बूंदी. देश में कोरोना वायरस का लगातार संक्रमण बढ़ता जा रहा है और इस संक्रमण से बचने के लिए चिकित्सा विभाग लगातार कोशिश कर रहा है. इसी बीच चिकित्सा विभाग से खबर निकल कर सामने आई है. यहां पर बूंदी चिकित्सा विभाग ने बूंदी अस्पताल में मुख्यमंत्री जांच केंद्र में लगे 12 से अधिक लैब टेक्नीशियन को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यहां पर अस्पताल अधीक्षक की ओर से सभी लैब टेक्नीशियन को मौखिक आधार पर हटा दिया गया है. जिसके कारण बूंदी अस्पताल में मुख्यमंत्री जांच केंद्र पर जांचे बंद हो गई है.
बूंदी अस्पताल में तीन जांच केंद्र है यहां पर यह लैब टेक्नीशियन कार्य किया करते थे, लेकिन इन्हें हटाने के बाद यहां पर जांच बंद हो गई है और अस्पताल अधीक्षक की ओर से अपने स्तर पर ही एक जांच केंद्र को शुरू करवाया गया है. जहां पर टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं और भीड़ भाड़ अधिक हो रही है. इन लैब टेक्नीशियन को हटाने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.
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पीएमओ की ओर से साफ कहा गया है कि सभी को हटा दिया गया है. वह सब अब प्लेसमेंट एजेंसी के मार्फत यहां काम करेंगे. इस पर लैब टेक्नीशियन कर्मचारियों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि वह सरकार की प्रणाली के अनुसार कार्य कर रहे थे. वह निजी एजेंसी के मार्फत कैसे कार्य करते हैं तो उन्होंने ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है और वह भी काम पर नहीं जा रहे हैं.
ऐसे में उन्होंने अस्पताल के बाहर डेरा जमा लिया है और रोज सांकेतिक रूप से लैब टेक्नीशियन अस्पताल के बाहर अस्पताल अधीक्षक के विरुद्ध प्रदर्शन भी कर रहे हैं और सरकार को उन्होंने खत लिखा है. जिसमें इच्छा मृत्यु की भी मांग की है. एक ओर पूरे देश में कोरोना वॉरियर्स के रूप में स्वास्थ्य कर्मी उभर कर आए हैं. दूसरी ओर बूंदी अस्पताल अधीक्षक की ओर से लैब टेक्नीशीयन को बाहर निकालने की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है.
सभी लैब टेक्नीशियन ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है और ज्ञापन भेजते हुए मांग की है कि उन्हें पहले प्रणाली के तहत लगाया जाए और प्लेसमेंट एजेंसी के तहत जो लगाए जा रहे हैं वो हटाया जाए क्योंकि प्लेसमेंट एजेंसी के मार्फत उन्हें काम करने में परेशानी आएगी और उन्हें भुगतान भी सही से नहीं मिल पाएगा.
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साथ में उन्होंने कहा कि जब से मुख्यमंत्री जांच योजना शुरू हुई है. तब से उन्हें भर्ती किया गया था और काफी लंबे समय से वह जिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्य कर रहे हैं, लेकिन पीएमओ की ओर से उन्हें हटाया जा रहा है जो कि बहुत गलत है और इस संकटकाल में उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है.
हालांकि पीएमओ की ओर से लैब टेक्नीशियन को हटाने का कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन पिछले 1 सप्ताह से मुख्य का आधार पर आदेश जारी होने के बाद इन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते बूंदी अस्पताल में जांच केंद्रों पर जांच नहीं हो पा रही है, जिससे आमजन और मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. रोज 400 से 500 लोगों की यहां पर जांच हुआ करती थी जो कि अब इन लैब टेक्नीशियन और कटने के बाद बाधित हो गई है.