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बूंदी में फंसे यूपी के मजदूरों की CM योगी से गुहार...कहा- जैसे कोटा से छात्रों को बुला लिए, वैसे ही हम गरीबों को भी बुला लिजिए

बूंदी में 34 दिनों से फंसे यूपी के चना जोर गरम बेचने वाले गरीब दिहाड़ी मजदूरों का दर्द भी छलका है. यहां पर यूपी सरकार द्वारा कोटा में यूपी के छात्रों को लेने के लिए 250 बसें कोटा भिजवाई थी, लेकिन उन छात्रों को तो कोटा से यूपी ले जाया गया. लेकिन कोटा से 40 किलोमीटर दूर बूंदी में फंसे यूपी के चना जोर गरम बेचने वाले मजदूरों को नहीं ले जाया गया, जिससे मजदूरों को काफी गहरी ठेस पहुंची है. उन्होंने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से भावनात्मक पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है.

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Published : Apr 24, 2020, 4:03 PM IST

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मजदूरों ने लगाई गुहार...

बूंदी. ''हम परेशान हैं हमारे पास कुछ नहीं कब तक दूसरों से खाना मांगेंगे, अब तो भीख मांग-मांगकर भी थक गए हैं, खाना नहीं मिलेगा तो ऐसे ही मर जाएंगे.'' यह कहना है यूपी के फंसे मजदूरों का. जी हां बूंदी में पिछले 34 दिनों से यूपी के चना जोर गरम बेचने वाले दिहाड़ी मजदूरों की कहानी से बयां हो रहा है. बूंदी में करीब 7 मजदूर ऐसे हैं, जो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और बूंदी शहर में चना जोर गरम बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.

मजदूरों ने लगाई गुहार...

ये लोग यहां पर अकेले ही रहते हैं और उनकी फैमिली उत्तर प्रदेश में निवास करती है. यहां से कमाकर उत्तर प्रदेश अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के साथ ही बाजार थम गया है तो इन लोगों के सिर पर रोजी-रोटी का संकट आ पड़ा है. अब ये लोग ऐसे ही खाने के मोहताज हो गए हैं, इन मजदूरों के पास जब लॉकडाउन हुआ था तो कुछ सामाजिक संस्था हैं, इन्हें राशन किट देने के लिए पहुंची. लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ा तो कोई सामाजिक संस्थाएं नहीं पहुंच रही है. ऐसे में ये मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं और खाने के लिए मोहताज हो रहे हैं, जिससे मजदूर भी अब थक चुके हैं और उन्हें अपनी सरकार पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है.

यह भी पढ़ेंः कोटा में फंसे बच्चों की गुहार...नीतीश अंकल! हमें परिवार की बहुत जरूरत है, प्लीज घर बुला लीजिए

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के 7 चना जोर गरम मजदूर 34 दिन से बूंदी में फंसे हुए हैं. यूपी में मजदूरों के माता-पिता और परिवार की चिंता में रो-रोकर बुरा हाल है. हाल ही में ही यूपी से 250 बसें राजस्थान के कोटा में छात्रों को लेने के लिए आई थी. लेकिन मजदूरों को नहीं लेकर गई तो मजदूरों के मन में गहरी ठेस पहुंची है. इन मजदूरों को यूपी का राशन कार्ड पहचान पत्र होने से राजस्थान सरकार की कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों को सामाजिक संस्थाओं और आस-पड़ोस के लोगों से ही मदद मिल पा रही है. अब वे मदद के हाथ भी पीछे हो गए हैं. इन मजदूरों की मानें तो अब ये मजदूर रोज इधर-उधर भटककर भिक्षावृत्ति करने पर मजबूर हो रहे हैं.

इन मजदूरों ने सरकार से मांग भी की थी, लेकिन सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया तो गरीब मजदूरों ने अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी से मदद की आस लगाई है और अपने हाथों से यूपी के इन सात मजदूरों ने प्रियंका गांधी के लिए एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे यूपी के मजदूरों की मदद की मांग की है. साथ ही कहा है कि यूपी के छात्रों के लिए तो योगी जी ने बसे तक चला दी. लेकिन हमारे लिए वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं. कोटा से 40 किलोमीटर दूर बूंदी में हम फंसे हुए हैं और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. ऐसे में आप ही हमारी मदद करें, हम भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं.

22 अप्रैल को लिखा प्रियंका गांधी को मदद का खत...

शहर के लंका गेट इलाके में एक झज्जर मकान में रह रहे इन सात मजदूरों ने 22 अप्रैल को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को मदद की गुहार के लिए खत लिखा था और उनसे आस लगाई थी कि वह सरकार से वह अपने स्तर पर मदद कर इन मजदूरों को अपने घर गाजीपुर जिले में भिजवा आएगी. लेकिन अभी तक कोई हलचल है, सामने नहीं आई है. मजदूर ये भी मानते हैं कि सरकार ने छात्रों को लेने के लिए दबाव में आकर छात्रों को यूपी बुलवाया है. लेकिन कोटा और बूंदी के अंदर फंसे यूपी के मजदूरों के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया. मजदूर साफ-साफ तौर पर अपने सरकार पर भेदभाव का भी आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार बड़े लोगों के लिए तो बड़ी-बड़ी बस से भिजवा रही है. लेकिन हमारे लिए सरकार ने एक बस तक नहीं भिजवाई है, हम जाएं तो कहां जाएं.

मजदूर बोले हम तो ऐसे ही मर जाएंगे, लेकिन हम नहीं पहुंचेंगे घर...

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से और प्रियंका गांधी से गुहार लगा रहे इन मजदूरों की कहानी बड़ी दुख की दासता से हैं. ये मजदूर अब खाने के लिए मोहताज हो गए हैं. इनका धंधा चला गया है दूसरी ओर इन लोगों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल पा रहा, जिसके चलते अब आंखों से आंसू भी छलक रहे हैं. लेकिन आखिरकार ये लोग जाएं तो कहां. क्योंकि इनकी रिश्तेदारी भी यहां नहीं है और दस्तावेज भी यहां के नहीं हैं तो तब मजदूरों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. ईटीवी भारत की टीम जब शहर के लंका गेट इलाके में पहुंची तो यहां पर मजदूरों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर कहा कि हम बड़े परेशान हैं. शुरुआती दौर पर हम लोगों से खाने का किट मिल गया था, जिससे हमने गुजारा कर लिया. लेकिन अब न तो को सामाजिक संस्थाएं में देने के लिए आ रही है न ही सरकार की ओर से हमें कोई मदद मिली है. हम लोग इधर-उधर भटक रहे हैं और खाने के जुगाड़ में सुबह शाम इधर-उधर जाते रहते हैं. यानि यूं माने कि हम खाने के लिए भीख मांग रहे हैं. तड़प रहे हैं और अगर हमें खाना नहीं मिला. ऐसे ही मर जाएंगे लेकिन हमारे घर हम नहीं पहुंच पाएंगे. इसलिए हमने कांग्रेस कि प्रियंका गांधी को खत लिखकर हमें घर पर बुलाने की मांग की है.

चना जोर गरम बेचने वाले मजदूरों की 1 दिन की आय करीब 300 रुपए...

शहर के लंका गेट इलाके में रहने वाले यह 7 मजदूर शहर के अलग इलाकों में चना जोर गरम भेजते हैं और रोज इनको करीब 300 रुपए के आसपास मजदूरी मिल जाती है. शहर के इस इलाके में यह किराए के मकान में रहते हैं, जिसका किराया 1200 रुपए है. ऐसे में पिछले एक माह से लॉकडाउन जारी होने के साथ ही इनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. ऐसे में मकान का किराया कैसे देंगे, यह सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है.

बूंदी प्रशासन भी नहीं पहुंच रहा इन मजदूरों के पास...

प्रशासन का दावा है कि कोई भी मजदूर भूखा नहीं सोएगा, लेकिन बूंदी में प्रशासन का सारा दावा खोखला साबित होता हुआ नजर आ रहा है. यहां पर इन मजदूरों के पास बूंदी प्रशासन अभी तक नहीं पहुंचा है न ही इन लोगों को खाने की कोई व्यवस्था करवाई गई है. मजदूर साफ तौर से चारों ओर परेशान ही परेशान नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः बूंदी पहुंची मजदूरों से भरी बस...स्क्रीनिंग करा सभी को छोड़ा गया घर

यूपी के गाजीपुर जिले के 7 चना जोर गरम बेचने वाले दिहाड़ी मजदूर रोज इधर-उधर भटक कर अपने लिए खाने के लिए जुगाड़ करते रहते हैं और इन्हें कड़ी मशक्कत के बाद इधर-उधर खाना भी मिलता है. लेकिन लाख मेहनत करने के बाद इन लोगों को खाना मिलता है तो मजदूरों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार को इन मजदूरों की मांग पर ध्यान दिया जाए या इन मजदूरों को समय रहते खाना उपलब्ध करवाया जाए. ताकि ये मजदूर परेशान नहीं हो. अब देखना होगा कि मजदूरों ने यूपी प्रभारी और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को खत लिखा है. खत के बाद किस तरीके से सरकार इस मामले को संज्ञान में लेती है, यह देखना होगा. इन मजदूरों की यूपी वापसी होगी या यह मजदूर यही परेशान होते रहेंगे.

बूंदी. ''हम परेशान हैं हमारे पास कुछ नहीं कब तक दूसरों से खाना मांगेंगे, अब तो भीख मांग-मांगकर भी थक गए हैं, खाना नहीं मिलेगा तो ऐसे ही मर जाएंगे.'' यह कहना है यूपी के फंसे मजदूरों का. जी हां बूंदी में पिछले 34 दिनों से यूपी के चना जोर गरम बेचने वाले दिहाड़ी मजदूरों की कहानी से बयां हो रहा है. बूंदी में करीब 7 मजदूर ऐसे हैं, जो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और बूंदी शहर में चना जोर गरम बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.

मजदूरों ने लगाई गुहार...

ये लोग यहां पर अकेले ही रहते हैं और उनकी फैमिली उत्तर प्रदेश में निवास करती है. यहां से कमाकर उत्तर प्रदेश अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के साथ ही बाजार थम गया है तो इन लोगों के सिर पर रोजी-रोटी का संकट आ पड़ा है. अब ये लोग ऐसे ही खाने के मोहताज हो गए हैं, इन मजदूरों के पास जब लॉकडाउन हुआ था तो कुछ सामाजिक संस्था हैं, इन्हें राशन किट देने के लिए पहुंची. लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ा तो कोई सामाजिक संस्थाएं नहीं पहुंच रही है. ऐसे में ये मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं और खाने के लिए मोहताज हो रहे हैं, जिससे मजदूर भी अब थक चुके हैं और उन्हें अपनी सरकार पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है.

यह भी पढ़ेंः कोटा में फंसे बच्चों की गुहार...नीतीश अंकल! हमें परिवार की बहुत जरूरत है, प्लीज घर बुला लीजिए

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के 7 चना जोर गरम मजदूर 34 दिन से बूंदी में फंसे हुए हैं. यूपी में मजदूरों के माता-पिता और परिवार की चिंता में रो-रोकर बुरा हाल है. हाल ही में ही यूपी से 250 बसें राजस्थान के कोटा में छात्रों को लेने के लिए आई थी. लेकिन मजदूरों को नहीं लेकर गई तो मजदूरों के मन में गहरी ठेस पहुंची है. इन मजदूरों को यूपी का राशन कार्ड पहचान पत्र होने से राजस्थान सरकार की कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों को सामाजिक संस्थाओं और आस-पड़ोस के लोगों से ही मदद मिल पा रही है. अब वे मदद के हाथ भी पीछे हो गए हैं. इन मजदूरों की मानें तो अब ये मजदूर रोज इधर-उधर भटककर भिक्षावृत्ति करने पर मजबूर हो रहे हैं.

इन मजदूरों ने सरकार से मांग भी की थी, लेकिन सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया तो गरीब मजदूरों ने अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी से मदद की आस लगाई है और अपने हाथों से यूपी के इन सात मजदूरों ने प्रियंका गांधी के लिए एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे यूपी के मजदूरों की मदद की मांग की है. साथ ही कहा है कि यूपी के छात्रों के लिए तो योगी जी ने बसे तक चला दी. लेकिन हमारे लिए वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं. कोटा से 40 किलोमीटर दूर बूंदी में हम फंसे हुए हैं और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. ऐसे में आप ही हमारी मदद करें, हम भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं.

22 अप्रैल को लिखा प्रियंका गांधी को मदद का खत...

शहर के लंका गेट इलाके में एक झज्जर मकान में रह रहे इन सात मजदूरों ने 22 अप्रैल को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को मदद की गुहार के लिए खत लिखा था और उनसे आस लगाई थी कि वह सरकार से वह अपने स्तर पर मदद कर इन मजदूरों को अपने घर गाजीपुर जिले में भिजवा आएगी. लेकिन अभी तक कोई हलचल है, सामने नहीं आई है. मजदूर ये भी मानते हैं कि सरकार ने छात्रों को लेने के लिए दबाव में आकर छात्रों को यूपी बुलवाया है. लेकिन कोटा और बूंदी के अंदर फंसे यूपी के मजदूरों के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया. मजदूर साफ-साफ तौर पर अपने सरकार पर भेदभाव का भी आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार बड़े लोगों के लिए तो बड़ी-बड़ी बस से भिजवा रही है. लेकिन हमारे लिए सरकार ने एक बस तक नहीं भिजवाई है, हम जाएं तो कहां जाएं.

मजदूर बोले हम तो ऐसे ही मर जाएंगे, लेकिन हम नहीं पहुंचेंगे घर...

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से और प्रियंका गांधी से गुहार लगा रहे इन मजदूरों की कहानी बड़ी दुख की दासता से हैं. ये मजदूर अब खाने के लिए मोहताज हो गए हैं. इनका धंधा चला गया है दूसरी ओर इन लोगों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल पा रहा, जिसके चलते अब आंखों से आंसू भी छलक रहे हैं. लेकिन आखिरकार ये लोग जाएं तो कहां. क्योंकि इनकी रिश्तेदारी भी यहां नहीं है और दस्तावेज भी यहां के नहीं हैं तो तब मजदूरों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. ईटीवी भारत की टीम जब शहर के लंका गेट इलाके में पहुंची तो यहां पर मजदूरों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर कहा कि हम बड़े परेशान हैं. शुरुआती दौर पर हम लोगों से खाने का किट मिल गया था, जिससे हमने गुजारा कर लिया. लेकिन अब न तो को सामाजिक संस्थाएं में देने के लिए आ रही है न ही सरकार की ओर से हमें कोई मदद मिली है. हम लोग इधर-उधर भटक रहे हैं और खाने के जुगाड़ में सुबह शाम इधर-उधर जाते रहते हैं. यानि यूं माने कि हम खाने के लिए भीख मांग रहे हैं. तड़प रहे हैं और अगर हमें खाना नहीं मिला. ऐसे ही मर जाएंगे लेकिन हमारे घर हम नहीं पहुंच पाएंगे. इसलिए हमने कांग्रेस कि प्रियंका गांधी को खत लिखकर हमें घर पर बुलाने की मांग की है.

चना जोर गरम बेचने वाले मजदूरों की 1 दिन की आय करीब 300 रुपए...

शहर के लंका गेट इलाके में रहने वाले यह 7 मजदूर शहर के अलग इलाकों में चना जोर गरम भेजते हैं और रोज इनको करीब 300 रुपए के आसपास मजदूरी मिल जाती है. शहर के इस इलाके में यह किराए के मकान में रहते हैं, जिसका किराया 1200 रुपए है. ऐसे में पिछले एक माह से लॉकडाउन जारी होने के साथ ही इनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. ऐसे में मकान का किराया कैसे देंगे, यह सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है.

बूंदी प्रशासन भी नहीं पहुंच रहा इन मजदूरों के पास...

प्रशासन का दावा है कि कोई भी मजदूर भूखा नहीं सोएगा, लेकिन बूंदी में प्रशासन का सारा दावा खोखला साबित होता हुआ नजर आ रहा है. यहां पर इन मजदूरों के पास बूंदी प्रशासन अभी तक नहीं पहुंचा है न ही इन लोगों को खाने की कोई व्यवस्था करवाई गई है. मजदूर साफ तौर से चारों ओर परेशान ही परेशान नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः बूंदी पहुंची मजदूरों से भरी बस...स्क्रीनिंग करा सभी को छोड़ा गया घर

यूपी के गाजीपुर जिले के 7 चना जोर गरम बेचने वाले दिहाड़ी मजदूर रोज इधर-उधर भटक कर अपने लिए खाने के लिए जुगाड़ करते रहते हैं और इन्हें कड़ी मशक्कत के बाद इधर-उधर खाना भी मिलता है. लेकिन लाख मेहनत करने के बाद इन लोगों को खाना मिलता है तो मजदूरों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार को इन मजदूरों की मांग पर ध्यान दिया जाए या इन मजदूरों को समय रहते खाना उपलब्ध करवाया जाए. ताकि ये मजदूर परेशान नहीं हो. अब देखना होगा कि मजदूरों ने यूपी प्रभारी और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को खत लिखा है. खत के बाद किस तरीके से सरकार इस मामले को संज्ञान में लेती है, यह देखना होगा. इन मजदूरों की यूपी वापसी होगी या यह मजदूर यही परेशान होते रहेंगे.

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