बूंदी. जिले में लगातार हुई बारिश से किसान एक बार फिर कर्ज में डूबता जा रहा है. जिले में लगातार बारिश के बाद जलमग्न हुए खेतों में खड़ी फसलें गल गई. जिसके कारण किसान काफी चिंतित नजर आ रहा है. किसानों का कहना है कि राम तो रूठ गया लेकिन राज से वे आस लगाए बैठे हैं.
बून्दी जिला प्रशासन ने सरकार को पूर्ण खराबे की गिरदावरी रिपोर्ट भेज दी है लेकिन मुश्किलें इस बात की हैं कि सरकार इसे पूर्ण खराबा मानती है या नहीं. वहीं प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर रोज सर्वे करवाया जा रहा है. लेकिन किसानों का कहना है कि सर्वे से कुछ होगा नहीं हमें तो मुआवजा चाहिए. क्योंकि बर्बादी के हिसाब से जितना मुआवजा दिया जाए उतना कम है.
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बारिश के बाद खराबे पर नजर डालें तो लगातार बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात बन गए थे. फसलें चौपट होने के साथ-साथ किसनों के घर भी तबाह हो गए थे. जिले के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश के चलते अधिकतर किसान इसकी चपेट में बताए जा रहे हैं. जिले में मुख्य रूप से सोयाबीन, उड़द, मक्का की फसलें उगाई जाती हैं जो कि पक चुकी थी. ऐसे में मुख्य फसलों को नुकसान होने से किसानों के आगे रोजी रोटी का संकट भी पैदा हो गया है. किसानों का कहना है कि लगातार बारिश के दौर में हमें कर्जदार बना दिया है.
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जिला प्रशासन जो सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रहा है उसमें भी 100% प्रतिशत खराबा होने की बात सामने आई है. बूंदी जिला मुख्यालय समेत केशोरायपाटन, हिंडोली एवं नैनवा क्षेत्रों में फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. वहीं किसानों के सामने मुख्य संकट इस बात का भी है कि अगली फसल तैयार करने में उन्हें काफी जोखिम उठाना होगा. अगर सरकार की तरफ से उन्हें मुआवजा मिलता है तो कई किसान बर्बाद होने बच जाएंगे. किसानों की भी यही मांग है कि जल्द से जल्द मुआवजा मिले ताकि वे दूसरी फसल की तैयारी कर सकें .