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गुटखे के पैसों से बचत कर बना दी 61 प्रजातियों का विशाल बगीचा - Environment lover made a huge garden

बूंदी के नैनवां में पर्यावरण प्रेमी महावीर पंचाल ने एक अनूठी पहल करते हुए पौधारोपण किया. जहां महावीर पंचाल ने गुटखे के पैसे से पौधारोपण किया, जो अब आसपास के लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही है.

Environment lover made a huge garden, पर्यावरण प्रेमी ने बनाया बगीचा
पर्यावरण प्रेमी ने बनाया बगीचा
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Published : Jun 6, 2021, 10:12 AM IST

नैनवां (बूंदी). क्षेत्र में पर्यावरण प्रेमी पेड़ लगाने पर काफी जोड़ देते है. यही वजह है कि उपखंड के सहण निवासी महावीर पंचाल अपने आप में पर्यावरण प्रेमी के नाम से जाने जाते हैं. इन्होंने तंबाकू की आदत को छोड़कर पर्यावरण दिवस के दिन पौधारोपण करने का संकल्प लिया और इनका यह संकल्प आज आसपास ही नहीं बल्कि जिले भर में एक पहचान बन गया है.

पर्यावरण प्रेमी ने बनाया बगीचा

जानकारी के अनुसार नैनवां उपखंड के सहण निवासी महावीर पांचाल प्रेरणा स्रोत, तंबाकू में खर्च होने वाले रुपयों से पौधे खरीद लिए और 2013 में बालाजी मंदिर के पास बगीचा में करीब 1500 पौधे लगाए, जो अब फल और फूल देने लगे हैं. 2013 से पहले महावीर पांचाल तंबाकू का सेवन किया करते थे, तब अचानक पर्यावरण दिवस के दिन विचार आया कि क्यों न तम्बाकू को छोड़कर पौधों पर इस तंबाकू की राशि को खर्च किया जाए, फिर क्या था पाई-पाई कर हर वर्ष दिन प्रतिदिन पौधों के का कारवां बढ़ता चला गया. बाद में परिवार जन के साथ मिलकर इन पौधों को परिवार की तरह सहजने लगे. जिससे धीरे-धीरे पौधों की संख्या बढ़ती गई और महावीर पांचाल और उनके परिवार की रुचि पर्यावरण के प्रति बढ़ने लग गई.

पांचाल और उनके परिवार की ओर से बगीचा में 2013 से लेकर आज तक करीबन 1500 से 2000 पौधे रोपे गए. वर्तमान स्थिति में 15 पौधे अच्छी स्थिति में पेड़ के रूप में तैयार हो चुके हैं और 500 नए पौधे भी पेड़ बनने की तैयारी में है. महावीर पांचाल ने बताया कि बगीचा में 61 प्रजाति के 1500 पौधे और छोटे फूलदार पौधे की संख्या 500 करीब है. जिसमें से कई पेड़ फूल और फल देने लगे हैं, जिससे आमजन को वहां का पर्यावरण काफी अच्छा महसूस होता है और पशु पक्षियों के लिए यह बगीचा अब आनंदमय बनने लगा है.

पढ़ें- ज्ञानदेव आहूजा की फिर फिसली जुबान...इस बार गहलोत को बताया 'माफिया'

पहले बगीचे में कटीले, बबूल और झाड़ियां हुआ करती थी. जिसका कोई उपयोग भी नहीं हो रहा था. महावीर पांचाल की यह विश्व पर्यावरण दिवस पर ली गई शपथ युवाओं के लिए अपने आप में प्रेरणादायक साबित हो रही है. खुद महावीर पांचाल पौधों की प्रतिदिन सिंचाई और निराई गुड़ाई भी करते हैं. यही कारण है कि आज उनके हाथ से लगे पौधे वट वृक्ष बनने लगे हैं और बगीची का रंग और भी सुंदर दिखने लगा है. पर्यावरण दिवस पर लिए गए इस संकल्प को अगर देश का हर युवा अपना ले तो पर्यावरण संरक्षण अपने आप बढ़ता चला जाएगा.

नैनवां (बूंदी). क्षेत्र में पर्यावरण प्रेमी पेड़ लगाने पर काफी जोड़ देते है. यही वजह है कि उपखंड के सहण निवासी महावीर पंचाल अपने आप में पर्यावरण प्रेमी के नाम से जाने जाते हैं. इन्होंने तंबाकू की आदत को छोड़कर पर्यावरण दिवस के दिन पौधारोपण करने का संकल्प लिया और इनका यह संकल्प आज आसपास ही नहीं बल्कि जिले भर में एक पहचान बन गया है.

पर्यावरण प्रेमी ने बनाया बगीचा

जानकारी के अनुसार नैनवां उपखंड के सहण निवासी महावीर पांचाल प्रेरणा स्रोत, तंबाकू में खर्च होने वाले रुपयों से पौधे खरीद लिए और 2013 में बालाजी मंदिर के पास बगीचा में करीब 1500 पौधे लगाए, जो अब फल और फूल देने लगे हैं. 2013 से पहले महावीर पांचाल तंबाकू का सेवन किया करते थे, तब अचानक पर्यावरण दिवस के दिन विचार आया कि क्यों न तम्बाकू को छोड़कर पौधों पर इस तंबाकू की राशि को खर्च किया जाए, फिर क्या था पाई-पाई कर हर वर्ष दिन प्रतिदिन पौधों के का कारवां बढ़ता चला गया. बाद में परिवार जन के साथ मिलकर इन पौधों को परिवार की तरह सहजने लगे. जिससे धीरे-धीरे पौधों की संख्या बढ़ती गई और महावीर पांचाल और उनके परिवार की रुचि पर्यावरण के प्रति बढ़ने लग गई.

पांचाल और उनके परिवार की ओर से बगीचा में 2013 से लेकर आज तक करीबन 1500 से 2000 पौधे रोपे गए. वर्तमान स्थिति में 15 पौधे अच्छी स्थिति में पेड़ के रूप में तैयार हो चुके हैं और 500 नए पौधे भी पेड़ बनने की तैयारी में है. महावीर पांचाल ने बताया कि बगीचा में 61 प्रजाति के 1500 पौधे और छोटे फूलदार पौधे की संख्या 500 करीब है. जिसमें से कई पेड़ फूल और फल देने लगे हैं, जिससे आमजन को वहां का पर्यावरण काफी अच्छा महसूस होता है और पशु पक्षियों के लिए यह बगीचा अब आनंदमय बनने लगा है.

पढ़ें- ज्ञानदेव आहूजा की फिर फिसली जुबान...इस बार गहलोत को बताया 'माफिया'

पहले बगीचे में कटीले, बबूल और झाड़ियां हुआ करती थी. जिसका कोई उपयोग भी नहीं हो रहा था. महावीर पांचाल की यह विश्व पर्यावरण दिवस पर ली गई शपथ युवाओं के लिए अपने आप में प्रेरणादायक साबित हो रही है. खुद महावीर पांचाल पौधों की प्रतिदिन सिंचाई और निराई गुड़ाई भी करते हैं. यही कारण है कि आज उनके हाथ से लगे पौधे वट वृक्ष बनने लगे हैं और बगीची का रंग और भी सुंदर दिखने लगा है. पर्यावरण दिवस पर लिए गए इस संकल्प को अगर देश का हर युवा अपना ले तो पर्यावरण संरक्षण अपने आप बढ़ता चला जाएगा.

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