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बूंदी: पीजी कॉलेज की छात्रावास भूमि पर अतिक्रमण, बीजेपी कार्यालय का हो रहा निर्माण

बूंदी में कॉलेज छात्रावास की भूमि और बीजेपी कार्यालय को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यहां पर छात्रों और कॉलेज प्राचार्य की ओर से निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया है और यह मांग की जा रही है कि जिस भूमि पर बीजेपी कार्यालय का निर्माण हो रहा है वह भूमि कॉलेज की है. कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यहां पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सकता.

BUNDI NEWS, कॉलेज छात्रावास
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Published : Oct 11, 2019, 8:23 PM IST

बूंदी. जिले के राजकीय महाविद्यालय के सामने स्थित छात्रावास पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है. यहां विवाद होने के कारण मामला कोर्ट में विचाराधीन है. जिसके चलते यहां पर किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हो सकता. लेकिन, फिर भी कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.

बता दें कि शुक्रवार को जैसे ही छात्रावास की भूमि पर छात्रों ने कार्य शुरू होते हुए देखा तो वो प्राचार्य से शिकायत करने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने पूरी बात प्राचार्य को बताई. ऐसे में प्राचार्य खुद निर्माण कार्य रुकवाने के लिए छात्रों के साथ पहुंचे और छात्रों ने यहां पर छात्रावास की भूमि बताते हुए हंगामा कर दिया. हालांकि, हंगामा देख ठेकेदार वहां से भाग गए.

कॉलेज की छात्रावास भूमि पर अतिक्रमण

वहीं, छात्रों का कहना था कि यह जमीन छात्रों की है. यहां पर छात्रों के लिए छात्रावास बना हुआ है. साथ ही खेल मैदान छात्रों के लिए बने इसके लिए इस भूमि को लेकर विवाद कोर्ट में चल रहा है. लेकिन, यहां पर प्रशासनिक और बीजेपी नेताओं की ओर से दबाव बनाकर भूमि पर बीजेपी कार्यालय बनाया जा रहा है.

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज की साढ़े आठ बीघा भूमि छात्रावास के पास स्थित है. जो हमारी भूमि है और इस भूमि पर निर्माण कार्य बिना स्वीकृति के चलाया जा रहा है. हमसे इसकी स्वीकृति नहीं ली गई है. अवैध निर्माण कार्य की जानकारी हमने प्रशासन और पुलिस प्रशासन को दी है और तहसीलदार को लेटर लिखा है.

वही हंगामा बढ़ता देख छात्रों ने प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की है. उनका कहना था कि मौके पर सीमा ज्ञान करवाए जाएं और तहसीलदार को बुलाया जाए. यहां सूचना पर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से बात की और प्राचार्य से वार्ता की.

पढ़ें- भाजपा में संतुलन की राजनीति का दौर : सतीश पूनिया, देखें Exclusive Interview

आखिरकार भूमि किसकी है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. मौके पर मौजूद तहसीलदार भरत राठौड़ ने कहा है कि यह भूमि संभवत: नगर परिषद की हो सकती है और नगर परिषद स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य करवाया गया होगा. लेकिन, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह भूमि हमारी है. लेकिन, साफ नहीं हो पाया है की आखिर भूमि किसकी है. साथ ही कॉलेज प्रशासन और प्रशासन के अधिकारियों के बीच विवाद हुआ. मौके पर शांति बनी हुई है और अधिकारी जमीन का सीमा ज्ञान करा रहे हैं.

बूंदी. जिले के राजकीय महाविद्यालय के सामने स्थित छात्रावास पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है. यहां विवाद होने के कारण मामला कोर्ट में विचाराधीन है. जिसके चलते यहां पर किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हो सकता. लेकिन, फिर भी कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.

बता दें कि शुक्रवार को जैसे ही छात्रावास की भूमि पर छात्रों ने कार्य शुरू होते हुए देखा तो वो प्राचार्य से शिकायत करने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने पूरी बात प्राचार्य को बताई. ऐसे में प्राचार्य खुद निर्माण कार्य रुकवाने के लिए छात्रों के साथ पहुंचे और छात्रों ने यहां पर छात्रावास की भूमि बताते हुए हंगामा कर दिया. हालांकि, हंगामा देख ठेकेदार वहां से भाग गए.

कॉलेज की छात्रावास भूमि पर अतिक्रमण

वहीं, छात्रों का कहना था कि यह जमीन छात्रों की है. यहां पर छात्रों के लिए छात्रावास बना हुआ है. साथ ही खेल मैदान छात्रों के लिए बने इसके लिए इस भूमि को लेकर विवाद कोर्ट में चल रहा है. लेकिन, यहां पर प्रशासनिक और बीजेपी नेताओं की ओर से दबाव बनाकर भूमि पर बीजेपी कार्यालय बनाया जा रहा है.

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज की साढ़े आठ बीघा भूमि छात्रावास के पास स्थित है. जो हमारी भूमि है और इस भूमि पर निर्माण कार्य बिना स्वीकृति के चलाया जा रहा है. हमसे इसकी स्वीकृति नहीं ली गई है. अवैध निर्माण कार्य की जानकारी हमने प्रशासन और पुलिस प्रशासन को दी है और तहसीलदार को लेटर लिखा है.

वही हंगामा बढ़ता देख छात्रों ने प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की है. उनका कहना था कि मौके पर सीमा ज्ञान करवाए जाएं और तहसीलदार को बुलाया जाए. यहां सूचना पर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से बात की और प्राचार्य से वार्ता की.

पढ़ें- भाजपा में संतुलन की राजनीति का दौर : सतीश पूनिया, देखें Exclusive Interview

आखिरकार भूमि किसकी है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. मौके पर मौजूद तहसीलदार भरत राठौड़ ने कहा है कि यह भूमि संभवत: नगर परिषद की हो सकती है और नगर परिषद स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य करवाया गया होगा. लेकिन, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह भूमि हमारी है. लेकिन, साफ नहीं हो पाया है की आखिर भूमि किसकी है. साथ ही कॉलेज प्रशासन और प्रशासन के अधिकारियों के बीच विवाद हुआ. मौके पर शांति बनी हुई है और अधिकारी जमीन का सीमा ज्ञान करा रहे हैं.

Intro:बूंदी में कॉलेज छात्रावास की भूमि व बीजेपी कार्यालय को लेकर विवाद खड़ा हो गया है । यहां पर छात्रों और कॉलेज प्राचार्य द्वारा निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया है और यह मांग की जा रही है कि जिस भूमि पर बीजेपी कार्यालय का निर्माण हो रहा है वह भूमि कॉलेज की है छात्रों की है । वहां पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सकता । क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो आखिर कार्य किसकी शह पर यह कार्य चल रहा है ?


Body:बूंदी के राजकीय महाविद्यालय के सामने स्थित छात्रावास पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है यहां विवाद होने के चलते मामला कोर्ट में विचाराधीन है जिसके चलते यहां पर किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं हो सकता । लेकिन फिर भी कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और निर्माण कार्य करवाया जा रहा है । आज जैसे ही छात्रावास की भूमि पर कार्य शुरू होते हुए छात्रों ने देखा तो वहां प्राचार्य से शिकायत करने के लिए पहुंचे । जहां उन्होंने पूरी बात पर प्राचार्य को बताई ऐसे में प्राचार्य खुद निर्माण कार्य रुकवाने के लिए छात्रों के साथ पहुंचे और छात्रों ने वहां पर छात्रावास की भूमि बताते हुए हंगामा कर दिया। हंगामा देख ठेकेदार वहां से भाग गए । छात्रों का कहना था कि यह जमीन छात्रों की है यहां पर छात्रों के लिए छात्रावास बना हुआ है साथ ही खेल मैदान छात्रों के लिए बने इसके लिए यह भूमि और में विवाद कोर्ट में चल रहा है लेकिन यहां पर प्रशासनिक व बीजेपी नेताओं द्वारा दबाव बनाकर भूमि पर बीजेपी कार्यालय बनाया जा रहा है । कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज की साडे आठ बीघा भूमि छात्रावास के पास स्थित है जो हमारी भूमि है और इस भूमि पर निर्माण कार्य बिना स्वीकृति के चलाए जा रहा है । हमसे इसकी स्वीकृति नहीं ली गई है अवैध निर्माण कार्य की जानकारी हमने प्रशासन व पुलिस प्रशासन को दी है और तहसीलदार को लेटर लिखा है कि वह जल्द से जल्द इसका सीमा ज्ञान है ताकि दूध का दूध पानी हो सके । वही हंगामा बढ़ता देख छात्रों ने प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की है उनका कहना था कि मौके पर सीमा ज्ञान करवाए जाए तहसीलदार को बुलाया जाए । जहां सूचना पर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से बात की और प्राचार्य से वार्ता कर कहा कि जल्द से जल्द को सीमा ज्ञान लेटर लिख दें ताकि मैं कल ही सीमा ज्ञान करवा दूं । इस आश्वासन के बाद विवाद शांत हो गया ।


Conclusion:आखिरकार भूमि किसकी है यह स्पष्ट नहीं हो पाया है मौके पर मौजूद तहसीलदार भरत राठौड़ ने कहा है कि यह भूमि संभव पर नगर परिषद की हो सकती है और नगर परिषद स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य करवाया गया होगा । लेकिन कॉलेज प्रशासन का इस ओर कहना है कि यह भूमि हमारी है लेकिन साफ नहीं हो पाया है की आखिर भूमि किसकी है और कॉलेज प्रशासन और प्रशासन के अधिकारियों के बीच विवाद हुआ । मौके पर शांति बनी हुई है और अधिकारी जमीन का सीमा ज्ञान करा रहे हैं । लेकिन सवाल यह है कि आखिर कॉलेज की वह भूमि है तो बिना स्वीकृति के कैसे बीजेपी कार्यालय वहां बनवाया जा रहा था ।

बाईट - हितेश खींची , छात्र नेता
बाईट - चेतराम मीणा , छात्र नेता
बाईट - जेके जैन , कॉलेज प्रचार्य
बाईट - भरत राठौड़ , तहसीलदार
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