ETV Bharat / state

Hitendra Garasiya Case : 6 माह से पिता का शव रूस से भारत नहीं आने से दुखी बेटी ने भरी हुंकार, 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... नारे के साथ जताया विरोध

उदयपुर के हितेन्द्र गरासिया की बेटी उर्वशी ने नई दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नारे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... के साथ अपने पिता का शव भारत लाने के लिए प्रदर्शन (Hitendra Garasiya daughter protest in New Delhi) किया. उनका कहना है कि जब तक पिता का शव भारत नहीं लाया जाता, वे लड़ती रहेंगी.

Hitendra Garasiya Case
6 माह से पिता का शव रूस से भारत नहीं आने से दुखी राजस्थान की आदिवासी बेटी ने भरी हुंकार
author img

By

Published : Jan 22, 2022, 10:34 PM IST

Updated : Jan 22, 2022, 11:02 PM IST

नई दिल्ली/बूंदी. पिछले छह माह से अधिक समय से रूस में मृत अपने पिता का शव (Hitendra Garasiya dead body case) सम्मानजनक दाह संस्कार लिए भारत लाने के बजाय रूस में ही दफनाने से आहत आदिवासी बीपीएल परिवार की 19 वर्षीय बेटी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नारे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... के साथ प्रदर्शन करते हुए न्याय के लिए आवाज उठाई.

17 जुलाई, 2021 को उदयपुर के गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया का रूस में निधन हो गया था. हितेंद्र की बेटी उवर्शी ने शुक्रवार को पिता का शव भारत नहीं लाने का विरोध जताते हुए 'लड़की हूं लड़ सकती लड़की हूं'.... के बैनर के साथ प्रदर्शन किया. वह विरोध जताने के लिए संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंची. पिता का शव रूस से तत्काल भारत लाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी के नाम ज्ञापन भी दिया.

पढ़ें: उदयपुर: 100 दिन से बेटे के अंतिम संस्कार का इंतजार, रूस में गई जान...NHRC ने लगाई विदेश मंत्रालय को फटकार

प्रियंका गांधी के नारे से मिला हौसला

उर्वशी ने कहा कि जब छह माह तक उसके निर्दोष पिता का शव रूस से भारत नहीं आया जा सका और भारत लाने के बजाय अपमानजनक तरीके से रूस में ही कब्र में दफना दिया गया तो एक बेटी के रूप में अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए उसे संघर्ष को मजबूर होना पड़ा है. उर्वशी ने कहा कि वह पहले अपने आप को लड़की होने के कारण कमजोर समझती थी लेकिन जब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का नारा लड़की हूं लड़ सकती हूं.. सुना तो उससे मुझे हौसला मिला है कि इस अन्याय के विरुद्ध एक बेटी के रूप में मुझे भी आवाज उठानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक पिता का शव भारत नहीं लाया जाता, वह इस अन्याय के विरुद्ध लड़ती रहेगी.

6 माह से पिता का शव रूस से भारत नहीं आने से दुखी बेटी ने भरी हुंकार, 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... नारे के साथ जताया विरोध

पढ़ें: Hitendra Garasiya Case : हितेंद्र गरासिया का शव भारत आने तक नंगे पैर संघर्ष करने की घोषणा

मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने

आदिवासी बीपीएल परिवार की बेटी उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को भारत लाने के मामले में 25 अक्टूबर, 2021 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिये कार्य करने वाले बूंदी के चर्मेश शर्मा की शिकायत पर केस दर्ज करते हुए भारत सरकार के विदेश सचिव को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में पिता के शव को रूस से भारत लाने की कार्यवाही करने व विदेश मंत्रालय द्वारा की गयी कार्यवाही से पीड़ित परिवार को अवगत करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन भारत सरकार ने मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने और शव को अपमानजनक तरीके से रूस में ही दफना दिया गया. इस विषय में राष्ट्रपति सचिवालय ने भी 19 अक्टूबर को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को कार्यवाही के निर्देश दिए थे, लेकिन वह भी नहीं माने गए.

पढ़ें: शव भारत नहीं भेजने पर बेटी ने दी रूसी राष्‍ट्रपति पूतिन के समक्ष आत्मदाह की चेतावनी

3 दिसंबर को ही शव दफना दिया, 4 जनवरी तक हाईकोर्ट तक में झूठ बोलती रही सरकार

उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को सुनियोजित साजिश के तहत 3 दिसंबर को ही रूस में दफना दिया गया था. लेकिन भारत सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में 15 दिसंबर, 2021 को जवाब दिया कि हितेंद्र का शव रूस की जांच एजेंसी के पास रखा हुआ है और अभी एफएसएल जांच पूरी नहीं हुई है. हाईकोर्ट ने जब रूस की सरकार को भी नोटिस जारी कर दिया और भारत सरकार पर मेरे पिता के शव को रूस में दफनाने पर सहमति देने पर रोक लगा दी, तब जाकर सरकार ने खुलासा किया कि शव तो रूस में 3 दिसम्बर को ही दफना दिया गया. 12 जनवरी को भी भारत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि दो या तीन दिन में शव आ जाएगा लेकिन आज तक उसके पिता का शव भारत नहीं लाया गया है.

नई दिल्ली/बूंदी. पिछले छह माह से अधिक समय से रूस में मृत अपने पिता का शव (Hitendra Garasiya dead body case) सम्मानजनक दाह संस्कार लिए भारत लाने के बजाय रूस में ही दफनाने से आहत आदिवासी बीपीएल परिवार की 19 वर्षीय बेटी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नारे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... के साथ प्रदर्शन करते हुए न्याय के लिए आवाज उठाई.

17 जुलाई, 2021 को उदयपुर के गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया का रूस में निधन हो गया था. हितेंद्र की बेटी उवर्शी ने शुक्रवार को पिता का शव भारत नहीं लाने का विरोध जताते हुए 'लड़की हूं लड़ सकती लड़की हूं'.... के बैनर के साथ प्रदर्शन किया. वह विरोध जताने के लिए संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंची. पिता का शव रूस से तत्काल भारत लाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी के नाम ज्ञापन भी दिया.

पढ़ें: उदयपुर: 100 दिन से बेटे के अंतिम संस्कार का इंतजार, रूस में गई जान...NHRC ने लगाई विदेश मंत्रालय को फटकार

प्रियंका गांधी के नारे से मिला हौसला

उर्वशी ने कहा कि जब छह माह तक उसके निर्दोष पिता का शव रूस से भारत नहीं आया जा सका और भारत लाने के बजाय अपमानजनक तरीके से रूस में ही कब्र में दफना दिया गया तो एक बेटी के रूप में अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए उसे संघर्ष को मजबूर होना पड़ा है. उर्वशी ने कहा कि वह पहले अपने आप को लड़की होने के कारण कमजोर समझती थी लेकिन जब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का नारा लड़की हूं लड़ सकती हूं.. सुना तो उससे मुझे हौसला मिला है कि इस अन्याय के विरुद्ध एक बेटी के रूप में मुझे भी आवाज उठानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक पिता का शव भारत नहीं लाया जाता, वह इस अन्याय के विरुद्ध लड़ती रहेगी.

6 माह से पिता का शव रूस से भारत नहीं आने से दुखी बेटी ने भरी हुंकार, 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... नारे के साथ जताया विरोध

पढ़ें: Hitendra Garasiya Case : हितेंद्र गरासिया का शव भारत आने तक नंगे पैर संघर्ष करने की घोषणा

मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने

आदिवासी बीपीएल परिवार की बेटी उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को भारत लाने के मामले में 25 अक्टूबर, 2021 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिये कार्य करने वाले बूंदी के चर्मेश शर्मा की शिकायत पर केस दर्ज करते हुए भारत सरकार के विदेश सचिव को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में पिता के शव को रूस से भारत लाने की कार्यवाही करने व विदेश मंत्रालय द्वारा की गयी कार्यवाही से पीड़ित परिवार को अवगत करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन भारत सरकार ने मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने और शव को अपमानजनक तरीके से रूस में ही दफना दिया गया. इस विषय में राष्ट्रपति सचिवालय ने भी 19 अक्टूबर को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को कार्यवाही के निर्देश दिए थे, लेकिन वह भी नहीं माने गए.

पढ़ें: शव भारत नहीं भेजने पर बेटी ने दी रूसी राष्‍ट्रपति पूतिन के समक्ष आत्मदाह की चेतावनी

3 दिसंबर को ही शव दफना दिया, 4 जनवरी तक हाईकोर्ट तक में झूठ बोलती रही सरकार

उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को सुनियोजित साजिश के तहत 3 दिसंबर को ही रूस में दफना दिया गया था. लेकिन भारत सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में 15 दिसंबर, 2021 को जवाब दिया कि हितेंद्र का शव रूस की जांच एजेंसी के पास रखा हुआ है और अभी एफएसएल जांच पूरी नहीं हुई है. हाईकोर्ट ने जब रूस की सरकार को भी नोटिस जारी कर दिया और भारत सरकार पर मेरे पिता के शव को रूस में दफनाने पर सहमति देने पर रोक लगा दी, तब जाकर सरकार ने खुलासा किया कि शव तो रूस में 3 दिसम्बर को ही दफना दिया गया. 12 जनवरी को भी भारत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि दो या तीन दिन में शव आ जाएगा लेकिन आज तक उसके पिता का शव भारत नहीं लाया गया है.

Last Updated : Jan 22, 2022, 11:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.