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स्पेशल रिपोर्ट: बूंदी में पंचकर्म यूनिट बनी लोगों के लिए जीवनदायिनी, अब तक 3300 मरीजों को मिला फायदा

बूंदी के आयुर्वेदिक अस्पताल में अब पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज शुरू हो गया है. 2 महीने से यहां पर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जा रहा है. जिससे अब तक कुल 3300 मरीजों को लाभ मिल चुका है. प्रदेश के कुछ ही जिलों में यह पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. उसमें से एक बूंदी भी है. देखिए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट...

Panchkarma treatment, Panchkarma treatment in bundi
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पंचकर्म से इलाज
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Published : Dec 31, 2019, 6:35 PM IST

बूंदी. शरीर की शुद्धि के लिए पंचकर्म प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति है. आयुर्वेदिक के अनुसार चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं शोधन चिकित्सा व शमन चिकित्सा. जिन रोगों से छुटकारा औषधियों से संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर के बाहर कर देने की पद्धति को शोधन कहते हैं. यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है. ऐसे में बूंदी में पंचकर्म यूनिट लोगों के लिए जीवनदायिनी बन गया है. शहर में 2 महीने में अब तक 3300 मरीजों को इसका फायदा मिला है. राजस्थान के कुछ जिलों में यह पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. उसमें से एक बूंदी भी है.

बूंदी में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पंचकर्म से लोगों को मिल रहा लाभ

प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर की आयुष विंग में प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार शुरू हो गया है. यहां पर पिछले 2 माह से इस पद्धति से इलाज किया जा रहा है और लगातार मरीजों की संख्या आयुष विंग में बढ़ रही है. जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान की ओर से जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में यह सुविधा प्रारंभ की गई है. प्राचीन चिकित्सा के अनुसार किए जा रहे पंचकर्म से मरीजों को लाभ मिल रहा है, आयुर्वेदिक व पंच कर्म चिकित्सकों को भी बूंदी जिले में इस तरीके से सुविधा देने में प्रशंसा हो रही है. अस्पताल में पंचकर्म ओटी में कई तरह के प्राकृतिक मशीनें हैं. जिनके माध्यम से मरीजों को उसकी बीमारी के अनुसार इलाज करवाया जा रहा है और उन्हें भर्ती भी करवाया जा रहा है. इस अस्पताल में 10 बेड है. जिनके माध्यम से मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. अस्पताल बूंदी के बालचंद पाड़ा में स्थित है.

पढ़ें- डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

शरीर के दर्द और व्याधि होती है दूर
अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि शरीर में रोग वात, कफ, पित्त के घटने बढ़ने पर आधारित होते हैं, शरीर की विभिन्न व्यधियों को दूर करने के लिए पांच प्रकार के कर्म होते हैं. जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों से व्यापक व्याधि को दूर किया जाता है. इसमें पूर्व कर्म के तहत स्नेहन और स्वेदन किया जाता है. यह प्रारंभिक उपचार है इसे कभी-कभी मुख्य चिकित्सा के रूप में भी अपनाया जाता है. स्नेहन कर्म के तहत व्याधि के अनुसार शरीर के बाहरी और आवरण की मालिश कर या अभ्यंतर प्रक्रिया के तहत स्नेहपान (घी ,तेल ,काढ़ा) आदि कराकर शरीर के दर्द और व्याधि को दूर किया जाता है.

कम से कम 7 दिन पंचकर्म की प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि पंचकर्म की प्रक्रिया शुरू करने पर कम से कम 7 दिन और हर दिन 40 से 45 मिनट तक उपचार कराया जाता है, व्याधि ठीक नहीं होने पर उपचार का समय बढ़ाया जाता है. इस पद्धति से शरीर की व्याधि 80 से 100% तक दूर हो जाती है. उन्होंने बताया कि पंचकर्म द्वारा इलाज कराने के लिए काफी लोग आते हैं और विदेशी सैलानी भी पंचकर्म में शामिल है और रोज एक ना एक पंचकर्म कराने के लिए विदेशी सैलानी आते हैं.

पढ़ें- गोमूत्र से बनेगी कैंसर की दवाईयां, इलाज होगा संभव : आयुष मंत्रालय

अब तक 3300 मरीजों को लाभ पहुंचाया
पिछले 2 महीनों से जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में यह पंचकर्म ओटी शुरू की गई है. जिसमें कई इलाकों के मरीज यहां आ चुके हैं. सबसे ज्यादा जिले के बाहर के आये मरीजों ने यहां का लाभ उठाया है. अब तक कुल 3300 मरीजों को लाभ पहुंचाया जा चुका है, जो कि इन दो महीनों में आयुर्वेदिक के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और लगातार मरीजों का इजाफा होता जा रहा है. काफी लंबे समय वाले मरीजो की बीमारी को इस पंचकर्म पद्धति के तहत दूर किया जा रहा है.

जानिए क्या है पंचकर्म के फायदे

  • पंचकर्म आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है.
  • आपके शरीर और दिमाग से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलता है.
  • पंचकर्म आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है.
  • पंचकर्म आपकी बढ़ती उम्र को रोकता है.
  • पंचकर्म आपके शरीर को आराम पहुंचाता है.
  • पंचकर्म आपके शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करता है.
  • पंचकर्म आपके पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है.
  • वजन कम करने में मदद करता है.

बूंदी. शरीर की शुद्धि के लिए पंचकर्म प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति है. आयुर्वेदिक के अनुसार चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं शोधन चिकित्सा व शमन चिकित्सा. जिन रोगों से छुटकारा औषधियों से संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर के बाहर कर देने की पद्धति को शोधन कहते हैं. यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है. ऐसे में बूंदी में पंचकर्म यूनिट लोगों के लिए जीवनदायिनी बन गया है. शहर में 2 महीने में अब तक 3300 मरीजों को इसका फायदा मिला है. राजस्थान के कुछ जिलों में यह पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. उसमें से एक बूंदी भी है.

बूंदी में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पंचकर्म से लोगों को मिल रहा लाभ

प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर की आयुष विंग में प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार शुरू हो गया है. यहां पर पिछले 2 माह से इस पद्धति से इलाज किया जा रहा है और लगातार मरीजों की संख्या आयुष विंग में बढ़ रही है. जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान की ओर से जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में यह सुविधा प्रारंभ की गई है. प्राचीन चिकित्सा के अनुसार किए जा रहे पंचकर्म से मरीजों को लाभ मिल रहा है, आयुर्वेदिक व पंच कर्म चिकित्सकों को भी बूंदी जिले में इस तरीके से सुविधा देने में प्रशंसा हो रही है. अस्पताल में पंचकर्म ओटी में कई तरह के प्राकृतिक मशीनें हैं. जिनके माध्यम से मरीजों को उसकी बीमारी के अनुसार इलाज करवाया जा रहा है और उन्हें भर्ती भी करवाया जा रहा है. इस अस्पताल में 10 बेड है. जिनके माध्यम से मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. अस्पताल बूंदी के बालचंद पाड़ा में स्थित है.

पढ़ें- डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

शरीर के दर्द और व्याधि होती है दूर
अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि शरीर में रोग वात, कफ, पित्त के घटने बढ़ने पर आधारित होते हैं, शरीर की विभिन्न व्यधियों को दूर करने के लिए पांच प्रकार के कर्म होते हैं. जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों से व्यापक व्याधि को दूर किया जाता है. इसमें पूर्व कर्म के तहत स्नेहन और स्वेदन किया जाता है. यह प्रारंभिक उपचार है इसे कभी-कभी मुख्य चिकित्सा के रूप में भी अपनाया जाता है. स्नेहन कर्म के तहत व्याधि के अनुसार शरीर के बाहरी और आवरण की मालिश कर या अभ्यंतर प्रक्रिया के तहत स्नेहपान (घी ,तेल ,काढ़ा) आदि कराकर शरीर के दर्द और व्याधि को दूर किया जाता है.

कम से कम 7 दिन पंचकर्म की प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि पंचकर्म की प्रक्रिया शुरू करने पर कम से कम 7 दिन और हर दिन 40 से 45 मिनट तक उपचार कराया जाता है, व्याधि ठीक नहीं होने पर उपचार का समय बढ़ाया जाता है. इस पद्धति से शरीर की व्याधि 80 से 100% तक दूर हो जाती है. उन्होंने बताया कि पंचकर्म द्वारा इलाज कराने के लिए काफी लोग आते हैं और विदेशी सैलानी भी पंचकर्म में शामिल है और रोज एक ना एक पंचकर्म कराने के लिए विदेशी सैलानी आते हैं.

पढ़ें- गोमूत्र से बनेगी कैंसर की दवाईयां, इलाज होगा संभव : आयुष मंत्रालय

अब तक 3300 मरीजों को लाभ पहुंचाया
पिछले 2 महीनों से जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में यह पंचकर्म ओटी शुरू की गई है. जिसमें कई इलाकों के मरीज यहां आ चुके हैं. सबसे ज्यादा जिले के बाहर के आये मरीजों ने यहां का लाभ उठाया है. अब तक कुल 3300 मरीजों को लाभ पहुंचाया जा चुका है, जो कि इन दो महीनों में आयुर्वेदिक के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और लगातार मरीजों का इजाफा होता जा रहा है. काफी लंबे समय वाले मरीजो की बीमारी को इस पंचकर्म पद्धति के तहत दूर किया जा रहा है.

जानिए क्या है पंचकर्म के फायदे

  • पंचकर्म आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है.
  • आपके शरीर और दिमाग से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलता है.
  • पंचकर्म आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है.
  • पंचकर्म आपकी बढ़ती उम्र को रोकता है.
  • पंचकर्म आपके शरीर को आराम पहुंचाता है.
  • पंचकर्म आपके शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करता है.
  • पंचकर्म आपके पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है.
  • वजन कम करने में मदद करता है.
Intro:बूंदी के आयुर्वेदिक अस्पताल में अब पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज शुरू हो गया है । 2 माह से यहां पर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जा रहा है अब तक कुल 3300 मरीजों को इस पद्धति से लाभ मिल चुका है । यहां आपको बता कुछ ही जिलों में यह पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है उसमें से एक बूंदी भी है ।


Body:बूंदी :- शरीर की शुद्धि की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति है पंचकर्म । आयुर्वेदिक के अनुसार चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं शोधन चिकित्सा व शमन्न चिकित्सा । जिन रोगों से मुक्त औषधियों द्वारा संभव नहीं होती ,उन रोगों के कारक दोषों को शरीर के बाहर कर देने की पद्धति को शोधन कहते हैं । यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है । पंचकर्म चिकित्सा में अब राजस्थान का भी बोलबाला बढ़ता जा रहा है राजस्थान के कुछ संभाग स्तर में यह सुविधा मिल रही है उनमें से अब बूंदी भी शामिल हो गया है या यूं कहें कि पंचकर्म में छिपा है असाध्य रोगों का इलाज । जिला आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर की आयुष विंग में प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार शुरू हो गया है । यहां पर पिछले 2 माह से इस पद्धति से इलाज किया जा रहा है और लगातार मरीजों की संख्या आयुष विंग में बढ़ रही है । जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय आयुर्वैदिक संस्थान की ओर से जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में यह सुविधा प्रारंभ की गई है । प्राचीन चिकित्सा के अनुसार किए जा रहे पंचकर्म से मरीजों को लाभ मिल रहा है आयुर्वेदिक व पंच कर्म चिकित्सकों को भी बूंदी जिले में इस तरीके से सुविधा देने में प्रशंसा हो रही है । यहां आपको बता दें कि पांच प्रकार के पंचकर्म उपचार होते हैं । अस्पताल में पंचकर्म ओटी में कई तरह के प्राकृतिक मशीनें हैं जिनके माध्यम से मरीजों को उसकी बीमारी के अनुसार इलाज करवाया जा रहा है और उन्हें भर्ती भी करवाया जा रहा है इस अस्पताल में 10 बेड हैं जिनके माध्यम से मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है । अस्पताल बूंदी के बालचंद पाड़ा में स्थित है ।

अस्पताल के पीएमओ डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि शरीर में रोग वात, कफ, पित्त के घटने बढ़ने पर आधारित होते हैं शरीर की विभिन्न व्यधियों को दूर करने के लिए पांच प्रकार के कर्म होते हैं जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों से व्यापक व्याधि को दूर किया जाता है। इसमें पूर्व कर्म के तहत स्नेहन और स्वेदन किया जाता है यह प्रारंभिक उपचार है इसे कभी-कभी मुख्य चिकित्सा के रूप में भी अपनाया जाता है । स्नेहन कर्म के तहत व्याधि के अनुसार शरीर के बाहरी और आवरण की मालिश कर या अभ्यंतर प्रक्रिया के तहत स्नेहपान (घी ,तेल ,काढ़ा) आदि कराकर शरीर के दर्द और व्याधि को दूर किया जाता है । उन्होंने बताया कि पंचकर्म की प्रक्रिया शुरू करने पर कम से कम 7 दिन ओर हर दिन 40 से 45 मिनट तक उपचार कराया जाता है व्याधि ठीक नहीं होने पर उपचार का समय बढ़ाया जाता है इस पद्धति से शरीर की व्याधि 80 से 100% तक दूर हो जाती है । उन्होंने बताया कि पंचकर्म द्वारा इलाज कराने के लिए काफी लोग आते हैं और विदेशी सैलानी भी पंचकर्म में शामिल है और रोज एक ना एक पंचकर्म कराने के लिए विदेशी सैलानी आते हैं । डॉक्टर सुनील कुशवाहा कहते हैं वैसे तो पंचकर्म पद्धति के पांच कर्म शामिल होते हैं लेकिन हम केवल 4 कर्मों का ही इस्तेमाल करते हैं ,वमन, विरेचन ,आस्थापन बिस्त , अनुवासन व रक्त मोशन का इस्तेमाल अब नहीं होता इसके अलावा पूर्व क्रम में मसाज ,स्टीम बाथ, कटि स्नान ,फुट मसाज ,फेसिअल एंड फेस पैक और वेट लॉस पैकेज का प्रयोग करते हैं । इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्यतः वात, पित्त कफ , त्रिदेशो को संतुलन करने के लिए किया जाता है ।

पिछले 2 महीनों से जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में यह पंचकर्म ओटी शुरू की गई है जिसमें कई इलाकों के मरीज यहां आ चुके हैं सबसे ज्यादा जिले के बाहर के आये मरीजों ने यहां का लाभ उठाया है । अब तक कुल 3300 मरीजों को लाभ पहुंचाया जा चुका है जो कि इन दो महीनों में आयुर्वेदिक के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और लगातार मरीजों का इजाफा होता जा रहा है । पंचकर्म ओटी बूंदी के लिए और आसपास के लोगों के लिए अब जीवनदायिनी साबित होने लगी है । काफी लंबे समय वाले मरीजो की बीमारी को इस पंचकर्म पद्धति के तहत दूर किया जा रहा है । इस पंचकर्म का लाभ लेने आई मरीज सीमा सैनी ने भी पंचकर्म यूनिट के लाभ बताएं और कहा कि पिछले 13 साल से उनकी कमर में दर्द था जो ठीक नहीं हो पा रहा था उन्हें चलने फिरने में भी और अपने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था लेकिन जब से उन्होंने पंचकर्म में अपना इलाज करवाया है काफी राहत उन्हें महसूस हुई है और पंचकर्म को वह अब लंबे समय तक अपनाने के लिए भी कह रही है ।




Conclusion:बूंदी के इस आयुर्वेदिक पंचकर्म ओटी में प्रधान कर्म , वमन, विरेचन , वस्ती , रक्तमोषण , नश्य सहित कई प्रकार की प्राकृतिक चीजों चीजों से इलाज करवाया जा रहा है । सबसे ज्यादा इस पंचकर्म में जोड़ों का दर्द ,कमर दर्द व पुराने दर्द के मरीज तो लाभ ले रहे हैं साथ में घटिया, स्पोंडिलाइटिस और पैरालाइसिस के मरीजों को भी इस पद्धति से लाभ मिल रहा है। पंचकर्म फिटनेस का फार्मूला काफी हद तक कारगर साबित होता जा रहा है । राजस्थान के मेडिकल कॉलेज में ही पंचकर्म की विधि को अपनाया जाता है लेकिन आयुर्वेदिक के क्षेत्र में पहली बार किसी जिले में इस तरह की व्यवस्थाएं शुरू की गई है वह बूंदी में है और बूंदी में भरपूर फायदा इस पंचकर्म यूनिट का लोग उठा रहे हैं और 3300 मरीजों को इसका लाभ भी मिल चुका है ।

बाईट - राजकुमार दाधीच , लाभार्थी
बाईट - रोहित दाधीच , स्थानीय निवासी
बाईट - सीमा सैनी , लाभार्थी
बाईट - सुनील कुशवाह , पीएमओ , आयुर्वेदिक अस्पताल ,बूंदी
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