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स्पेशल: देश के भविष्य, सर्द हवाएं और कड़कड़ाती ठंड में खुली छत पर परीक्षा देने को मजबूर

सर्द हवाएं, ठिठुरती ठंड और छत के खुली छत पर बैठ परीक्षा देते मासूम बच्चे. यह हालात है बूंदी जिले के नैनवां उपखंड में, जहां बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा जारी है. लेकिन, बच्चे सर्द हवाओं के बीच छत पर बैठकर परीक्षा दे रहे हैं और प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

बूंदी न्यूज, bundi news
सर्द हवाओं और कड़कड़ाती ठंड में छत पर परीक्षा देते बच्चे
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Published : Dec 18, 2019, 3:29 PM IST

बूंदी. सर्दी की कंपकपाती सुबह, जब सब लोग घरों में दुबककर अलाव जलाए रखते हैं. उस वक्त जिले के नैनवां उपखंड के बच्चे खुली छत पर परीक्षा दे रहे हैं. जी हां, जिले के नैनवां में चीता की झोपड़ियां गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा चल रही है. लेकिन, स्कूल भवन की कमी के चलते बच्चों को इस हाड़ कंपाती सर्दी में परीक्षा देनी पड़ रही है.

सर्द हवाओं और कड़कड़ाती ठंड में छत पर परीक्षा देते बच्चे

जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां में स्थित सरकारी स्कूल को प्रशासन ने कुछ दिन पूर्व जर्जर घोषित करते हुए जमींदोज कर दिया था. लेकिन, अभी तक नए भवन का निर्माण नहीं कराया है. एक तरफ तो शिक्षा भवन सभी को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के दावे करता है. वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जहां बच्चों के पास शिक्षा तो दूर बैठने के लिए भवन तक नहीं है.

जर्जर भवन को किया जमींदोज...

जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां गांव में स्थित सरकारी विद्यालय जर्जर हालत में था, जिसको उच्च अधिकारियों ने जर्जर घोषित कर जमींदोज कर दिया. लेकिन, बच्चों को बैठने के लिए नया भवन बनाने के लिए अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं बनाई गई है.

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पुराना भवन जमींदोज होने से सरकारी स्कूल निजी मकान में संचालित हो रहा है. वहीं मकान के अंदर केवल एक ही कमरा होने से 8वीं तक के क्लास एक ही जगह लगाई जाती है. जिससे, बच्चों को पढ़ाई में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

निजी भवन में कक्ष का अभाव...

‌वहीं निजी भवन में जगह के अभाव के चलते अर्धवार्षिक परीक्षा छत पर आयोजित की गई है, जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे खुले में बैठकर परीक्षा देने को मजबूर हैं, जिम्मेदारों का कहना है कि हमारे पास जगह नहीं होने के चलते बच्चों को परीक्षा के लिए छत पर बैठा दिया गया. वहीं हाड़ कंपाती सर्दी में बच्चे छत पर बैठकर खुले आसमान के तले परीक्षा दे रहे हैं.

सभी कक्षाएं एक ही स्थान पर...

वहीं विद्यालय भवन जमींदोज होने के बाद से स्कूल कक्षाएं एक निजी मकान में संचालित होती है, जिसमें पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण 8वीं तक के बच्चों को एक ही जगह बैठाकर पढ़ाया जाता है, जिससे पढ़ाई में परेशानी आ रही है. परिजनों का कहना है कि जब सभी कक्षाएं एक जगह बैठकर पढ़ाई जा रही हैं, तो शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता होना लाजमी है.

यह भी पढ़ेंः जयपुर ब्लास्ट : पीड़ित परिवारों को अपनों को खोने के गम से ज्यादा गुनहगारों को 11 साल तक सजा नहीं मिलने की पीड़ा

वहीं लगातार गिरते पारे के बीच भी छात्र-छात्राएं खुले में परीक्षा दे रहे हैं, हाड़ कंपाती सर्दी में छात्र-छात्राओं पर ओस की बूंदे गिरने से गर्म कपड़े भी गिले हो जाते हैं. जब खुले आसमान के नीचे हल्की सी हवा चलती है तो बच्चों को बर्फबारी का एहसास होता है. बच्चों की समस्या बढ़ने के बावजूद शिक्षा विभाग नया भवन किराये पर नहीं लेना चाहता. वहीं बच्चों को बीना लाइट अंधेरे में पढ़ना पड़ता है, जिससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई को लेकर कितना गंभीर है. इस कड़कड़ाती सर्दी में भी बच्चे खुले आसमान के तले परीक्षा के परीक्षा देने को मजबूर हैं.

बूंदी. सर्दी की कंपकपाती सुबह, जब सब लोग घरों में दुबककर अलाव जलाए रखते हैं. उस वक्त जिले के नैनवां उपखंड के बच्चे खुली छत पर परीक्षा दे रहे हैं. जी हां, जिले के नैनवां में चीता की झोपड़ियां गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा चल रही है. लेकिन, स्कूल भवन की कमी के चलते बच्चों को इस हाड़ कंपाती सर्दी में परीक्षा देनी पड़ रही है.

सर्द हवाओं और कड़कड़ाती ठंड में छत पर परीक्षा देते बच्चे

जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां में स्थित सरकारी स्कूल को प्रशासन ने कुछ दिन पूर्व जर्जर घोषित करते हुए जमींदोज कर दिया था. लेकिन, अभी तक नए भवन का निर्माण नहीं कराया है. एक तरफ तो शिक्षा भवन सभी को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के दावे करता है. वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जहां बच्चों के पास शिक्षा तो दूर बैठने के लिए भवन तक नहीं है.

जर्जर भवन को किया जमींदोज...

जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां गांव में स्थित सरकारी विद्यालय जर्जर हालत में था, जिसको उच्च अधिकारियों ने जर्जर घोषित कर जमींदोज कर दिया. लेकिन, बच्चों को बैठने के लिए नया भवन बनाने के लिए अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं बनाई गई है.

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पुराना भवन जमींदोज होने से सरकारी स्कूल निजी मकान में संचालित हो रहा है. वहीं मकान के अंदर केवल एक ही कमरा होने से 8वीं तक के क्लास एक ही जगह लगाई जाती है. जिससे, बच्चों को पढ़ाई में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

निजी भवन में कक्ष का अभाव...

‌वहीं निजी भवन में जगह के अभाव के चलते अर्धवार्षिक परीक्षा छत पर आयोजित की गई है, जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे खुले में बैठकर परीक्षा देने को मजबूर हैं, जिम्मेदारों का कहना है कि हमारे पास जगह नहीं होने के चलते बच्चों को परीक्षा के लिए छत पर बैठा दिया गया. वहीं हाड़ कंपाती सर्दी में बच्चे छत पर बैठकर खुले आसमान के तले परीक्षा दे रहे हैं.

सभी कक्षाएं एक ही स्थान पर...

वहीं विद्यालय भवन जमींदोज होने के बाद से स्कूल कक्षाएं एक निजी मकान में संचालित होती है, जिसमें पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण 8वीं तक के बच्चों को एक ही जगह बैठाकर पढ़ाया जाता है, जिससे पढ़ाई में परेशानी आ रही है. परिजनों का कहना है कि जब सभी कक्षाएं एक जगह बैठकर पढ़ाई जा रही हैं, तो शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता होना लाजमी है.

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वहीं लगातार गिरते पारे के बीच भी छात्र-छात्राएं खुले में परीक्षा दे रहे हैं, हाड़ कंपाती सर्दी में छात्र-छात्राओं पर ओस की बूंदे गिरने से गर्म कपड़े भी गिले हो जाते हैं. जब खुले आसमान के नीचे हल्की सी हवा चलती है तो बच्चों को बर्फबारी का एहसास होता है. बच्चों की समस्या बढ़ने के बावजूद शिक्षा विभाग नया भवन किराये पर नहीं लेना चाहता. वहीं बच्चों को बीना लाइट अंधेरे में पढ़ना पड़ता है, जिससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई को लेकर कितना गंभीर है. इस कड़कड़ाती सर्दी में भी बच्चे खुले आसमान के तले परीक्षा के परीक्षा देने को मजबूर हैं.

Intro:बूंदी जिले के नैनवां उपखंड के चीता की झोपड़ियां गांव के सरकारी स्कूल मे बच्चों को अर्धवार्षिक परीक्षा के चलते ऊपर छत पर बिठाकर परीक्षा ली जा रही है। जहाँ आमजन दो दिनों से शीतलहर ओर ठंड से घरो मे दुबके के हुये है वही ये मासूम बच्चे सर्द हवाओं के बीच छत पर बैठकर परीक्षा दे रहे है।Body:बूंदी जिले के नैनवां उपखंड के चीता की झोपड़ियां गांव के स्कूल बच्चों को अर्धवार्षिक परीक्षा के चलते ऊपर छत पर बिठाकर परीक्षा ली जा रही है आपको बता दे कि 2 दिन से लगातार बढ़ रही सर्दी में सुरज तक नहीं निकला। वही नन्हे-मुन्ने बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के होने से बच्चों को इस कड़कड़ाती ठंड में छत के ऊपर बैठा कर शीतलहर में परीक्षा लेने पर अध्यापकों ने एक बार भी ये नहीं सोचा की इन जिस ठंड में बड़े बड़े लोग धुज रहे हैं । उस कड़ाके की सर्दी में ये बच्चे कैसे अपने भविष्य को संवारने के लिए मजबूरी में परीक्षा दे रहे हैं।जानकारी के अनुसार नैनवां उपखंड के चीता की झोपड़ियां गांव में स्थित सरकारी विद्यालय जर्जर हालत में था जिसको उच्च अधिकारियों ने जर्जर घोषित कर जमींदोज कर दिया लेकिन बच्चों को बैठने के लिए नया भवन बनाने के लिए अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं बनाई गई । जिससे चीता की चीता की झोपड़ियां में सरकारी स्कूल निजी मकान में संचालित हैं ।वही मकान के अंदर केवल एक ही कमरा होने से आठवीं तक के क्लास एक ही जगह लगाई जाती है ।जिससे बच्चों को पढ़ाई में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ‌वही अर्धवार्षिक परीक्षाओं के चलते हैं निजी मकान में जगह के अभाव के चलते कक्षा छ से आठ वी तक के बच्चों को छत के ऊपर खुले में बैठाकर परीक्षा देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जब इस बारे में संस्था प्रधान से बात करनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि हमारे पास जगह नहीं होने के चलते बच्चों को परीक्षा के लिए छत पर बैठा दिया गया वही हाडकपाती सर्दी में बच्चे छत पर बैठकर खुले आसमान के तले परीक्षा दे रहे हैं। जो करीब 1 घंटे तक परीक्षा का पेपर देते हैं। इस दोरान छात्र-छात्राओं पर ओस की बूंदे गिरने से गर्म कपड़े गिले हो जाते हैं । ओर खुले आसमान के नीचे जब हल्की सी हवा चलती हे तो बच्चों पर मानो बर्फबारी हुई हो ।जिससे बच्चों के बीमार होने के भी आसार बने हुए हैं ।लेकिन शिक्षा विभाग बच्चों की समस्या को देखते हुए नया भवन किराये पर नहीं लेना चाहता ।वही बच्चों बीना लाईट अंधेरे में पढ़ना पड़ता है ।जिससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई को लेकर कितना गंभीर है वही उपखंड के कालामाल गांव में भी सरकारी स्कूल खुले में ही चलता है ।इस कड़कड़ाती सर्दी में भी बच्चे खुले आसमान के तले परीक्षा के उत्तर देने को मजबूर है।

विजवल- शीतलहर के बीच छत पर परीक्षा देते बच्चे
विजवल- निजी भवन मे चल रहा स्कूल
विजवल- 4महीनों से चल रहा जर्जर भवन को जमीदोंज करने का काम
बाईट - बाबूलाल मीणा बच्चों के परिजनConclusion:वही बच्चों के परिजनो का कहना था कि इस हाड़ कपाती सर्दी के अंदर बच्चों को छत के ऊपर बैठा ना गलत है। जबकि अध्यापक तो गर्म कपड़ों में लिपटे रहते है। जबकि वही गरीब बच्चे जिनको गरम कपड़े तक नसीब नहीं है ।वह इस हाड़ कपाती सर्दी के अंदर भी अपने भविष्य की परीक्षा देने के लिए ठंड में एक घंटा बैठे रहते हैं। जिससे पता चलता है की शिक्षा विभाग शिक्षा के प्रति कितना गंभीर है।
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