बूंदी. सर्दी की कंपकपाती सुबह, जब सब लोग घरों में दुबककर अलाव जलाए रखते हैं. उस वक्त जिले के नैनवां उपखंड के बच्चे खुली छत पर परीक्षा दे रहे हैं. जी हां, जिले के नैनवां में चीता की झोपड़ियां गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा चल रही है. लेकिन, स्कूल भवन की कमी के चलते बच्चों को इस हाड़ कंपाती सर्दी में परीक्षा देनी पड़ रही है.
जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां में स्थित सरकारी स्कूल को प्रशासन ने कुछ दिन पूर्व जर्जर घोषित करते हुए जमींदोज कर दिया था. लेकिन, अभी तक नए भवन का निर्माण नहीं कराया है. एक तरफ तो शिक्षा भवन सभी को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के दावे करता है. वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जहां बच्चों के पास शिक्षा तो दूर बैठने के लिए भवन तक नहीं है.
जर्जर भवन को किया जमींदोज...
जानकारी के अनुसार चीता की झोपड़ियां गांव में स्थित सरकारी विद्यालय जर्जर हालत में था, जिसको उच्च अधिकारियों ने जर्जर घोषित कर जमींदोज कर दिया. लेकिन, बच्चों को बैठने के लिए नया भवन बनाने के लिए अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं बनाई गई है.
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पुराना भवन जमींदोज होने से सरकारी स्कूल निजी मकान में संचालित हो रहा है. वहीं मकान के अंदर केवल एक ही कमरा होने से 8वीं तक के क्लास एक ही जगह लगाई जाती है. जिससे, बच्चों को पढ़ाई में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
निजी भवन में कक्ष का अभाव...
वहीं निजी भवन में जगह के अभाव के चलते अर्धवार्षिक परीक्षा छत पर आयोजित की गई है, जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे खुले में बैठकर परीक्षा देने को मजबूर हैं, जिम्मेदारों का कहना है कि हमारे पास जगह नहीं होने के चलते बच्चों को परीक्षा के लिए छत पर बैठा दिया गया. वहीं हाड़ कंपाती सर्दी में बच्चे छत पर बैठकर खुले आसमान के तले परीक्षा दे रहे हैं.
सभी कक्षाएं एक ही स्थान पर...
वहीं विद्यालय भवन जमींदोज होने के बाद से स्कूल कक्षाएं एक निजी मकान में संचालित होती है, जिसमें पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण 8वीं तक के बच्चों को एक ही जगह बैठाकर पढ़ाया जाता है, जिससे पढ़ाई में परेशानी आ रही है. परिजनों का कहना है कि जब सभी कक्षाएं एक जगह बैठकर पढ़ाई जा रही हैं, तो शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता होना लाजमी है.
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वहीं लगातार गिरते पारे के बीच भी छात्र-छात्राएं खुले में परीक्षा दे रहे हैं, हाड़ कंपाती सर्दी में छात्र-छात्राओं पर ओस की बूंदे गिरने से गर्म कपड़े भी गिले हो जाते हैं. जब खुले आसमान के नीचे हल्की सी हवा चलती है तो बच्चों को बर्फबारी का एहसास होता है. बच्चों की समस्या बढ़ने के बावजूद शिक्षा विभाग नया भवन किराये पर नहीं लेना चाहता. वहीं बच्चों को बीना लाइट अंधेरे में पढ़ना पड़ता है, जिससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई को लेकर कितना गंभीर है. इस कड़कड़ाती सर्दी में भी बच्चे खुले आसमान के तले परीक्षा के परीक्षा देने को मजबूर हैं.