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विधानसभा उपचुनाव: मंडावा सीट पर कड़ा मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए तो दूसरी तरफ 10वीं पास

राजस्थान में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने कमर कस ली है. ऐसे में मंडावा विधानसभा सीट पर कांग्रेसी रीटा चौधरी का मुकाबला भाजपा की सुशीला सीगड़ा से है. हालांकि राजनीति में शिक्षा से ज्यादा खेल वोटों का होता है, लेकिन अगर दोनों प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो कैलिफोर्निया से एमबीए पास आउट कांग्रेसी प्रत्याशी रीटा चौधरी की सीधी टक्कर भाजपा की दसवीं पास सुशीला सीगड़ा से है.

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Published : Oct 7, 2019, 6:24 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 3:35 PM IST

झुंझुनूं. मंडावा विधानसभा की रण में भले ही 9 नामांकन वैध पाए गए हैं. लेकिन असली मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है. इसमें भी देखने वाली बात यह है की कैलिफोर्निया से एमबीए पास आउट कांग्रेसी रीटा चौधरी का मुकाबला भाजपा की दसवीं पास सुशीला सीगड़ा से हैं.

मंडावा सीट पर कड़ा है मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए दूसरी तरफ दसवीं पास

कैलिफोर्निया से किया रीटा चौधरी ने एमबीए
रीटा चौधरी ने यूएसए के कैलिफोर्निया स्थित न्यूपोर्ट यूनिवर्सिटी से 1998 में एमबीए किया. साथ ही रीटा चौधरी ने एमबीए के अलावा दो विषयों में पीजी भी कर रखी है. उन्हें साल 1995 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में और साल 2000 में अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 46 वर्षीय रीटा चौधरी मंडावा विधानसभा के गांव हेतमसर की रहने वाली है और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्व. रामनारायण चौधरी की पुत्री है.

पढ़ें- गहलोत सीएम और गृह मंत्री के तौर पर फेल : उप नेता प्रतिपक्ष राठौड़

गौरतलब है कि रीटा चौधरी 2008 में मंडावा से कांग्रेस से विधायक चुनी गई थीं, लेकिन 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रीटा चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था. जहां वो भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने 2346 मतों से हरा गई थी. अब मंडावा विधानसभा उपचुनाव में फिर एक बार कांग्रेस ने रीटा चौधरी के अपना उम्मीदवार बनाया है.

10वीं पास है भाजपा की प्रत्याशी
वहीं गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निष्कासित और अभी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुशीला सीगड़ा झुंझुनूं की रानी सती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 1981 में दसवीं पास की है. हालांकि वह भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके ससुर बृजलाल सीगड़ा भी प्रधान रहे हैं. उसके बाद कम पढ़ी होने के बावजूद राजनीतिक विरासत उनकी पुत्रवधू सुशीला सीगड़ा ने संभाली और तीन बार प्रधान व एक बार जिला परिषद सदस्य रही हैं. उनके परिवार को कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नजदीकी माना जाता है.

पढ़ें- प्रदेश भाजपा मुख्यालय के नए होर्डिंग में वसुंधरा-पूनिया साथ साथ

बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की शिकायत पर सुशीला सीगड़ा को कांग्रेस से निलम्बित कर दिया गया था. इसके बाद सुशीला सीगड़ा भाजपा के सम्पर्क में थी. हालांकि वे अधिकृत रूप से भाजपा में नहीं आई थी. लगातार प्रधान रहने के कारण उनका जमीन स्तर पर मजबूत जनाधार होने के चलते भाजपा ने उनपर दाव खेला है.

झुंझुनूं. मंडावा विधानसभा की रण में भले ही 9 नामांकन वैध पाए गए हैं. लेकिन असली मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है. इसमें भी देखने वाली बात यह है की कैलिफोर्निया से एमबीए पास आउट कांग्रेसी रीटा चौधरी का मुकाबला भाजपा की दसवीं पास सुशीला सीगड़ा से हैं.

मंडावा सीट पर कड़ा है मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए दूसरी तरफ दसवीं पास

कैलिफोर्निया से किया रीटा चौधरी ने एमबीए
रीटा चौधरी ने यूएसए के कैलिफोर्निया स्थित न्यूपोर्ट यूनिवर्सिटी से 1998 में एमबीए किया. साथ ही रीटा चौधरी ने एमबीए के अलावा दो विषयों में पीजी भी कर रखी है. उन्हें साल 1995 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में और साल 2000 में अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 46 वर्षीय रीटा चौधरी मंडावा विधानसभा के गांव हेतमसर की रहने वाली है और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्व. रामनारायण चौधरी की पुत्री है.

पढ़ें- गहलोत सीएम और गृह मंत्री के तौर पर फेल : उप नेता प्रतिपक्ष राठौड़

गौरतलब है कि रीटा चौधरी 2008 में मंडावा से कांग्रेस से विधायक चुनी गई थीं, लेकिन 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रीटा चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था. जहां वो भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने 2346 मतों से हरा गई थी. अब मंडावा विधानसभा उपचुनाव में फिर एक बार कांग्रेस ने रीटा चौधरी के अपना उम्मीदवार बनाया है.

10वीं पास है भाजपा की प्रत्याशी
वहीं गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निष्कासित और अभी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुशीला सीगड़ा झुंझुनूं की रानी सती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 1981 में दसवीं पास की है. हालांकि वह भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके ससुर बृजलाल सीगड़ा भी प्रधान रहे हैं. उसके बाद कम पढ़ी होने के बावजूद राजनीतिक विरासत उनकी पुत्रवधू सुशीला सीगड़ा ने संभाली और तीन बार प्रधान व एक बार जिला परिषद सदस्य रही हैं. उनके परिवार को कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नजदीकी माना जाता है.

पढ़ें- प्रदेश भाजपा मुख्यालय के नए होर्डिंग में वसुंधरा-पूनिया साथ साथ

बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की शिकायत पर सुशीला सीगड़ा को कांग्रेस से निलम्बित कर दिया गया था. इसके बाद सुशीला सीगड़ा भाजपा के सम्पर्क में थी. हालांकि वे अधिकृत रूप से भाजपा में नहीं आई थी. लगातार प्रधान रहने के कारण उनका जमीन स्तर पर मजबूत जनाधार होने के चलते भाजपा ने उनपर दाव खेला है.

Intro:राजनीति में शिक्षा से ज्यादा खेल हालांकि मतों का होता है, लेकिन मतदाता भी यह जानना चाहता जरूर है कि जिसे वह चुनने जा रहा है उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है। हालांकि कांग्रेस सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता अभी हाल में हटा दी है और विधानसभा के लिए पहले से ही कोई बाध्यता नहीं रही है।


Body:झुंझुनू। मंडावा विधानसभा की रण में भले ही नो नामांकन वैध पाए गए हैं लेकिन असली मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है। इसमें भी देखने वाली बात यह है की कैलिफोर्निया से एमबीए पास आउट कांग्रेसी रीटा चौधरी का मुकाबला भाजपा की दसवीं पास सुशीला सीगड़ा से है। रीटा चौधरी ने यूएसए के कैलिफोर्निया स्थित न्यूपोर्ट यूनिवर्सिटी से 1998 में एमबीए किया वे एमबीए के अलावा दो विषयों में पीजी भी कर रखी है। उन्हें 1995 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में व 2000 मैं अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। 46 वर्षीय रीटा चौधरी मंडावा विधानसभा के गांव हेतमसर की रहने वाली है और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्व. रामनारायण चौधरी की पुत्री है।

10वीं पास है भाजपा की प्रत्याशी
वहीं गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निष्कासित व अभी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुशीला सीगड़ा झुंझुनू की रानी सती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 1981 में दसवीं पास की है। हालांकि वह भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं उनके ससुर बृजलाल सीगड़ा भी प्रधान रहे हैं। उसके बाद कम पढी लिखी होने के बावजूद राजनीतिक विरासत उनकी पुत्रवधू सुशीला सीगड़ा ने संभाली और तीन बार प्रधान व एक बार जिला परिषद सदस्य रही हैं उनके परिवार को कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नजदीकी माना जाता है।


Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 3:35 PM IST
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