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Special: सरकार पर्यटन विकास भूली सरकार तो, अब युवाओं ने संभाली इन झीलों को सवारने की जिम्मेदारी.. - begin to save lakes

न तो सरकार जिले का विकास करा सकी और यहां की प्राकृतिक धरोहरों को सहेज पा रही है. ऐसे में बदहाली के दौर से गुजर रही बूंदी की ऐतिहासिक झीलों को सहेजने की कोशिश यहां युवाओं ने शुरू कर दी है. युवाओं की ओर से झील बचाओ संघर्ष समिति बनाकर इन झीलों को संवारने की तैयारी शुरू की गई है.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू, Preparations begin to save lakes
झीलों को बचाने की तैयारी शुरू
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Published : Oct 5, 2020, 8:16 PM IST

बूंदी. छोटी काशी की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली झीलें दुर्दशा की शिकार हो रहीं हैं. जिम्मेदार महकमे न इसकी सुंदरता पर ध्यान दे रहे हैं और न ही इनके संरक्षण पर. यहां तक कि जनप्रतिनिधियों ने भी इन झीलों से मुंह फेर लिया है. ऐसे हालातों में अपनी सुंदरता खोती जा रही ऐतिहासिक जिले के नवसागर और जैतसागर झील को बचाने के लिए युवा आगे आए हैं.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू

अभियान की शुरुआत करने से पहले युवाओं ने जैतसागर झील पर माधव की पीढ़ियों पर मीटिंग की और सर्व समिति से जैतसागर और नवल सागर झील बचाओ अभियान समिति का गठन किया. यह समिति कार्ययोजना निर्धारित कर अपने प्रयास शुरू करेगी. इसमें सबसे पहले जन जागरण करने का निर्णय लिया गया है, जिससे आमजन की इसमें ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुरक्षित हो सके.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू, Preparations begin to save lakes
अब युवा बचाएंगे झीलों को

पढ़ेंः Special: कोरोना काल में जिम से परहेज, साइकिल का बढ़ा क्रेज

दोनों झीले छोटी काशी की दो आंखों के समान हैं. यहां आने वाले पर्यटक इन झीलों को देखे बिना नहीं जाते हैं, लेकिन इन दिनों यह जैतसागर झील पूरी तरह से गंदगी और कमल जड़ों से पटी हुई है. वहीं नवल सागर झील का पानी तो पूरी तरह से मटमैला हो गया है. इस बार पर्याप्त बरसात नहीं होने के चलते नवल सागर झील का पानी बदबू मारने लगा है.

बूंदी शहर के मुख्य द्वार पर जब शहर में प्रवेश करते हैं, तो सबसे पहले नवल सागर झील के दीदार होते हैं. वहीं सामने बूंदी का गढ़ पैलेस भी है और झील के पानी में इसका प्रतिबंब भी नजर आता है. झील के चारों ओर बड़े-बड़े घाट बने हुए हैं और बीच में छतरी बनी हुई है, जो इस झील में चार चांद लगाते हैं, लेकिन काफी लंबे समय से यह झील असामाजिक तत्वों द्वारा अपने चपेट में ले ली गई है और यहां पर लगे सुंदरता वाले साइन बोर्ड, विद्युत लाइटों को तोड़ दिया गया है. यहां तक कि इस झील के आसपास लोगों की ओर से गंदा पानी भी छोड़ा जा रहा है.

पढ़ेंः Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति

इसी तरह शहर के ग्रामीण एरिये की तरफ प्रवेश करते समय दलेलपुरा रोड पर जैतसागर झील बनी हुई है. जहां पर झील में हमेशा पानी लबालब रहता है और यह झील चारों और पहाड़ों से घिरी हुई है. लेकिन अब आलम यह है कि इस झील में काफी लंबे समय से कमल जोड़ों ने डेरा जमा लिया है. कमल जड़ोें के कारण झील का पानी दलदल का रूप ले चुका है. जो थोड़ी बहुत झील की सुंदरता बची थी वह यहां के कुछ लोगों ने बिगाड़ दिया है और घाटों पर न चाहते हुए भी लोगों को गंदगी देखनी पड़ती है.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू, Preparations begin to save lakes
झीलों में हर जगह कचरा ही कचरा

यहां तक कि लोगों ने घाटों को धोबी घाट भी बना दिया है. इस झील का कोई ऐसा किनारा नहीं बचा है, जहां पर गंदगी का अंबार नहीं लगा हो. इस झील के बीचों-बीच सुख महल भी है. जहां पर किसी समय राजा अपनी सुख शांति के लिए पहुंचते थे और वहां झील किनारे बैठते थे. इसी झील के पास जिला म्यूजियम भी है. जिसमें बूंदी सहित आसपास की प्राचीन वस्तुएं रखी हैं. ऐतिहासिक झील जैतसागर भी अब वक्त के साथ अपना अस्तित्व खोती जा रही है.

इन झीलों को देखने के लिए हजारों की तादाद में पर्यटक आते हैं. हमेशा चुनाव में इन दोनों झीलों को सहेजने और विकास कराने की बात की जाती है, लेकिन जब चुनाव पूरे हो जाते हैं तो किसी भी राजनेता ने आज तक बूंदी की इन ऐतिहासिक झीलों को संवारने की कोशिश नहीं की है.

ऐसे में कई जन प्रतिनिधि आकर चले गए, लेकिन आज दिन तक भी बूंदी कि इन जिलों के लिए कोई विशेष बजट नहीं दिया है. पर्यटन विभाग भी इस झीलों में छोटे-मोटे मरम्मत करवा कर अपना पल्ला झाड़ लेता है. ऐसे में सरकार की अनदेखी के बाद बूंदी के युवाओं ने अपने हाथ मजबूत करते हुए खुद इन दोनों झीलों को संवारने का कदम उठाया है और इन झीलों को बचाने की मुहिम शुरू करते हुए नवल सागर - जैतसागर झील बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर आमजन को जोड़ने की मुहिम शुरू की है.

इस समिति द्वारा शहर में जन जागरण करने के बाद इस झील के किनारों की साफ सफाई शुरू करने का काम किया जाएगा और जैतसागर झील के कमल जोड़ों को हटाया जाएगा. वहीं बाद में नवल सागर झील में निकल रहे नालों को भी यह समिति बंद कराने का काम करेगी और इस दोनों झीलों को स्वच्छ रखने का काम किया जाएगा. जिससे यह झीले अपना मूल स्वरूप नहीं खोए.

पढ़ेंः Special: तितलियों के झुंड ने बढ़ाया कौतूहल, विशेषज्ञ बोले- चिंता की बात नहीं

समिति के सदस्यों का कहना है कि सरकार यदि इस मामले में बजट देगी तो ठीक है, वरना आमजन के सहयोग से यह समिति सहयोग लेकर इन झीलों का विकास कराने में भी पीछे नहीं हटेगी. युवाओं का कहना है कि सरकार अब तक कई आ चुकी है और कहीं जा भी चुकी है. लेकिन बूंदी कि इन झीलों का किसी ने ध्यान नहीं दिया. जरूरी भी है कि जो पानी के स्त्रोत है, वह बचे रहें और इनका इतिहास भी बचा रहे. जिससे आने वाली पीढ़ियों को इतिहास के लिए कुछ बचाया जा सके, वरना वह दिन दूर नहीं जब इतिहास के पन्नों से बूंदी की यह झीले अपना मूल स्वरूप होती चली जाएगी

बूंदी. छोटी काशी की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली झीलें दुर्दशा की शिकार हो रहीं हैं. जिम्मेदार महकमे न इसकी सुंदरता पर ध्यान दे रहे हैं और न ही इनके संरक्षण पर. यहां तक कि जनप्रतिनिधियों ने भी इन झीलों से मुंह फेर लिया है. ऐसे हालातों में अपनी सुंदरता खोती जा रही ऐतिहासिक जिले के नवसागर और जैतसागर झील को बचाने के लिए युवा आगे आए हैं.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू

अभियान की शुरुआत करने से पहले युवाओं ने जैतसागर झील पर माधव की पीढ़ियों पर मीटिंग की और सर्व समिति से जैतसागर और नवल सागर झील बचाओ अभियान समिति का गठन किया. यह समिति कार्ययोजना निर्धारित कर अपने प्रयास शुरू करेगी. इसमें सबसे पहले जन जागरण करने का निर्णय लिया गया है, जिससे आमजन की इसमें ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुरक्षित हो सके.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू, Preparations begin to save lakes
अब युवा बचाएंगे झीलों को

पढ़ेंः Special: कोरोना काल में जिम से परहेज, साइकिल का बढ़ा क्रेज

दोनों झीले छोटी काशी की दो आंखों के समान हैं. यहां आने वाले पर्यटक इन झीलों को देखे बिना नहीं जाते हैं, लेकिन इन दिनों यह जैतसागर झील पूरी तरह से गंदगी और कमल जड़ों से पटी हुई है. वहीं नवल सागर झील का पानी तो पूरी तरह से मटमैला हो गया है. इस बार पर्याप्त बरसात नहीं होने के चलते नवल सागर झील का पानी बदबू मारने लगा है.

बूंदी शहर के मुख्य द्वार पर जब शहर में प्रवेश करते हैं, तो सबसे पहले नवल सागर झील के दीदार होते हैं. वहीं सामने बूंदी का गढ़ पैलेस भी है और झील के पानी में इसका प्रतिबंब भी नजर आता है. झील के चारों ओर बड़े-बड़े घाट बने हुए हैं और बीच में छतरी बनी हुई है, जो इस झील में चार चांद लगाते हैं, लेकिन काफी लंबे समय से यह झील असामाजिक तत्वों द्वारा अपने चपेट में ले ली गई है और यहां पर लगे सुंदरता वाले साइन बोर्ड, विद्युत लाइटों को तोड़ दिया गया है. यहां तक कि इस झील के आसपास लोगों की ओर से गंदा पानी भी छोड़ा जा रहा है.

पढ़ेंः Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति

इसी तरह शहर के ग्रामीण एरिये की तरफ प्रवेश करते समय दलेलपुरा रोड पर जैतसागर झील बनी हुई है. जहां पर झील में हमेशा पानी लबालब रहता है और यह झील चारों और पहाड़ों से घिरी हुई है. लेकिन अब आलम यह है कि इस झील में काफी लंबे समय से कमल जोड़ों ने डेरा जमा लिया है. कमल जड़ोें के कारण झील का पानी दलदल का रूप ले चुका है. जो थोड़ी बहुत झील की सुंदरता बची थी वह यहां के कुछ लोगों ने बिगाड़ दिया है और घाटों पर न चाहते हुए भी लोगों को गंदगी देखनी पड़ती है.

झीलों को बचाने की तैयारी शुरू, Preparations begin to save lakes
झीलों में हर जगह कचरा ही कचरा

यहां तक कि लोगों ने घाटों को धोबी घाट भी बना दिया है. इस झील का कोई ऐसा किनारा नहीं बचा है, जहां पर गंदगी का अंबार नहीं लगा हो. इस झील के बीचों-बीच सुख महल भी है. जहां पर किसी समय राजा अपनी सुख शांति के लिए पहुंचते थे और वहां झील किनारे बैठते थे. इसी झील के पास जिला म्यूजियम भी है. जिसमें बूंदी सहित आसपास की प्राचीन वस्तुएं रखी हैं. ऐतिहासिक झील जैतसागर भी अब वक्त के साथ अपना अस्तित्व खोती जा रही है.

इन झीलों को देखने के लिए हजारों की तादाद में पर्यटक आते हैं. हमेशा चुनाव में इन दोनों झीलों को सहेजने और विकास कराने की बात की जाती है, लेकिन जब चुनाव पूरे हो जाते हैं तो किसी भी राजनेता ने आज तक बूंदी की इन ऐतिहासिक झीलों को संवारने की कोशिश नहीं की है.

ऐसे में कई जन प्रतिनिधि आकर चले गए, लेकिन आज दिन तक भी बूंदी कि इन जिलों के लिए कोई विशेष बजट नहीं दिया है. पर्यटन विभाग भी इस झीलों में छोटे-मोटे मरम्मत करवा कर अपना पल्ला झाड़ लेता है. ऐसे में सरकार की अनदेखी के बाद बूंदी के युवाओं ने अपने हाथ मजबूत करते हुए खुद इन दोनों झीलों को संवारने का कदम उठाया है और इन झीलों को बचाने की मुहिम शुरू करते हुए नवल सागर - जैतसागर झील बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर आमजन को जोड़ने की मुहिम शुरू की है.

इस समिति द्वारा शहर में जन जागरण करने के बाद इस झील के किनारों की साफ सफाई शुरू करने का काम किया जाएगा और जैतसागर झील के कमल जोड़ों को हटाया जाएगा. वहीं बाद में नवल सागर झील में निकल रहे नालों को भी यह समिति बंद कराने का काम करेगी और इस दोनों झीलों को स्वच्छ रखने का काम किया जाएगा. जिससे यह झीले अपना मूल स्वरूप नहीं खोए.

पढ़ेंः Special: तितलियों के झुंड ने बढ़ाया कौतूहल, विशेषज्ञ बोले- चिंता की बात नहीं

समिति के सदस्यों का कहना है कि सरकार यदि इस मामले में बजट देगी तो ठीक है, वरना आमजन के सहयोग से यह समिति सहयोग लेकर इन झीलों का विकास कराने में भी पीछे नहीं हटेगी. युवाओं का कहना है कि सरकार अब तक कई आ चुकी है और कहीं जा भी चुकी है. लेकिन बूंदी कि इन झीलों का किसी ने ध्यान नहीं दिया. जरूरी भी है कि जो पानी के स्त्रोत है, वह बचे रहें और इनका इतिहास भी बचा रहे. जिससे आने वाली पीढ़ियों को इतिहास के लिए कुछ बचाया जा सके, वरना वह दिन दूर नहीं जब इतिहास के पन्नों से बूंदी की यह झीले अपना मूल स्वरूप होती चली जाएगी

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