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बूंदी: भारतीय किसान संघ का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन, 21 सूत्रीय मांगों लेकर सौंपा ज्ञापन - सौंपा ज्ञापन

बूंदी में सोमवार को किसानों की ओर से सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. वहीं, भारतीय किसान संघ की ओर से 21 अगस्त को विधानसभा के बाहर धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी.

भारतीय किसान संघ, BUNDI NEWS
बूंदी में भारतीय किसान संघ ने किया प्रदर्शन
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Published : Aug 18, 2020, 1:02 AM IST

बूंदी. जिले में सोमवार को किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर जाम लगा दिया. आधे घंटे बाद किसानों ने जाम हटाया और फिर 21 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया.

वहीं, भारतीय किसान संघ ने 21 अगस्त को विधानसभा के बाहर धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. किसान संघ का कहना है कि किसानों की समस्याओं पर सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही. लंबे समय से भारतीय किसान संघ सरकारों को चेतावनी देता आया है. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बूंदी में भारतीय किसान संघ ने किया प्रदर्शन

पढ़ें: बीकानेर: 9 सूत्री मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने किया प्रदर्शन

भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रतिनिधि शिवराज पुरी ने बताया कि प्रदेश में पिछले खरीफ सीजन से ही फसल कटाई के समय ओलावृष्टि के साथ ही टिड्डी हमलों और रबी सीजन में ओलावृष्टि के साथ ही पाला गिरने से किसानों की फसलें खराब हो जाने से बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, सरकार की लापरवाही और अव्यवस्थाओं के कारण साल 2019 में समर्थन मूल्य पर मूंग की मात्र 10 फीसदी और मूंगफली की 15 फीसदी खरीद हो पाई थी. इस दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में सरकार ने 50 फीसदी से अधिक की कटौती कर ओवरड्यूज नेशनल शेयरधारकों के ऋण पर रोक लगाकर और विभिन्न शर्त लगाकर ऋण बंद करवा दिए थे, जिससे किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज पर ऋण लेने को मजबूर हुए थे.

शिवराज पुरी ने बताया कि सरकार के किसान विरोधी निर्णय की वजह से विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपए का अनुदान बंद कर दिया गया, जिससे प्रदेश के 14 लाख किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक भार बढ़ गया. आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान सहकारी ऋण विसंगतियों को दूर करने जैसे विभिन्न माध्यमों से ज्ञापन सौंपकर सरकार को लगातार अवगत करवाते रहे हैं. शिवराज पुरी ने बताया कि प्रदेश में लगातार हो रहे टिड्डी हमलों ने एक दर्जन से अधिक जिलों में 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलों को चट कर लिया, जिससे किसानों को 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ, जिसका कोई मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही किसी नियंत्रण के कोई प्रभावी कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं.

पढ़ें: बाड़मेर: पैराटीचर्स ने सद्बुद्धि यज्ञ कर CM के नाम सौंपा ज्ञापन

किसान संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने अपने 21 सूत्रीय मांगों में आगामी 6 महीने के किसानों के कृषि और घरेलू विद्युत बिल माफ करने, पहले जारी योजना के अनुसार कृषि विद्युत बिलों में दिए जाने वाला 833 रुपए प्रति माह का बकाया, विद्युत अनुदान एकमुश्त विद्युत बिलों में समायोजित करने की मांग की है. अपनी इन मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. इस दौरान भारी संख्या में किसान पहुंचे. वहीं, पुलिस ने किसानों को अंदर जाने से रोक दिया. रोके जाने से नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर जाम भी लगा दिया. आधे घंटे बाद किसानों ने जाम हटाया और फिर ज्ञापन दिया. 21 अगस्त तक मांगे पूरी नहीं हुई तो उसी दिन विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

बूंदी. जिले में सोमवार को किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर जाम लगा दिया. आधे घंटे बाद किसानों ने जाम हटाया और फिर 21 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया.

वहीं, भारतीय किसान संघ ने 21 अगस्त को विधानसभा के बाहर धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. किसान संघ का कहना है कि किसानों की समस्याओं पर सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही. लंबे समय से भारतीय किसान संघ सरकारों को चेतावनी देता आया है. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बूंदी में भारतीय किसान संघ ने किया प्रदर्शन

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भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रतिनिधि शिवराज पुरी ने बताया कि प्रदेश में पिछले खरीफ सीजन से ही फसल कटाई के समय ओलावृष्टि के साथ ही टिड्डी हमलों और रबी सीजन में ओलावृष्टि के साथ ही पाला गिरने से किसानों की फसलें खराब हो जाने से बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, सरकार की लापरवाही और अव्यवस्थाओं के कारण साल 2019 में समर्थन मूल्य पर मूंग की मात्र 10 फीसदी और मूंगफली की 15 फीसदी खरीद हो पाई थी. इस दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में सरकार ने 50 फीसदी से अधिक की कटौती कर ओवरड्यूज नेशनल शेयरधारकों के ऋण पर रोक लगाकर और विभिन्न शर्त लगाकर ऋण बंद करवा दिए थे, जिससे किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज पर ऋण लेने को मजबूर हुए थे.

शिवराज पुरी ने बताया कि सरकार के किसान विरोधी निर्णय की वजह से विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपए का अनुदान बंद कर दिया गया, जिससे प्रदेश के 14 लाख किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक भार बढ़ गया. आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान सहकारी ऋण विसंगतियों को दूर करने जैसे विभिन्न माध्यमों से ज्ञापन सौंपकर सरकार को लगातार अवगत करवाते रहे हैं. शिवराज पुरी ने बताया कि प्रदेश में लगातार हो रहे टिड्डी हमलों ने एक दर्जन से अधिक जिलों में 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलों को चट कर लिया, जिससे किसानों को 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ, जिसका कोई मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही किसी नियंत्रण के कोई प्रभावी कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं.

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किसान संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने अपने 21 सूत्रीय मांगों में आगामी 6 महीने के किसानों के कृषि और घरेलू विद्युत बिल माफ करने, पहले जारी योजना के अनुसार कृषि विद्युत बिलों में दिए जाने वाला 833 रुपए प्रति माह का बकाया, विद्युत अनुदान एकमुश्त विद्युत बिलों में समायोजित करने की मांग की है. अपनी इन मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. इस दौरान भारी संख्या में किसान पहुंचे. वहीं, पुलिस ने किसानों को अंदर जाने से रोक दिया. रोके जाने से नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर जाम भी लगा दिया. आधे घंटे बाद किसानों ने जाम हटाया और फिर ज्ञापन दिया. 21 अगस्त तक मांगे पूरी नहीं हुई तो उसी दिन विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

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