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बूंदी के मजदूरों को इराक में बंधक बनाने का मामला, भारतीय दूतावास ने कहा- हिंसा होने से भारत आना मुश्किल

बूंदी से रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से इराक गए 40 भारतीय नागरिक 2 महीने से बंधक बनकर मजदूरी कर रहे हैं. एजेंट ने जिस कंपनी में इन्हें रोजगार दिलाया, वह कंपनी इन्हें 2 महीने से वेतन भी नहीं दे रही है. परिजनों को भारतीय दूतावासों से पता चला है कि इराक में सरकार के खिलाफ हो रही हिंसा के कारण भारतीय दूतावासों ने वतन वापसी की राह को आसान नहीं बताया है.

बूंदी के मजदूर को इराक में बनाया बंधक  , Bundi News
बूंदी के मजदूरों को इराक में बंधक बनाने का मामला
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Published : Feb 10, 2020, 11:58 PM IST

बूंदी. जिले से रोजगार की चाह में इराक गए लोग परेशानी में घिर चुके हैं. ऐसे में उनको वहां कोई मदद भी नहीं मिल रही है. विदेश भेजने के नाम पर एजेंटों ने भारत से गए 40 मजदूरों से धोखाधड़ी की है. इन 40 मजदूरों में से 9 मजदूर बूंदी जिले के हैं, जो इराक के नफज इलाके में पिछले कुछ महीने से बंधक बन हुए हैं. मजदूरों के परिजनों ने उपखंड अधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है.

बूंदी के मजदूरों को इराक में बंधक बनाने का मामला

बता दें कि पीड़ित परिवारों ने अपने रिश्तेदारों के साथ विदेश मंत्रालय तक गुहार लगाई है. इस दौरान पीड़ित परिवारों के पास भारतीय दूतावास का फोन आया. जिसमें उन्हें पता लगा कि इराक के कुछ क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं और उनमें से वह जगह भी शामिल है, जहां ये मजदूर बंधक बने हुए हैं.

पढ़ें- इराक में फंसे भारतीयों ने वीडियो भेजकर लगाई वतन वापसी की गुहार, कहा- हमें बुला लो सरकार

जानकारी के अनुसार नैनवा निवासी राजेंद्र बैरवा ने बताया कि टोंक जिले के कनवाड़ा गांव निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बेरवा 12 फरवरी 2019 को रोजगार के लिए इराक गया था. उसके साथ नैनवा क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबूलाल, महेंद्र कुमार मीणा, चाचा विनोद और विनोद सहित 9 लोग इराक गए थे. उन्होंने बताया कि ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र में एक कंपनी में काम कर रहे थे.

राजेंद्र बैरवा ने बताया कि कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन कर उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी 2 मह से वेतन नहीं दे रही है और वेतन की मांग कर रहे हैं तो कंपनी के लोग उन्हें डरा-धमका रहे हैं. साथ ही बिना वेतन दिए बंधक बनाकर उनसे काम करवा रहे हैं.

पढ़ें- बूंदी: रोजगार के लिए इराक गये 40 भारतीय नागरिकों को कम्पनी ने बनाया बंधक

भारतीय मजदूरों की ओर से जब इसका विरोध किया गया तो कंपनी के लोगों ने इन मजदूरों के साथ मारपीट की और खाना भी नहीं दिया. राजेंद्र बैरवा ने बताया कि उन्हें कंपनी में इस तरीके से बंधक बनाया गया है कि उसे बाहर तक नहीं भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि मजदूरों ने इराक में संपर्क कर भारतीय दूतावासों से भी अपनी बात पहुंचाई थी, लेकिन भारतीय दूतावासों ने कोई मदद नहीं की.

बता दें कि इन सभी लोगों को इराक ले जाने के लिए नैनवा का एक एजेंट ने विदेश में काम करने को लेकर 2 साल के लिए उनसे एग्रीमेंट किया था, लेकिन वीजा 1 साल का ही बनवाया था. ऐसे में जब मजदूर इराक के नजफ क्षेत्र में पहुंचे तो वहां उन्हें इस बात का पता लगा कि 1 साल का ही वीजा बनाया है. इसे लेकर जब मजदूरों ने एजेंट से बात की तो उसने बिना बात किए फोन काट दिया.

वहीं, इसकी सूचना जब मजदूरों के परिवार को मिली तो उन्होंने पूरे मामले को प्रशासन तक पहुंचाया. साथ ही पीड़तों के परिजनों ने मदद के लिए विदेश मंत्रालय का भी दरवाजा खटखटाया है, लेकिन उन्हें वहां से भी आश्वासन देकर वापस लौटा दिया गया.

बूंदी. जिले से रोजगार की चाह में इराक गए लोग परेशानी में घिर चुके हैं. ऐसे में उनको वहां कोई मदद भी नहीं मिल रही है. विदेश भेजने के नाम पर एजेंटों ने भारत से गए 40 मजदूरों से धोखाधड़ी की है. इन 40 मजदूरों में से 9 मजदूर बूंदी जिले के हैं, जो इराक के नफज इलाके में पिछले कुछ महीने से बंधक बन हुए हैं. मजदूरों के परिजनों ने उपखंड अधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है.

बूंदी के मजदूरों को इराक में बंधक बनाने का मामला

बता दें कि पीड़ित परिवारों ने अपने रिश्तेदारों के साथ विदेश मंत्रालय तक गुहार लगाई है. इस दौरान पीड़ित परिवारों के पास भारतीय दूतावास का फोन आया. जिसमें उन्हें पता लगा कि इराक के कुछ क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं और उनमें से वह जगह भी शामिल है, जहां ये मजदूर बंधक बने हुए हैं.

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जानकारी के अनुसार नैनवा निवासी राजेंद्र बैरवा ने बताया कि टोंक जिले के कनवाड़ा गांव निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बेरवा 12 फरवरी 2019 को रोजगार के लिए इराक गया था. उसके साथ नैनवा क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबूलाल, महेंद्र कुमार मीणा, चाचा विनोद और विनोद सहित 9 लोग इराक गए थे. उन्होंने बताया कि ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र में एक कंपनी में काम कर रहे थे.

राजेंद्र बैरवा ने बताया कि कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन कर उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी 2 मह से वेतन नहीं दे रही है और वेतन की मांग कर रहे हैं तो कंपनी के लोग उन्हें डरा-धमका रहे हैं. साथ ही बिना वेतन दिए बंधक बनाकर उनसे काम करवा रहे हैं.

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भारतीय मजदूरों की ओर से जब इसका विरोध किया गया तो कंपनी के लोगों ने इन मजदूरों के साथ मारपीट की और खाना भी नहीं दिया. राजेंद्र बैरवा ने बताया कि उन्हें कंपनी में इस तरीके से बंधक बनाया गया है कि उसे बाहर तक नहीं भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि मजदूरों ने इराक में संपर्क कर भारतीय दूतावासों से भी अपनी बात पहुंचाई थी, लेकिन भारतीय दूतावासों ने कोई मदद नहीं की.

बता दें कि इन सभी लोगों को इराक ले जाने के लिए नैनवा का एक एजेंट ने विदेश में काम करने को लेकर 2 साल के लिए उनसे एग्रीमेंट किया था, लेकिन वीजा 1 साल का ही बनवाया था. ऐसे में जब मजदूर इराक के नजफ क्षेत्र में पहुंचे तो वहां उन्हें इस बात का पता लगा कि 1 साल का ही वीजा बनाया है. इसे लेकर जब मजदूरों ने एजेंट से बात की तो उसने बिना बात किए फोन काट दिया.

वहीं, इसकी सूचना जब मजदूरों के परिवार को मिली तो उन्होंने पूरे मामले को प्रशासन तक पहुंचाया. साथ ही पीड़तों के परिजनों ने मदद के लिए विदेश मंत्रालय का भी दरवाजा खटखटाया है, लेकिन उन्हें वहां से भी आश्वासन देकर वापस लौटा दिया गया.

Intro:बूंदी के नैनवा इलाके में 9 मजदूर इराक में बंधक बनाए हुए हैं जिसको लेकर परिवार जन अधिकारियों से न्याय के लिए गुहार भी लगा रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें वतन वापसी की राह आसान होती भी नजर नहीं आ रही है । परिजनों को भारतीय दूतावासों से पता लगा है कि इराक में सरकार के खिलाफ हो रही हिंसा के चलते भारतीय दूतावासों ने भी वतन वापसी की राह को आसान नहीं बताया है जिसके चलते परिजन और सकते में आ गए हैं ऐसे में उन्होंने फिर से जिला कलेक्टर से मिलकर वतन वापसी करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई है ।


Body:बूंदी के नैनवा क्षेत्र में रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से मजदूरी करने गए नैनवा के 9 मजदूरों को इराक के नफज इलाके में पिछले कुछ माह से बंधक बनाया हुआ है । बंधक बनाने की सूचना जैसे ही नैनवा के परिवारों को लगी तो उन्होंने उपखंड अधिकारी से न्याय के लिए गुहार लगाई ऐसे में पीड़ित परिवारों ने अपने रिश्तेदारों के साथ विदेश मंत्रालय तक के चक्कर लगाकर गुहार लगाई और वहां से भी उन्हें आश्वासन मिला ऐसे में इसी बीच इन परिवारों के पास भारतीय दूतावासों का फोन आया और उस फोन से उन्हें पता चला कि इराक के कुछ क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं उनमें से वह जगह भी शामिल है जहां पर यह मजदूर बंधक बने हुए हैं । ऐसे में उन्होंने वतन वापसी को आसान नहीं बताया है ऐसे में दूतावासों की खबर सुनकर परिवार जन सकते में आ गए हैं और न्याय के लिए फिर से जिला कलेक्ट्र के दर पर पहुंचे हैं और वतन वापसी की मांग की है ।
जानकारी के अनुसार नैनवा निवासी राजेंद्र बेरवा ने बताया कि टोंक जिले के ग्राम कनवाड़ा निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बेरवा 12 फरवरी 2019 को फ्लाइट में रोजगार के लिए इराक गया था उसके साथ नैनवा क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबूलाल और महेंद्र कुमार मीणा, चाचा विनोद और विनोद नाम का एक और युवक सहित 9 लोग इराक गए थे । यह सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र में कंपनी में काम कर रहे थे लेकिन कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन करके उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी 2 माह से वेतन नहीं दे रही है और वेतन की मांग कर रहे हैं तो कंपनी के लोग उन्हें डरा रहे हैं धमका रहे हैं। साथ में बिना वेतन के ही बंधक बनाकर उनसे काम करवा रहे हैं । जब भारतीय मजदूरों द्वारा इसका विरोध किया गया तो वहां के कंपनी के लोगों ने उनके साथ मारपीट की गई साथ ही खाना उन्हें नहीं दिया जाने जैसी बात फोन पर बताई गई । साथ में कंपनी में इस तरीके से बंधक बनाया गया है कि उन्हें बाहर तक नहीं भेजा जा रहा है उन लोगों ने इराक में संपर्क कर भारतीय दूतावासों से भी अपनी बात पहुंचाई थी लेकिन भारतीय दूतावासों ने भी कोई मदद नहीं की । ऐसा मैं जब पीड़ित परिवार को बंधक बनाए जाने की सूचना मिली तो उन्होंने पूरे मामले को प्रशासन तक पुलिस तक पहुंचाया जहां पर पूरा परिवार विदेश मंत्रालय तक भी न्याय के लिए पहुंचा जहां उन्हें आश्वासन देकर वापस से लौटा दिया ।

यहां आपको बता दें कि इन सभी लोगों को इराक ले जाने के लिए नैनवा का एक एजेंट ने विदेश में काम करने को लेकर 2 साल के लिए उनसे एग्रीमेंट किया था। लेकिन वीजा 1 साल का ही बनवाया था ऐसे में जब मजदूर इराक के नजफ क्षेत्र में पहुंच गए तो वहां उन्हें इस बात का पता लगा कि 1 साल का ही वीजा बनाया है ऐसे में 2 साल तक कैसे काम करेंगे तो उन्होंने वापस से एजेंट से बात की और एजेंट ने उनका फोन काट मामले से पल्ला झाड़ लिया ।


Conclusion:जबसे भारतीय दूतावासों का फोन परिजनों के पास आया है कि वह वतन वापसी के लिए राह आसान नहीं है इसके बाद सही परिजनों को डर सताने लगा है । नैनवा क्षेत्र के तो 9 ही लोग इराक में गए थे वहां से पता चला कि अन्य और भारतीय मजदूर है जिनकी संख्या 40 के आसपास है । अब देखना यह होगा कि इन पीड़ित परिवारों की मजबूरी को और उनकी परेशानी को केंद्र सरकार व राजस्थान सरकार समझ पाती है या नहीं और कब तक बूंदी के इन सातों मजदूरों की वतन वापसी कब संभव हो पाती है यह देखना होगा ।

बाईट - राजेन्द्र बैरवा , पीड़ित
बाईट - लालाराम , पीड़ित
बाईट - चर्मेश शर्मा , सामाजिक कार्यकर्ता
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