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स्पेशल रिपोर्ट: दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड का ऐसा हाल...रोड, बस और स्टैंड सब बेहाल

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Published : Nov 13, 2019, 7:59 PM IST

छोटी काशी और परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना के गृह जिले बूंदी का बस स्टैंड घोर लापरवाही के चलते बदहाल होता जा रहा है. कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी बूंदी के प्रभारी है. लेकिन बसों की हालत ऐसी है कि कोई इसे केन्दीय बस स्टैंड घोषित नहीं कह सकता..देखिए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट

Bundi bus stand, condition of Bundi bus stand

बूंदी. शहर का केंद्रीय बस स्टैंड बदहाल होता जा रहा है. यहां पर 46 पद मैकेनिक के स्वीकृत हैं. जिनमें से 25 ही मकैनिक कार्यरत है, जो कि 67 बसों का संचालन कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिले में अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण रोज बसों में टूट-फूट हो रही है और हर 1 सप्ताह में बसे खस्ताहाल होते हुए नजर आ रही है. यहीं नहीं एक निजी कंपनी का अनुबंध नहीं होने के चलते करीब 25 से अधिक चालकों को बाहर का रास्ता रोडवेज प्रबंधक द्वारा दिखा दिया गया है.

दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड का ऐसा हाल..देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड के हाल खराब
वहीं खास बात है कि बूंदी से राजस्थान सरकार में परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी बूंदी के प्रभारी है. ऐसे में विभाग उनका, मंत्रालय उनका फिर भी बूंदी का यह बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए नजर आ रहा है. कहने को तो राज्य सरकार द्वारा बूंदी के बस स्टैंड केन्दीय बस स्टैंड घोषित किया हुआ है, लेकिन सुविधा की बात करें तो बूंदी बस स्टैंड की हालत ग्रामीण बस स्टैंड से भी बुरे है. सबसे बड़ी बात है कि सड़कों की स्थिति भी सही नहीं है. जिसके चलते आए दिन रोडवेज बस बदहाल होती हुई नजर आ रही है. यही नहीं बूंदी आगार से 10 से 15 मैकेनिक या तो सेवानिवृत्त हो गए या अन्य जगह पर उनका ट्रांसफर हो गया पिछले 2 वर्षों से मैकेनिक कमी को लेकर कोई नई भर्ती के आदेश नहीं आए हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: मेडिकल कॉलेज तो दूर की बात...जो भी डॉक्टर थे उनका भी हो गया तबादला, RK जिला अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था चरमराई

मैकेनिक का टोटा, नहीं ठीक हो पाती बसें
रोडवेज को रोज 5 लाख से अधिक आय होती है. इस हिसाब से वर्ष भर में आय करोड़ रुपए पहुंच जाती है. इसके बावजूद भी मिस्त्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. यहां तक कि बसों के पार्ट्स भी समय पर उपलब्ध नहीं करवाया जाता. माह में करीब 10 से 20 बसों का ही मेंटेनेंस जांचा जाता है. साथ ही 40 हजार किलोमीटर चलने वाली बसों का ऑयल व ग्रीस के साथ पूरी सर्विस की जाती है. ऐसे में मैकेनिक का टोटा होने के चलते कई बार आगार में बस से खड़ी रह जाती है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: बूंदी उत्सव 15 नवंबर से...लेकिन शहर की सड़कें, साफ-सफाई और पर्यटन स्थल बदहाल

बस स्टैंड परिसर में नहीं कोई सुविधा, रोड भी बेकार
बूंदी बस स्टैंड पर रोजाना जिले से अन्य जिलों तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक, हरियाणा से लेकर उतराखंड तक आने जाने वाली बस से आती है. लेकिन यहां पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बस स्टैंड परिसर पर डामर रोड बना हुआ है. जगह-जगह परिसर की मिट्टी निकली हुई है. परिसर में बड़े-बड़े गड्ढे हैं. बस स्टैंड परिसर में बने हुए शौचालय की हालत खराब हो चुकी है. कई दिनों तक सफाई नहीं होने के कारण परिसर में बदबू फैल जाती है. यात्रियों के ठहरने के लिए बस स्टैंड परिसर में बस स्टैंड प्रशासन द्वारा ढंग का विश्राम गृह नहीं बना पाया है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान में 43 हजार भर्तियों पर बना हुआ है संकट, बेरोजगार परेशान..कब होगा हल कुछ पता नहीं

बूंदीवासियों की मांग..जल्द सही करें बस स्टैंड सरकार
वहीं कई बार बस स्टैंड की दशा सुधारने की मांग बूंदीवासियों की ओर से की जा चुकी हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. बूंदी पर्यटन नगरी है यहां पर काफी संख्या में पर्यटक तक आते हैं. बसों में आने वाले पर्यटक बूंदी के बस स्टैंड पर सुविधा को तलाशते हुए नजर आते हैं. बूंदी के बस स्टैंड की दशा बहुत ही बुरी है. यहां आने वाले यात्री हालात के लिए प्रशासन को ही कोसते रहते हैं. हालांकि दीवाली के त्योहार पर मंत्री अशोक चांदना ने कृषि मंडी में बस स्टैंड को शिफ्ट करने की बात कही थी और प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी. आपको बता दें कि बूंदी बस स्टैंड मैं करीब 10 से ₹15 करोड़ की लागत से विकास कार्य होंगे. तभी बूंदी बस स्टैंड केंद्रीय बस स्टैंड कहने के लायक होगा या फिर खाली पड़े मंडी परिसर में बस स्टैण्ड को शिफ्ट कर दिया जाए तभी यह बस स्टैण्ड सुधर सकता है.

बूंदी. शहर का केंद्रीय बस स्टैंड बदहाल होता जा रहा है. यहां पर 46 पद मैकेनिक के स्वीकृत हैं. जिनमें से 25 ही मकैनिक कार्यरत है, जो कि 67 बसों का संचालन कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिले में अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण रोज बसों में टूट-फूट हो रही है और हर 1 सप्ताह में बसे खस्ताहाल होते हुए नजर आ रही है. यहीं नहीं एक निजी कंपनी का अनुबंध नहीं होने के चलते करीब 25 से अधिक चालकों को बाहर का रास्ता रोडवेज प्रबंधक द्वारा दिखा दिया गया है.

दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड का ऐसा हाल..देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड के हाल खराब
वहीं खास बात है कि बूंदी से राजस्थान सरकार में परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी बूंदी के प्रभारी है. ऐसे में विभाग उनका, मंत्रालय उनका फिर भी बूंदी का यह बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए नजर आ रहा है. कहने को तो राज्य सरकार द्वारा बूंदी के बस स्टैंड केन्दीय बस स्टैंड घोषित किया हुआ है, लेकिन सुविधा की बात करें तो बूंदी बस स्टैंड की हालत ग्रामीण बस स्टैंड से भी बुरे है. सबसे बड़ी बात है कि सड़कों की स्थिति भी सही नहीं है. जिसके चलते आए दिन रोडवेज बस बदहाल होती हुई नजर आ रही है. यही नहीं बूंदी आगार से 10 से 15 मैकेनिक या तो सेवानिवृत्त हो गए या अन्य जगह पर उनका ट्रांसफर हो गया पिछले 2 वर्षों से मैकेनिक कमी को लेकर कोई नई भर्ती के आदेश नहीं आए हैं.

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मैकेनिक का टोटा, नहीं ठीक हो पाती बसें
रोडवेज को रोज 5 लाख से अधिक आय होती है. इस हिसाब से वर्ष भर में आय करोड़ रुपए पहुंच जाती है. इसके बावजूद भी मिस्त्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. यहां तक कि बसों के पार्ट्स भी समय पर उपलब्ध नहीं करवाया जाता. माह में करीब 10 से 20 बसों का ही मेंटेनेंस जांचा जाता है. साथ ही 40 हजार किलोमीटर चलने वाली बसों का ऑयल व ग्रीस के साथ पूरी सर्विस की जाती है. ऐसे में मैकेनिक का टोटा होने के चलते कई बार आगार में बस से खड़ी रह जाती है.

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बस स्टैंड परिसर में नहीं कोई सुविधा, रोड भी बेकार
बूंदी बस स्टैंड पर रोजाना जिले से अन्य जिलों तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक, हरियाणा से लेकर उतराखंड तक आने जाने वाली बस से आती है. लेकिन यहां पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बस स्टैंड परिसर पर डामर रोड बना हुआ है. जगह-जगह परिसर की मिट्टी निकली हुई है. परिसर में बड़े-बड़े गड्ढे हैं. बस स्टैंड परिसर में बने हुए शौचालय की हालत खराब हो चुकी है. कई दिनों तक सफाई नहीं होने के कारण परिसर में बदबू फैल जाती है. यात्रियों के ठहरने के लिए बस स्टैंड परिसर में बस स्टैंड प्रशासन द्वारा ढंग का विश्राम गृह नहीं बना पाया है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान में 43 हजार भर्तियों पर बना हुआ है संकट, बेरोजगार परेशान..कब होगा हल कुछ पता नहीं

बूंदीवासियों की मांग..जल्द सही करें बस स्टैंड सरकार
वहीं कई बार बस स्टैंड की दशा सुधारने की मांग बूंदीवासियों की ओर से की जा चुकी हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. बूंदी पर्यटन नगरी है यहां पर काफी संख्या में पर्यटक तक आते हैं. बसों में आने वाले पर्यटक बूंदी के बस स्टैंड पर सुविधा को तलाशते हुए नजर आते हैं. बूंदी के बस स्टैंड की दशा बहुत ही बुरी है. यहां आने वाले यात्री हालात के लिए प्रशासन को ही कोसते रहते हैं. हालांकि दीवाली के त्योहार पर मंत्री अशोक चांदना ने कृषि मंडी में बस स्टैंड को शिफ्ट करने की बात कही थी और प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी. आपको बता दें कि बूंदी बस स्टैंड मैं करीब 10 से ₹15 करोड़ की लागत से विकास कार्य होंगे. तभी बूंदी बस स्टैंड केंद्रीय बस स्टैंड कहने के लायक होगा या फिर खाली पड़े मंडी परिसर में बस स्टैण्ड को शिफ्ट कर दिया जाए तभी यह बस स्टैण्ड सुधर सकता है.

Intro:बूंदी का केंद्रीय बस स्टैंड बदहाल होता जा रहा है । यहां पर 46 पद मकैनिको के स्वीकृत हैं जिनमें से 25 ही मकैनिक कार्यरत है जोकि 67 बसों का संचालन कर रहे हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि जिले में अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण रोज बसों में टूट-फूट हो रही है और हर 1 सप्ताह में बसे खस्ताहाल होते हुए नजर आ रही है यही नहीं एक निजी कंपनी का अनुबंध नहीं होने के चलते करीब 25 से अधिक चालकों को बाहर का रास्ता रोडवेज प्रबंधक द्वारा दिखा दिया गया है । खास बात है कि बूंदी से राजस्थान सरकार में परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना है यही नहीं कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी बूंदी के ही प्रभारी है । ऐसे में विभाग उनका मंत्रालय उनका फिर भी बूंदी का यह बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए नजर आ रहा है ।




Body:बूंदी। केंद्रीय बस स्टैंड घोर लापरवाही के चलते बदहाल होता जा रहा है । कहने को तो राज्य सरकार द्वारा बूंदी के बस स्टैंड केन्दीय बस स्टैंड घोषित किया हुआ है लेकिन सुविधा की बात करें तो बूंदी बस स्टैंड की हालत ग्रामीण बस स्टैंड से भी बुरे है । बूंदी आगार में बसों की मरम्मत पर वर्कशॉप संबंधित कार्य के लिए मकैनिक के 40 पद स्वीकृत है लेकिन वर्तमान में 25 मैकेनिक ही कार्यरत है इनमें से भी कोई ना कोई अवकाश पर रहता है तो समस्या और बढ़ जाती है। हाल में ही आगार की ओर से विभिन्न मार्गों पर 67 बसों का संचालन किया जा रहा है । सबसे बड़ी बात है कि सड़कों की स्थिति भी सही नहीं है जिसके चलते आए दिन रोडवेज बस बदहाल होती हुई नजर आ रही है। बूंदी रोडवेज का संचालन अधिकतर गांव में होता है ऐसे में वह बस जब सड़क पर दौड़ती है तो सड़क पर हो रहे गड्ढों से टूट फुट रोडवेज बस हो जाती है जिससे बस लंबे समय तक चल नहीं पाती यही नहीं रोडवेज आगार में करीब 25 मैकेनिकों की कमी चल रही है । जो अभी तक पूरी नहीं हुई है जिसके चलते बस लगातार वर्कशॉप में एक-एक सप्ताह तक खड़ी रहती है और मिस्त्री के पास ज्यादा काम होने के चलते उन्हें बस रिपेयर करने में काफी समय लग जाता है । हाल ही में ही एक निजी कंपनी के चालकों को अनुबंध करके बूंदी रोडवेज में रखा हुआ था लेकिन अनुबंध दोबारा नहीं होने के चलते करीब 25 रोडवेज चालकों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है जिससे भी काफी रुट बूंदी रोडवेज प्रबंधक को बंद करने पड़े हैं बाकी अन्य रूप जैसे तैसे करके चलाए जा रहे हैं । यही नहीं बूंदी आगार से 10 से 15 मैकेनिक या तो सेवानिवृत्त हो गए या अन्य जगह पर उनका ट्रांसफर हो गया पिछले 2 वर्षों से मैकेनिक कमी को लेकर कोई नई भर्ती के आदेश नहीं आए हैं ।

रोडवेज को रोज 5 लाख से अधिक आय होती है। इस हिसाब से वर्ष भर में आय करोड रुपए पहुंच जाती है इसके बावजूद भी मिस्त्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं यहां तक कि बसों के पार्ट्स भी समय पर उपलब्ध नहीं करवाया जाता । माह में करीब 10 से 20 बसों का ही मेंटेनेंस जांचा जाता है। साथ ही 40 हजार किलोमीटर चलने वाली बसों का ऑयल व ग्रीस के साथ पूरी सर्विस की जाती है । ऐसे में मैकेनिकों का टोटा होने के चलते कई बार आगार में बस से खड़ी रह जाती है ।

आपको बता दें कि परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना का यह ग्रह जिला है और उनके विभाग के अंतर्गत आने के बाद भी बस स्टेण्ड बदहाल में है तो राजस्थान के बस स्टैंड की हालत क्या होगी और बूंदी की तस्वीरें सही देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। यही नहीं इस विभाग के कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी बूंदी के ही प्रभारी मंत्री है। दोनों के पास परिवहन विभाग होने के बावजूद भी बूंदी बस स्टैंड की अपेक्षा की जा रही है। बूंदी बस स्टैंड पर रोजाना जिले से अन्य जिलों तथा मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश तक हरियाणा से लेकर उतराखंड तक आने जाने वाली बस से आती है लेकिन यहां पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है । बस स्टैंड परिसर पर डामर रोड बना हुआ है जगह-जगह परिसर के की मिट्टी निकली हुई है परिसर में खड्डे बड़े बड़े हैं । बस स्टैंड परिसर में बने हुए शौचालय की हालत खराब हो चुकी है । कई दिनों तक सफाई नही होने के कारण परिसर में बदबू फैल जाती है। यात्रियों के ठहरने के लिए बस स्टैंड परिसर में बस स्टैंड प्रशासन द्वारा ढंग का विश्राम गृह नहीं बना पाया है ।

बस स्टैंड से संचालित बसों से सरकार को करोड़ का राजस्व मिलता है कई बार बस स्टेंड की दशा सुधारने की मांग बूंदी वासियों कर चुके हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। बूंदी पर्यटन नगरी है यहां पर काफी संख्या में पर्यटक तक आते हैं । बसों में आने वाले पर्यटक बूंदी के बस स्टैंड पर सुविधा को तलाशते हुए नजर आते हैं । बूंदी के बस स्टैंड की दशा बहुत ही बुरी है । यहां आने वाले यात्री हालात के लिए प्रशासन को ही कोसते रहते हैं ।

आपको बता दें कि बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबूलाल वर्मा बूंदी उनका गृह जिला था यही नहीं केबिनेट मंत्री यूनुस खान बूंदी के प्रभारी थे और उन्होंने बूंदी दौरे के दौरान कहा था कि आप लोग बदहाल बस स्टैंड का फोटो खींच लीजिए इसमें आने वाले समय में मॉडल बस स्टैंड बना दूंगा जो कि आज दिन तक मॉडल बस स्टैंड का इंतजार कर रहा है । अब फिर कांग्रेस सरकार में अशोक चांदना मंत्री बने हैं तो बूंदी से वह आते है ऐसे में उन्होंने वडोरदा के तर्ज पर बस स्टेंड बनाने की बात कही है । वहीं इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने भी बूंदी बस स्टैंड का दौरा किया है ।




Conclusion:दीवाली के त्योहार पर मंत्री अशोक चांदना ने कृषि मंडी में बस स्टेण्ड को शिप्ट करने की बात कही थी और प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी । आपको बता दें कि बूंदी बस स्टैंड मैं करीब 10 से ₹15 करोड़ की लागत से विकास कार्य होंगे तभी बूंदी बस स्टैंड केंद्रीय बस स्टैंड कहने के लायक होगा या फिर खाली पड़े मंडी परिसर में बस स्टेण्ड को शिप्ट कर दिया जाए तभी यह बस स्टेण्ड सुधर सकता है ।

यहां पर कई बार मुख्य प्रबंधक द्वारा राज्य सरकार को विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजे लेकिन प्रस्ताव पारित नहीं हो सके । हाल ही में ही कोंग्रेस सरकार बनने के बाद बूंदी बस स्टैंड के संचालक प्रबंधक महेंद्र मीणा ने विकास प्रस्ताव भेजे हैं जो कि इंतजार कर रहे हैं कि जल्द सरकार राशि को मंजर कर दे और बूंदी बस स्टैंड को चार चांद लग जाए लेकिन अधिकारी और यहां की जनता बस सरकार के उन बयानों को याद करती है। लेकिन दूर दूर तक उन्हें कोई ठोस कार्यवाही नजर नहीं आती । अब देखना होगा कि सरकार के मंत्रियों ने बूंदी बस स्टेण्ड को चमकाने के लिए कई दावे किए हैं लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर लागू नहीं हुए है ।

बाईट - प्रकाश गुर्जर , यात्री
बाईट - अभियंता , छात्रा
बाईट - लतीफ आफरीदी , यात्री
बाईट - महेंद्र मीणा , संचालन प्रबंधक , रोडवेज ,बूंदी
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