बूंदी. कहा जाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं व देर से ही सही, न्याय जरूर मिलता है. ऐसा ही मामला बूंदी में सामने आया है, जिसमें हत्या के मामले में 44 साल से फरार चल रहे आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस आरोपी को मफरूर घोषित किया गया था और 21 हजार रुपए का इनाम रखा हुआ था. आरोपी हत्या के तत्काल बाद ही कोटा से दिल्ली भाग गया था और वहीं पर नाम छुपाकर व पहचान बदलकर रह रहा था. पुलिस की टीम ने कई बार उसकी पड़ताल की, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. आखिर में उसके बूंदी में समारोह में शामिल होने की सूचना मिली तो रिश्तेदारों से जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया.
एसपी जय यादव ने बताया कि 22 अगस्त 1979 में अवैध संबंधों के शक पर बूंदी के रतनबुर्ज निवासी शंकर लाल माली की सरे बाजार में चाकू से गोदकर हत्या की गई थी. इस मामले में आरोपी की पहचान माजी साहब का कुंड निवासी कालू पुत्र मनोहर यादव के रूप में हुई थी. इस घटना के बाद वह फरार हो गया और उसका परिवार भी 4-5 साल बाद बूंदी से गायब हो गया. काफी पड़ताल के बाद पुलिस ने उसे दिल्ली के महिपालपुर से गिरफ्तार किया है.
रिश्तेदारों पर नजर रखने से हुआ खुलासा - एसपी यादव ने बताया कि लगातार लंबे समय से फरार भगोड़े और मफरूर आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास पुलिस कर रही है. ऐसे मामलों को चुनौती मानकर न्याय दिलाने की कोशिश की जा रही है. इसी को लेकर कालू के मामले में भी पुलिस कोशिश कर रही थी. उसके दूर के रिश्तेदार बूंदी में ही रहते हैं. उन पर नजर रखी गई और उनसे बातचीत की गई, जिसमें खुलासा हुआ कि कालू परिवार के साथ एक महीने पहले शादी में बूंदी भी आया था. उसके दिल्ली में रहने की भी जानकारी मिली. पुलिस टीम ने कड़ी से कड़ी जोड़कर मेहनत की, इसके लिए कई शहरों और लोगों के पास भी पुलिस पूछताछ के लिए गई. आखिर में जानकारी मिलने पर उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया है. शुरुआत में कालू ने हत्या करने से इनकार कर दिया, लेकिन उसके डॉक्यूमेंट और अन्य पड़ताल करने पर उसका ही हत्यारा होना सामने आया है.
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चुपके से ले गया पत्नी को, बच्चे भी हुए बड़े - एसपी यादव का कहना है कि आरोपी हत्या करने के बाद तुरंत कोटा पहुंच गया. यहां पर उसने दिल्ली और मुंबई जाने वाली ट्रेनों की जानकारी ली. दिल्ली की ट्रेन पहले आ रही थी, ऐसे में वह बैठकर दिल्ली चला गया. आरोपी वेल्डिंग का कार्य बूंदी में करता था. इसलिए पहले उसने वहां पर नौकरी की और फुटपाथ पर सोने लगा. बाद में मालिक ने रहने की जगह मुहैया करवा दी. धीरे-धीरे आमदनी बढ़ने पर उसने खुद भी अपनी दुकान सेट कर ली. इसके बाद चुपके से वह बूंदी आया और अपने परिवार को लेकर चला गया. उसके बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं.
पहचान छुपा ली हुलिया भी बदल गया - एसपी यादव ने बताया कि पहले आरोपी का नाम कालू यादव था, लेकिन उसने आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों में नाम परिवर्तन करते हुए सुरेश यादव रख लिया. दिल्ली में उसे सुरेश यादव नाम से ही लोग जानते हैं. साथ ही उसका हुलिया भी बदल गया. हालांकि घटना को 44 साल हो गए हैं, उस समय वह जवान था और अब बुजुर्ग हो गया है.
हत्यारे की उम्र को लेकर संशय - हत्यारा कालू 44 साल से फरार था. गिरफ्तार करने के बाद जब उसके आधार कार्ड की जांच की गई, तब उसमें 59 साल उम्र आ रही है. एसपी जय यादव का कहना है कि उम्र को लेकर अभी संशय है. आधार कार्ड और बरामद अन्य डॉक्यूमेंट्स के आधार पर इसकी उम्र को सही नहीं माना जा सकता है. ऐसे में उसकी उम्र की जांच की जा रही है. जब कालू ने हत्या की थी तब यह नाबालिग ही था, लेकिन उस समय कानून अलग था. इस को पकड़ने के संबंध में न्यायालय ने ही वारंट जारी किए हुए हैं.
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