बूंदी. जिले के राजकीय महाविद्यालय के सामने स्थित छात्रावास पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है. यहां विवाद होने के कारण मामला कोर्ट में विचाराधीन है. जिसके चलते यहां पर किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हो सकता. लेकिन, फिर भी कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.
बता दें कि शुक्रवार को जैसे ही छात्रावास की भूमि पर छात्रों ने कार्य शुरू होते हुए देखा तो वो प्राचार्य से शिकायत करने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने पूरी बात प्राचार्य को बताई. ऐसे में प्राचार्य खुद निर्माण कार्य रुकवाने के लिए छात्रों के साथ पहुंचे और छात्रों ने यहां पर छात्रावास की भूमि बताते हुए हंगामा कर दिया. हालांकि, हंगामा देख ठेकेदार वहां से भाग गए.
वहीं, छात्रों का कहना था कि यह जमीन छात्रों की है. यहां पर छात्रों के लिए छात्रावास बना हुआ है. साथ ही खेल मैदान छात्रों के लिए बने इसके लिए इस भूमि को लेकर विवाद कोर्ट में चल रहा है. लेकिन, यहां पर प्रशासनिक और बीजेपी नेताओं की ओर से दबाव बनाकर भूमि पर बीजेपी कार्यालय बनाया जा रहा है.
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज की साढ़े आठ बीघा भूमि छात्रावास के पास स्थित है. जो हमारी भूमि है और इस भूमि पर निर्माण कार्य बिना स्वीकृति के चलाया जा रहा है. हमसे इसकी स्वीकृति नहीं ली गई है. अवैध निर्माण कार्य की जानकारी हमने प्रशासन और पुलिस प्रशासन को दी है और तहसीलदार को लेटर लिखा है.
वही हंगामा बढ़ता देख छात्रों ने प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की है. उनका कहना था कि मौके पर सीमा ज्ञान करवाए जाएं और तहसीलदार को बुलाया जाए. यहां सूचना पर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से बात की और प्राचार्य से वार्ता की.
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आखिरकार भूमि किसकी है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. मौके पर मौजूद तहसीलदार भरत राठौड़ ने कहा है कि यह भूमि संभवत: नगर परिषद की हो सकती है और नगर परिषद स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य करवाया गया होगा. लेकिन, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह भूमि हमारी है. लेकिन, साफ नहीं हो पाया है की आखिर भूमि किसकी है. साथ ही कॉलेज प्रशासन और प्रशासन के अधिकारियों के बीच विवाद हुआ. मौके पर शांति बनी हुई है और अधिकारी जमीन का सीमा ज्ञान करा रहे हैं.