर बड़ा ही चमत्कारिक मंदिर है. माना जाता है कि यहां पर आयोजन के दौरान एक शख्स के शरीर में भगवान देवनारायण का थानक भी आती है और वह थानक लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है.

बूंदी. राजस्थान में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की जयंती रविवार को बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाएगी. इसको लेकर प्रदेश भर के सभी देवनारायण मंदिरों में विशेष सजावट की गई है और जयंती की सभी तैयारी पूरी कर ली है.

वहीं बूंदी शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर गोगास ग्राम की पहाड़ी पर स्थित देव डूंगरी देवनारायण भगवान के मंदिर पर लोगों की गहरी आस्था है. ये मंदिर यहां करीब 100 वर्षों से स्थापित है और लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

देव डूंगरी के देवनारायण भगवान पर गहरी आस्था

मंदिर में हर वर्ष पूर्णावर्ती और गुर्जर समाज की जयंती के उपलक्ष में अनूठे आयोजन होते हैं. आसपास के ग्रामीण और दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थियों का यहां पर जमावड़ा लगा रहता है और मेले के रूप में यहां भगवान देवनारायण की जयंती मनाई जाती है. जिस भक्तजन कि यहां पर मनोकामना पूरी हो जाती है वह भगवान देवनारायण के मंदिर में महाप्रसादी का आयोजन करते हैं.

मंदिर स्थापित होने की कहानी है प्रचलित

देव डूंगरी स्थित भगवान देवनारायण के यहां स्थापित होने की कहानी बड़ी ही रोचक है. बताया जाता है कि 100 वर्ष पहले भगवान देवनारायण यहां पर जंगल में प्रकट हुए थे और उन्होंने यहां पर अपना स्थान जमा लिया. फिर एक ऋषि मुनि उनकी सेवा करते थे और ऋषि मुनि के एक चेले हुआ करते थे.

ऋषि मुनि ने एक दिन चेले को एक जादुई चीज देते हुए कहा कि मैं कोई से भी रूप में हूं तो मुझे यह जादुई चीज नाक के पास लाकर सूंघा देना, तो आपको एक जादू देखने को मिलेगा. ऐसे में ऋषि मुनि शेर का रूप बन गए और चेले ने उस दृश्य को देखा तो चेला वहां से शेर देख कर भाग गया और पूरे गांव में शेर वाली बात बोल दी.

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मंदिर के संरक्षक रामकरण गुर्जर बताते हैं कि उस जमाने में राजा शेरों के शिकार किया करते थे और उसी के तहत बूंदी के राजा भी यहां पर शिकार करने के लिए पहुंचे. जहां उन्होंने उसे ही ऋषि मुनि वाले शेर को देखा और उसका शिकार करने लगे तो पहली बंदूक की गोली चली तो सही, लेकिन वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी.

फिर राजा ने दूसरी गोली चलाई तो बंदूक से फिर गोली चली और गोली जमीन पर गिर गई और बंदूक से पानी निकलने लगा. राजा अपनी बंदूक को देख रहे थे कि शेर वहां से गायब हो गया. ऐसे में राजा ने भी पूरी प्रजा को शेर ढूंढने के लिए लगा दिया, लेकिन शेर नहीं मिल सका.

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ऐसे में राजा को यह बात प्रतीत हुई कि यहां पर भगवान देवनारायण का ही चमत्कार है और पूरी प्रजा को पता लगा कि भगवान देवनारायण यहां पर चमत्कारिक रूप से दर्शन देते हैं. इस पर लोगों की उसी समय से गहरी आस्था चलती हुई आई और राजा ने भगवान देवनारायण के चबूतरे को मंदिर के रूप में बनवा दिया तब से लेकर अब तक यहां पर लोगों की गहरी आस्था रही है.


आस्था का केंद्र देव डूंगरी भगवान देवनारायण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कई वर्षों से भगवान देवनारायण यहां पर लोगों का आस्था का केंद्र बने हुए हैं और दूरदराज से यहां पर लोग आते हैं. पूर्णिमा सहित जयंती के अवसर पर यहां पर अनूठे आयोजन होते हैं. भजन- गीत- नृत्य यहां पर होते हैं और भगवान देवनारायण को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन प्रयासरत रहते हैं.

जहरीले सांप का इलाज मिलता यहां पर

पुजारी ने बताया कि भगवान के दर पर जो जो भी यहां पहुंचा है वह खाली नहीं लौटा. खासतौर पर देवनारायण भगवान जहरीले कीड़े और जहरीले सांप से कटे हुए लोगों के रोगों को दूर करते हैं. साथ में लंबी बीमारी के रोगों को भी दूर करने का काम करते हैं. जो भी बीमार भगवान देवनारायण के दर पर पहुंचा वह रोग मुक्त होकर गया है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: कैंसर पर 'विजय' पाएंगे बीकानेर के डॉक्टर, समय रहते चल जाएगा पता

देव डूंगरी पर और भी है मंदिर

वहीं देव डूंगरी स्थान पर भगवान देवनारायण के अलावा माताजी, शंकर भगवान, हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित है. इसी परिसर में चारों मंदिर अलग-अलग स्थान पर स्थापित हैं और लोग भगवान देवनारायण की जयंती के अवसर पर इन सभी स्थानों के दर्शन करने के लिए उत्साहित रहते हैं. मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है ऐसे में यहां पर जाने के लिए रास्ता सीधा वाहन से भी है और लोग पैदल वाहन से भगवान के दर पर पहुंचकर भगवान के दर्शन करते हैं.

मेले के रूप में मनाते हैं भगवान की जयंती

यहां आज भी देवनारायण जयंती के 1 दिन पूर्व अनूठा आयोजन होता है. आसपास के ग्रामीण और दूरदराज के भक्त भगवान देवनारायण के मंदिर में एकत्रित हुए और भजन गीत गाकर भगवान देवनारायण को प्रसन्न किया. भगवान देवनारायण के गीत गाकर इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया.

बता दें कि देव डूंगरी भगवान देवनारायण का मंदिर बड़ा ही चमत्कारिक मंदिर है. माना जाता है कि यहां पर आयोजन के दौरान एक शख्स के शरीर में भगवान देवनारायण का थानक भी आती है और वह थानक लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है.

Intro:बूंदी में देवनारायण जयंती रविवार को मनाई जायेंगी जिसको लेकर गुर्जर समाज ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। वहीं भगवान देवनारायण की आस्था पर आधारित यह देवनारायण जयंती बड़ी खास रूप से मनाई जाती है शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर देव डूंगरी गांव की पहाड़ी पर स्थित भगवान देवनारायण गुर्जर समाज में आस्था का केंद्र बने हुए हैं । यहां पर दूर-दराज के और आसपास के ग्रामीण जयंती के पूर्व एकजुट होकर यहां पर अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और दिन भर यहां पर भगवान देवनारायण के लोकगीत गाकर उन्हें प्रसन्न करने और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर महाप्रसादी का आयोजन करते हैं ।


Body:बूंदी- राजस्थान में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की जयंती रविवार को बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाएगी इसको लेकर प्रदेश भर के सभी देवनारायण मंदिरों में विशेष सजावट की गई है और जयंती की सभी तैयारी पूरी कर ली है । ऐसे में भगवान देवनारायण की ऐसी एक कहानी बड़ी ही रोचकता के साथ जुड़ी हुई है यहां बूंदी शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर गोगास ग्राम की पहाड़ी पर स्थित देव डूंगरी देवनारायण भगवान जो करीब 100 वर्षों से यहां पर स्थापित है और लोगों की यहां पर भगवान देवनारायण पर गहरी आस्था रही है । यहां पर हर वर्ष पूर्णावर्ती और गुर्जर समाज की जयंती के उपलक्ष में अनूठे आयोजन होते हैं आसपास के ग्रामीण और दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थियों का यहां पर जमावड़ा लगा रहता है और मेले के रूप में यहंबभगवान देवनारायण की जयंती मनाई जाती है । जिस भक्तजन कि यहां पर मनोकामना पूरी हो जाती है वह भगवान देवनारायण के मंदिर में महाप्रसादी का आयोजन करते हैं । भगवान देवनारायण देव डूंगरी की कहानी बड़ी ही रोचक रही है बताया जाता है कि 100 वर्ष पहले भगवान देवनारायण यहां पर जंगल में प्रकट हुए थे और उन्होंने यहां पर अपना स्थान जमा लिया फिर एक ऋषि मुनि उनकी सेवा करते थे और ऋषि मुनि के एक चेले हुआ करते थे ऋषि मुनि ने एक दिन चेले को एक जादुई चीज देते हुए कहा कि मैं कोई से भी रूप में हूं तो मुझे यह जादुई चीज नाक के पास लाकर सूंगा देना तो आपको एक जादू देखने को मिलेगा ऐसे में ऋषि मुनि शेर का रूप बन गए और चेले ने उस दृश्य को देखा तो चेला वहां से शेर देख कर भाग गया और पूरे गांव में शेर वाली बात बोल दी । मंदिर के संरक्षक रामकरण गुर्जर बताते हैं कि उस जमाने में राजा शेरों के शिकार किया करते थे और उसी के तहत बूंदी के राजा भी यहां पर शिकार करने के लिए पहुंचे तो उन्होंने उसे ही ऋषि मुनि वाले शेर को देखा और उसका शिकार करने लगे तो पहली बंदूक की गोली चली तो सही लेकिन वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी फिर राजा ने दूसरी गोली चलाई तो बंदूक से फिर गोली चली और गोली जमीन पर गिर गई और बंदूक से पानी निकलने लगा। राजा अपनी बंदूक को देख रहे थे कि शेर वहां से गायब हो गया ऐसे में राजा ने भी पूरी प्रजा को शेर ढूंढने के लिए लगा दिया लेकिन शेर नहीं मिल सका । ऐसे में राजा को यह बात प्रतीत हुई कि यहां पर भगवान देवनारायण का ही चमत्कार है और पूरी प्रजा को पता लगा कि भगवान देवनारायण यहां पर चमत्कारिक रूप से दर्शन देते हैं इस पर लोगों की उसी समय से गहरी आस्था चलती हुई आई और राजा ने भगवान देवनारायण के चबूतरे को मंदिर के रूप में बनवा दिया तब से लेकर अब तक यहां पर लोगों की गहरी आस्था रही है ।

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कई वर्षों से भगवान देवनारायण यहां पर लोगों का आस्था का केंद्र बने हुए हैं और दूरदराज से यहां पर लोग आते हैं । पूर्णिमा सहित जयंती के अवसर पर यहां पर अनूठे आयोजन होते हैं भजन- गीत- नृत्य यहां पर होते हैं और भगवान देवनारायण को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन प्रयासरत रहते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान के दर पर जो जो भी यहां पहुंचा है वह खाली नहीं लौटा। खासतौर पर देवनारायण भगवान जहरीले कीड़े व जहरीले सांप से कटे हुए लोगों के रोगों को दूर करते हैं। साथ में लंबी बीमारी के रोगों को भी दूर करने का काम करते हैं जो जो भी बीमार भगवान देवनारायण के दर पर पहुंचा वह रोग मुक्त होकर गया है ।

इसी देव डूंगरी स्थान पर भगवान देवनारायण के अलावा माताजी, शंकर भगवान, हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित है इसी परिसर में चारों मंदिर अलग-अलग स्थान पर स्थापित है और लोग भगवान देवनारायण की जयंती के अवसर पर इन सभी स्थानों के दर्शन करने के लिए उतारू रहते हैं । मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है ऐसे में यहां पर जाने के लिए रास्ता सीधा वाहन से भी है और लोग पैदल वाहन से भगवान के दर पर पहुंचकर भगवान के दर्शन करते हैं ।


Conclusion:यहां आज भी देवनारायण जयंती के 1 दिन पूर्व अनूठा आयोजन हुआ आसपास के ग्रामीण व दूरदराज के भक्त भगवान देवनारायण के मंदिर में एकत्रित हुए और भजन गीत गाकर भगवान देवनारायण को प्रसन्न किया । भगवान देवनारायण के गीत गाकर इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया । यहां आपको बता दें कि देव डूंगरी भगवान देवनारायण का मंदिर बड़ा ही चमत्कारिक मंदिर है यहां पर आयोजन के दौरान एक शख्स के शरीर में भगवान देवनारायण का थानक (डील) भी आती है और वह थानक लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है ।

बाईट - राम कल्याण गुर्जर, संरक्षक
बाईट - रामकिसन , भक्तजन
बाईट - विट्टल सनाढय , भक्तजन
बाईट - बृजमोहन भोपा , मंदिर पुजारी
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