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बूंदी : कोर्ट का आदेश नगर परिषद की लिए बनी चुनौती, ना निगलते बन रहा ना उगलते...

बूंदी नगर परिषद के लिए डीजे कोर्ट का एक आदेश चुनौती बन गया है. न्यायालय ने 2 महीने के अंदर आदेश की पालना ना होने पर नगर सभापति और आयुक्त को निजी तौर पर 2 लाख का जुर्माना भरने के दिए हैं.

विरोध करते ट्रक यूनियन के सदस्य
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Published : May 24, 2019, 10:09 PM IST

बूंदी. ट्रक यूनियन का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बूंदी डीजे कोर्ट के आदेश के बाद नगर प्रशासन एक्शन मोड में है. यूनियन को लेकर एक नोटिस जारी हुई है, जिसको लेकर विरोध जारी है. मामला नगर परिषद की लीज की जमीन से जुड़ा है. जिस पर ट्रक यूनियन काबिज है. यह जमीन 4945 वर्ग गज है.

बूंदी में डीजे कोर्ट का आदेश नगर परिषद की लिए चुनौती

दरअसल, पिछले कई वर्षों ने ट्रक यूनियन इस नगर परिषद की जमीन को लेकर बकाया है. जिसे यूनियन ने अब तक चुकता नहीं किया है. बता दें कि वर्ष 1996 में बूंदी नगर परिषद ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि बूंदी ट्रक यूनियन सरकार के मापदंड के अनुसार लीज की राशि जमा नहीं कर रहा है. नोटिस चस्पा करने के बावजूद यूनियन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उस साल ट्रक यूनियन को 29 लाख 42 हजार की रिलीज रेट के हिसाब से कुल 1 करोड़ 62 लाख 42 हजार रुपए जमा कराकर फिर से लीज जारी करने की बात कही थी, लेकिन ट्रक यूनियन ने लीज को जमा नहीं करवाया. जिसके चलते नगर परिषद उसी समय ट्रक यूनियन के खिलाफ बूंदी डीजे कोर्ट में चला गया था.

मामले में 20 साल बाद नगर परिषद की जीत हुई है. 6 दिन पूर्व डीजे कोर्ट ने ट्रक यूनियन के इस जमीन पर कब्जे को अवैध बताया है. साथ ही नगर परिषद को इसे दो महीने के अंदर खाली कराने के आदेश दिए हैं. वहीं ऐसा ना कर पाने की स्थिति में नगर सभापति और आयुक्त को निजी तौर पर 2 लाख का जुर्माना भरने के दिए हैं. वहीं इस आदेश के बाद बूंदी नगर परिषद एक्शन मोड में है. ट्रक यूनियन को लेकर एक नोटिस चस्पा किया गया है. जिसका ट्रक यूनियन के लोगों ने विरोध किया. शुक्रवार को उन्होंने नगर परिषद सभापति चेंबर और जिला कलेक्टर चैंबर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. साथ ही यूनियन के सदस्यों ने कलेक्टर से जमीन नहीं खाली कराने की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा है कि इसके लिए विरोध जारी रहेगा.

अब जिला प्रशासन और नगर परिषद के सामने कोर्ट के इस आदेश के इस आदेश की पालना एक चुनौती बन गया है. बूंदी ट्रक यूनियन भी अपनी भूमि को बताकर मालिकाना हक जता रहा है. उनका कहना है कि वे पिछले 50 सालों से ट्रक यूनियन को चला रहे हैं. ऐसे में अचानक जमीन खाली करना संभव नहीं है. एक लीज की वजह से हमारी ट्रक यूनियन को खाली करवाया जा रहा है. यूनियन के सदस्यों का कहना है कि वे लीज भरने को तैयार हैं. साथ ही नगर परिषद के ना मानने पर उन्होंने मामले में कोर्ट जाने की भी बात कही है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटेगा. एक तरफ कोर्ट का आदेश है तो वहीं दूसरी ओर ट्रक यूनियन के सैकड़ों चालक और परिचालक है जो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

बूंदी. ट्रक यूनियन का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बूंदी डीजे कोर्ट के आदेश के बाद नगर प्रशासन एक्शन मोड में है. यूनियन को लेकर एक नोटिस जारी हुई है, जिसको लेकर विरोध जारी है. मामला नगर परिषद की लीज की जमीन से जुड़ा है. जिस पर ट्रक यूनियन काबिज है. यह जमीन 4945 वर्ग गज है.

बूंदी में डीजे कोर्ट का आदेश नगर परिषद की लिए चुनौती

दरअसल, पिछले कई वर्षों ने ट्रक यूनियन इस नगर परिषद की जमीन को लेकर बकाया है. जिसे यूनियन ने अब तक चुकता नहीं किया है. बता दें कि वर्ष 1996 में बूंदी नगर परिषद ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि बूंदी ट्रक यूनियन सरकार के मापदंड के अनुसार लीज की राशि जमा नहीं कर रहा है. नोटिस चस्पा करने के बावजूद यूनियन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उस साल ट्रक यूनियन को 29 लाख 42 हजार की रिलीज रेट के हिसाब से कुल 1 करोड़ 62 लाख 42 हजार रुपए जमा कराकर फिर से लीज जारी करने की बात कही थी, लेकिन ट्रक यूनियन ने लीज को जमा नहीं करवाया. जिसके चलते नगर परिषद उसी समय ट्रक यूनियन के खिलाफ बूंदी डीजे कोर्ट में चला गया था.

मामले में 20 साल बाद नगर परिषद की जीत हुई है. 6 दिन पूर्व डीजे कोर्ट ने ट्रक यूनियन के इस जमीन पर कब्जे को अवैध बताया है. साथ ही नगर परिषद को इसे दो महीने के अंदर खाली कराने के आदेश दिए हैं. वहीं ऐसा ना कर पाने की स्थिति में नगर सभापति और आयुक्त को निजी तौर पर 2 लाख का जुर्माना भरने के दिए हैं. वहीं इस आदेश के बाद बूंदी नगर परिषद एक्शन मोड में है. ट्रक यूनियन को लेकर एक नोटिस चस्पा किया गया है. जिसका ट्रक यूनियन के लोगों ने विरोध किया. शुक्रवार को उन्होंने नगर परिषद सभापति चेंबर और जिला कलेक्टर चैंबर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. साथ ही यूनियन के सदस्यों ने कलेक्टर से जमीन नहीं खाली कराने की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा है कि इसके लिए विरोध जारी रहेगा.

अब जिला प्रशासन और नगर परिषद के सामने कोर्ट के इस आदेश के इस आदेश की पालना एक चुनौती बन गया है. बूंदी ट्रक यूनियन भी अपनी भूमि को बताकर मालिकाना हक जता रहा है. उनका कहना है कि वे पिछले 50 सालों से ट्रक यूनियन को चला रहे हैं. ऐसे में अचानक जमीन खाली करना संभव नहीं है. एक लीज की वजह से हमारी ट्रक यूनियन को खाली करवाया जा रहा है. यूनियन के सदस्यों का कहना है कि वे लीज भरने को तैयार हैं. साथ ही नगर परिषद के ना मानने पर उन्होंने मामले में कोर्ट जाने की भी बात कही है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटेगा. एक तरफ कोर्ट का आदेश है तो वहीं दूसरी ओर ट्रक यूनियन के सैकड़ों चालक और परिचालक है जो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

Intro:बूंदी ट्रक यूनियन का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है यहां बूंदी डीजे कोर्ट द्वारा 6 दिन पूर्व नगर परिषद को आदेश देते हुए कहा था कि ट्रक यूनियन पूरी तरह से अवैध है इस केस में नगर परिषद की 20 साल बाद जीत हुई थी और कोर्ट द्वारा दो माह में नगर परिषद को यूनियन को खाली कराना था अगर नगर परिषद इसको खाली नहीं करवाती है तो कोर्ट ने साफ-साफ आदेश देते हुए कहा था कि अगर खाली नहीं हुआ तो सभापति और आयुक्त को अपनी जेब से दो ₹2 लाख भुगतने होंगे । इसके बाद नगर परिषद चैता और आदेश के तुरंत बाद नोटिस चस्पा कर दिया नोटिस चस्पा होने के साथ ही ट्रक यूनियन से जुड़े लोग भड़क गए और वह सड़क पर उतरते हुए प्रदर्शन करने लगे यहां उन्होंने नगर परिषद सभापति चेंबर वह जिला कलेक्टर चैंबर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और ट्रक यूनियन को खाली नहीं करने को लेकर ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा हम ट्रक यूनियन के लिए कुछ भी कर सकते हैं चाहे हमें हमें हमारी जान तक क्यों नहीं देना पड़े उन्होंने कहा कि हम क्यों नहीं खाली करेंगे ।


Body:जानकारी के अनुसार सन् 1996 में नगर परिषद द्वारा एक आदेश निकालते हुए कहा था कि बूंदी ट्रक यूनियन द्वारा सरकार के मापदंड के अनुसार लीज की राशि जमा नहीं करवाई जा रही है जिसका नोटिस चस्पा करने के बाद भी ट्रक यूनियन कोई ध्यान नहीं दे रहा है यहां पर ट्रक यूनियन को उसी साल 29 लाख 42 हजार की रिलीज रेट के हिसाब से कुल 1 करोड़ 62 लाख ₹42000 जमा करा कर फिर से लीज खोलने की बात कही थी लेकिन ट्रक यूनियन ने लीज को जमा नहीं करवाया। ऐसे में नगर परिषद उसी समय ट्रक यूनियन के खिलाफ कोर्ट में चला गया और कोर्ट में 4945 वर्ग गज भूमि के लिए विवाद शुरु कर दिया तभी 20 साल तक चले इस विवाद में डीजे कोर्ट ने 6 दिन पूर्व आदेश सुनाते हुए नगर परिषद के हक में फैसला दिया है और बूंदी ट्रक यूनियन को अवैध करार दे दिया है ।


Conclusion:अब जिला प्रशासन और नगर परिषद के सामने कोर्ट की चुनौती बनी हुई है क्योंकि कोर्ट का आदेश है ऐसे में नगर परिषद अपने हिसाब से कुछ नहीं कर सकता उसे कोर्ट के आदेश की पालना करवानी होगी ऐसे में बूंदी ट्रक यूनियन भी अपनी भूमि को बताकर मालिकाना हक जता रहे हैं और कह रहे हैं कि हम पिछले 50 सालों से ट्रक यूनियन को चला रहे हैं ऐसे में अचानक से कैसे खाली कर दे । एक लीज की वजह से हमारी ट्रक यूनियन को खाली करवाया जा रहा है । हम लीज भरने को तैयार है वही नगर परिषद नहीं मानेगा तो हम दूसरे कोर्ट में जाने को भी तैयार है । ऐसे में बूंदी ट्रक यूनियन द्वारा कोर्ट के आदेश को नहीं माना जा रहा है और प्रशासनिक खामियां बताकर आंदोलन के तरीके से अपनी बात को मनाया जा रहा है । लेकिन अब देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती को कैसे मिटेगा क्योंकि प्रशासन के सामने एक तरफ कोर्ट है तो दूसरी तरफ ट्रक यूनियन के सैकड़ों चालक और परिचालक है जो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं ....

बाईट - रत्न सिंह , सचिव , ट्रक यूनियन ,बूंदी
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