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बूंदीः इस फाउंडेशन ने 'ग्राम रूट्स' के तहत स्वरोजगार के लिए शुरू की अनूठी पहल - ‘ग्राम रूट्स’

कोरोना से जद्दोजहद करते हुए देश में ‘मैं भारत' फाउंडेशन ने ‘ग्राम रूट्स’ के तहत ग्रामीणों के पोषण, स्वास्थ्य के साथ स्वरोजगार के लिए अनूठी पहल शुरू की है. फाउंडेशन ने बूंदी के हिंडौली रेंज में ‘देश को करें रोशन, स्वच्छ हवा और उत्तम पोषण’ अभियान की ओर से ग्रामीणों को अपने घर के आसपास ही सब्जियां, फल, औषधि वाले पौधों के साथ ऑक्सीजन प्लांट्स उगाने, संभालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

‘ग्राम रूट्स’, self-employment
मैं भारत’ फ़ाउंडेशन की पहल
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Published : Nov 24, 2020, 1:06 PM IST

बूंदी. कोरोना संक्रमण के समय हमारा देश सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है. जिसका सीधा असर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के पोषण और स्वास्थ्य पर पड़ा है. हमारे देश में 0 से 19 साल के लाखों भारतीय बच्चों में कुपोषण की समस्या पहले भी गंभीर थी जो कोरोना काल में और भी विकराल रूप ले चुकी है. कोरोना से जद्दोजहद करते हुए देश में ‘मैं भारत’ फाउंडेशन ने ‘ग्राम रूट्स’ के तहत ग्रामीणों के पोषण, स्वास्थ्य के साथ स्वरोजगार के लिए अनूठी पहल शुरू की है. फाउंडेशन की ओर से बूंदी के हिंडौली रेंज में ‘देश को करे रोशन, स्वच्छ हवा और उत्तम पोषण’ अभियान की ओर से ग्रामीणों को अपने घर के आसपास ही सब्जियां, फल, औषधि वाले पोधों के साथ ऑक्सीजन प्लांट्स उगाने, संभालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

इसमें घर से निकलने वाले वेस्ट पानी से सिंचाई और घर से निकलने वाले सब्जियों के छिलके और दूसरे कचरे का खाद के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. फाउंडेशन की ओर से ग्रामीणों को ‘मैं भारत महिला अर्बन सहयोग समूह’ से जोड़ा गया है. ये समूह ग्रामीणों की ओर से उगाई जाने वाली सब्ज़ी और फलों आदि को स्वयं के इस्तेमाल के अलावा ऑक्सिजन प्लांट्स, औषधि युक्त पौधों आदि को शहरी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध करवाकर योजना को स्वपोषित किए जाने के लिए प्रयासरत है. मैं भारत फाउंडेशन के संस्थापक, रितेश शर्मा के अनुसार कोरोना में ग्रामीणों के पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रयास करना जरुरी है. कोरोना वायरस के कारण देश के ग्रामीण इलाकों में छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों के लिए अतिआवश्यक पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

यह भी पढ़े: SC/ST को छात्रवृत्ति जारी करने के नाम पर 18 हजार की रिश्वत लेते दलाल गिरफ्तार

'ग्राम रूट्स' के जरिए ग्रामीणों को पौष्टिक आहार के साथ शहरों में स्वच्छ वायु प्रदान करने का स्थायी समाधान देने की कोशिश है. इसमें देशी तकनीक और कौशल के इस्तेमाल से महिलाओं के लिए आर्थिक मॉडल स्थापित किया है. मैं भारत संस्था के 'ग्राम रूट्स' से ग्रामीणों को खुद के घर में ही पौष्टिक भोजन उपलब्ध होने के साथ महिला अर्बन सहयोग समूह’ के साथ रोजगार के अवसर मिलेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं को बल मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा सहारा मिलेगा.

क्यों जरूरी हैं ग्राम रूट्स ?

देश में 58.6 प्रतिशत बच्चे एनीमिया पीड़ित हैं. ग्राम रूट्स के माध्यम से बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया को दूर किए जाने का उद्देश्य है. महिला अर्बन सहयोग समूह की सचिव खुशबू शर्मा ने बताया की ‘हम प्रकृति के संरक्षण के साथ ग्रामीण महिलाओं के उगाए हुए प्रोडक्ट को शहरों तक पंहुचा कर, स्वच्छ वायु और पौष्टिक भोजन के उद्देश्य को साकार करने के साथ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए काम कर रहे हैं. ग्राम रूट्स के माध्यम से ग्रामीणों महिलाओं को परिवार के उत्तम स्वास्थ्य और स्वरोजगार के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जा रहा है. महिलाओं की ओर से बनाए गए प्रोडेक्ट को हमारे ग्रुप की ओर से शहरों में उपलब्ध करवा कर, उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में सहायता की जा रही है.

बूंदी. कोरोना संक्रमण के समय हमारा देश सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है. जिसका सीधा असर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के पोषण और स्वास्थ्य पर पड़ा है. हमारे देश में 0 से 19 साल के लाखों भारतीय बच्चों में कुपोषण की समस्या पहले भी गंभीर थी जो कोरोना काल में और भी विकराल रूप ले चुकी है. कोरोना से जद्दोजहद करते हुए देश में ‘मैं भारत’ फाउंडेशन ने ‘ग्राम रूट्स’ के तहत ग्रामीणों के पोषण, स्वास्थ्य के साथ स्वरोजगार के लिए अनूठी पहल शुरू की है. फाउंडेशन की ओर से बूंदी के हिंडौली रेंज में ‘देश को करे रोशन, स्वच्छ हवा और उत्तम पोषण’ अभियान की ओर से ग्रामीणों को अपने घर के आसपास ही सब्जियां, फल, औषधि वाले पोधों के साथ ऑक्सीजन प्लांट्स उगाने, संभालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

इसमें घर से निकलने वाले वेस्ट पानी से सिंचाई और घर से निकलने वाले सब्जियों के छिलके और दूसरे कचरे का खाद के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. फाउंडेशन की ओर से ग्रामीणों को ‘मैं भारत महिला अर्बन सहयोग समूह’ से जोड़ा गया है. ये समूह ग्रामीणों की ओर से उगाई जाने वाली सब्ज़ी और फलों आदि को स्वयं के इस्तेमाल के अलावा ऑक्सिजन प्लांट्स, औषधि युक्त पौधों आदि को शहरी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध करवाकर योजना को स्वपोषित किए जाने के लिए प्रयासरत है. मैं भारत फाउंडेशन के संस्थापक, रितेश शर्मा के अनुसार कोरोना में ग्रामीणों के पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रयास करना जरुरी है. कोरोना वायरस के कारण देश के ग्रामीण इलाकों में छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों के लिए अतिआवश्यक पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

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'ग्राम रूट्स' के जरिए ग्रामीणों को पौष्टिक आहार के साथ शहरों में स्वच्छ वायु प्रदान करने का स्थायी समाधान देने की कोशिश है. इसमें देशी तकनीक और कौशल के इस्तेमाल से महिलाओं के लिए आर्थिक मॉडल स्थापित किया है. मैं भारत संस्था के 'ग्राम रूट्स' से ग्रामीणों को खुद के घर में ही पौष्टिक भोजन उपलब्ध होने के साथ महिला अर्बन सहयोग समूह’ के साथ रोजगार के अवसर मिलेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं को बल मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा सहारा मिलेगा.

क्यों जरूरी हैं ग्राम रूट्स ?

देश में 58.6 प्रतिशत बच्चे एनीमिया पीड़ित हैं. ग्राम रूट्स के माध्यम से बच्चों में कुपोषण और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया को दूर किए जाने का उद्देश्य है. महिला अर्बन सहयोग समूह की सचिव खुशबू शर्मा ने बताया की ‘हम प्रकृति के संरक्षण के साथ ग्रामीण महिलाओं के उगाए हुए प्रोडक्ट को शहरों तक पंहुचा कर, स्वच्छ वायु और पौष्टिक भोजन के उद्देश्य को साकार करने के साथ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए काम कर रहे हैं. ग्राम रूट्स के माध्यम से ग्रामीणों महिलाओं को परिवार के उत्तम स्वास्थ्य और स्वरोजगार के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जा रहा है. महिलाओं की ओर से बनाए गए प्रोडेक्ट को हमारे ग्रुप की ओर से शहरों में उपलब्ध करवा कर, उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में सहायता की जा रही है.

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