केशवरायपाटन (बूंदी). प्रशासन की लाख सख्तियों के बीच शादी और फिर भारी भरकम जुर्माने के बीच एक गरीब किसान इतना पिस गया कि सदमें में उसकी मौत हो गई. कापरेन नगरपालिका क्षेत्र के अड़ीला गांव से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जो प्रशासन की सख्ती पर भी सवाल खड़ा करती है.
आखातीज के दिन अड़ीला गांव निवासी बृजमोहन मीणा ने अपनी पुत्री की शादी की सारी तैयारियां कर रखी थी. मंडप सजा हुआ था. लेकिन शादियों पर सरकार ने 31 मई तक प्रतिबंद लगा रखा है. गाइडलाइन की पालना नहीं होने पर प्रशासन को इसकी भनक लग गई. प्रशासनिक अधिकारियों ने एक लाख रुपए का चालान बनाकर लड़की के पिता को थमा दिया.
बृजमोहन मीणा ने प्रशासन के दबाव के चलते 17 मई को चालान की राशि जमा करवाई और 20 मई को उसकी मौत हो गई. जिस पर मृतक की पत्नी व परिजनों ने ग्रामीणों के साथ अंतिम संस्कार करने के दूसरे दिन शुक्रवार को थाने पर आकर जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया और आर्थिक सहायता की मांग की.
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ज्ञापन में बताया गया कि 14 मई 2021 को मेरी छोटी पुत्री इन्द्रा बाई की शादी कोरोना गाइडलाइन के अनुसार हो रही थी. जिसमे कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन किया जा रहा था. सभी व्यक्ति मास्क व सोशल डीस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे थे. नियमानुसार निर्धारित संख्या में ही सदस्य मौजूद थे. उस समय वहां परिवार के ही 7 व्यक्ति भोजन कर रहे थे. इस दौरान के पाटन उपखंड अधिकारी व उनकी टीम घर पर आए. टीम के आने से गांव वाले इक्कठा होने लगे जो किसी भी गांव में आम बात है.
ज्ञापन में मृतका की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उस इक्कठी हुई भीड़ का वीडियो बनाकर उपखंड अधिकारी ने मेरे पति के ऊपर एक लाख का चालान बना दिया और प्रताड़ित करते हुए मुकदमे की धमकी भी दी. मेरे पति की तबीयत पहले से ही खराब चल रही थी. इस प्रकरण को देखकर तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई. इसके बाद प्रशासन ने बार-बार चालान की राशि जमा करवाने के लिए दबाव बनाया.
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मृतक की पत्नी ने ज्ञापन में बताया कि गरीब परिवार से हूं. घर में शादी थी, मेरे पति भी बीमार चल रहे थे, अब इस परिस्थिति में चालान की राशी जमा करवाना बहुत मुश्किल था. स्थिति इतनी खराब थी कि मेरे पति ने अपना इलाज नहीं करवा कर, हमारी जमीन गिरवी रख कर 17 मई सोमवार को 2021 को एक लाख रूपये उपखंड कार्यालय में जमा करवाए. जिसके पश्चात् इलाज के अभाव और सदमे के कारण दिनांक 20 मई, गुरुवार को मौत हो गई. परिवार के मुखिया की मृत्यु के कारण परिवार के ऊपर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब थी.