बूंदी. शहर का केंद्रीय बस स्टैंड बदहाल होता जा रहा है. यहां पर 46 पद मैकेनिक के स्वीकृत हैं. जिनमें से 25 ही मकैनिक कार्यरत है, जो कि 67 बसों का संचालन कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिले में अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण रोज बसों में टूट-फूट हो रही है और हर 1 सप्ताह में बसे खस्ताहाल होते हुए नजर आ रही है. यहीं नहीं एक निजी कंपनी का अनुबंध नहीं होने के चलते करीब 25 से अधिक चालकों को बाहर का रास्ता रोडवेज प्रबंधक द्वारा दिखा दिया गया है.
दो-दो मंत्रियों के जिले बूंदी के बस स्टैंड के हाल खराब
वहीं खास बात है कि बूंदी से राजस्थान सरकार में परिवहन राज्य मंत्री अशोक चांदना और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी बूंदी के प्रभारी है. ऐसे में विभाग उनका, मंत्रालय उनका फिर भी बूंदी का यह बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए नजर आ रहा है. कहने को तो राज्य सरकार द्वारा बूंदी के बस स्टैंड केन्दीय बस स्टैंड घोषित किया हुआ है, लेकिन सुविधा की बात करें तो बूंदी बस स्टैंड की हालत ग्रामीण बस स्टैंड से भी बुरे है. सबसे बड़ी बात है कि सड़कों की स्थिति भी सही नहीं है. जिसके चलते आए दिन रोडवेज बस बदहाल होती हुई नजर आ रही है. यही नहीं बूंदी आगार से 10 से 15 मैकेनिक या तो सेवानिवृत्त हो गए या अन्य जगह पर उनका ट्रांसफर हो गया पिछले 2 वर्षों से मैकेनिक कमी को लेकर कोई नई भर्ती के आदेश नहीं आए हैं.
मैकेनिक का टोटा, नहीं ठीक हो पाती बसें
रोडवेज को रोज 5 लाख से अधिक आय होती है. इस हिसाब से वर्ष भर में आय करोड़ रुपए पहुंच जाती है. इसके बावजूद भी मिस्त्री उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. यहां तक कि बसों के पार्ट्स भी समय पर उपलब्ध नहीं करवाया जाता. माह में करीब 10 से 20 बसों का ही मेंटेनेंस जांचा जाता है. साथ ही 40 हजार किलोमीटर चलने वाली बसों का ऑयल व ग्रीस के साथ पूरी सर्विस की जाती है. ऐसे में मैकेनिक का टोटा होने के चलते कई बार आगार में बस से खड़ी रह जाती है.
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बस स्टैंड परिसर में नहीं कोई सुविधा, रोड भी बेकार
बूंदी बस स्टैंड पर रोजाना जिले से अन्य जिलों तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक, हरियाणा से लेकर उतराखंड तक आने जाने वाली बस से आती है. लेकिन यहां पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बस स्टैंड परिसर पर डामर रोड बना हुआ है. जगह-जगह परिसर की मिट्टी निकली हुई है. परिसर में बड़े-बड़े गड्ढे हैं. बस स्टैंड परिसर में बने हुए शौचालय की हालत खराब हो चुकी है. कई दिनों तक सफाई नहीं होने के कारण परिसर में बदबू फैल जाती है. यात्रियों के ठहरने के लिए बस स्टैंड परिसर में बस स्टैंड प्रशासन द्वारा ढंग का विश्राम गृह नहीं बना पाया है.
बूंदीवासियों की मांग..जल्द सही करें बस स्टैंड सरकार
वहीं कई बार बस स्टैंड की दशा सुधारने की मांग बूंदीवासियों की ओर से की जा चुकी हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. बूंदी पर्यटन नगरी है यहां पर काफी संख्या में पर्यटक तक आते हैं. बसों में आने वाले पर्यटक बूंदी के बस स्टैंड पर सुविधा को तलाशते हुए नजर आते हैं. बूंदी के बस स्टैंड की दशा बहुत ही बुरी है. यहां आने वाले यात्री हालात के लिए प्रशासन को ही कोसते रहते हैं. हालांकि दीवाली के त्योहार पर मंत्री अशोक चांदना ने कृषि मंडी में बस स्टैंड को शिफ्ट करने की बात कही थी और प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी. आपको बता दें कि बूंदी बस स्टैंड मैं करीब 10 से ₹15 करोड़ की लागत से विकास कार्य होंगे. तभी बूंदी बस स्टैंड केंद्रीय बस स्टैंड कहने के लायक होगा या फिर खाली पड़े मंडी परिसर में बस स्टैण्ड को शिफ्ट कर दिया जाए तभी यह बस स्टैण्ड सुधर सकता है.