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बूंदी की एकमात्र मोर्चरी का हाल बेहाल, शवों तक को सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था नहीं - बूंदी जिला अस्पताल

बूंदी जिला अस्पताल की एकमात्र मोर्चरी विकास को तरस रही है. यहां लंबे समय से गंदगी का आलम है और बायो मेडिकल वेस्ट के संक्रमण भरे सामग्रियां खुले में ही पड़ी होने से आने जाने वाले लोगों को संक्रमण दे रही है. इस मोर्चरी में सही से बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि शव को व्यापक तरीके से सुरक्षित रखने का भी कोई इंतजाम नहीं है.

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मोर्चरी का हाल-बेहाल
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Published : Jul 17, 2020, 9:07 PM IST

बूंदी. जिले की एकमात्र सबसे बड़ी मोर्चरी बदहाल हो चुकी है. बड़े प्रांगण में बनी यह मोर्चरी कहीं से भी नहीं लगती कि यह जिले की सबसे बड़ी मोर्चरी है. प्रवेश द्वार पर बड़ी संख्या में संक्रमण से भरे मेडिकल वेस्ट के पैकेट पड़े रहते हैं. जिससे आने-जाने वाले तीमारदारों को संक्रमण से फैलने का खतरा मंडराता दिखता है. इसी तरह मोर्चरी के पूरे प्रांगण में गंदगी ही गंदगी देखी जा सकती है.

बता दें कि मोर्चरी के अंदर शव रखने का कोई व्यापक इंतजाम नहीं है. हालांकि यहां तो रखने के लिए डीप फ्रीज भी बनाया हुआ है, लेकिन वह भी कई बार तकनीकी कारणों से बंद ही रहता है. ऐसे में शव को बाहर ही टेबल के सहारे खुले में रखने को मजबूर होना पड़ता है. अधिकतर बार गर्मी के सीजन में शव पर कीड़े पड़ जाने की खबर भी कहीं ना कहीं चिकित्सा विभाग की पोल खोल देने वाली होती है. मोर्चरी में मेडिकल टीम द्वारा शव के अंश साक्ष्यों को बाहर निकाला जाता है. अंश को भी विभाग ने खुले में ही रखकर छोड़ रखा है जो कि एक बड़ी लापरवाही है.

मोर्चरी का हाल-बेहाल

पढ़ेंः बूंदी: कोरोना संक्रमण के चलते अभिभाषक परिषद ने 31 जुलाई तक कार्य स्थगित रखने का लिया फैसला

दरअसल, पहले मोर्चरी पुराने भवन में चला करती थी, लेकिन तत्कालीन सांसद इज्यराज सिंह ने मोर्चरी का भवन नया बना दिया और आधुनिक भवन बना तो यहां सुविधाएं और बढ़ गई. सुविधाएं बढ़ी तो यकीन हुआ कि जिला अस्पताल की मोर्चरी संक्रमण मुक्त है और पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन धीरे-धीरे लापरवाही बढ़ती गई और चिकित्सा विभाग मूक दर्शक बना रहा. इसके साथ ही इलाके के कुछ असामाजिक तत्वों ने जिला अस्पताल की इस मोर्चरी को अपना अड्डा बना लिया.

मृतक के तीमारदारों को होती है पोस्टमार्टम भवन में परेशानियां

जिले की एकमात्र मोर्चरी होने के कारण जिले के अधिकतर मामलों के पोस्टमार्टम यहां पर ही किए जाते हैं. हालांकि केशवरायपाटन और हिंडोली में भी पोस्टमार्टम केंद्र है. लेकिन मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने के लिए पुलिस अधिकतर मामलों के पोस्टमार्टम बूंदी में ही किए जाते हैं. इसके बावजूद ना तो पुलिस को कोई सुविधा दी गई है और ना ही मृतक के तीमारदारों को.

पढ़ेंः बूंदी: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कलेक्टर ने व्यापारियों को दिया ये 'खास' निर्देश...

पोस्टमार्टम भवन के अंदर जैसे ही तीमारदार प्रवेश करते हैं तो उन्हें आसपास की पड़ी संक्रमण वाली चीजों से संक्रमण का खतरा और पैदा हो जाता है. इसके लिए बड़ी सावधानी पूर्वक वह मोर्चरी के अंदर पहुंचते हैं और अपने परिवार जन के शव को ले जाते हैं. घटना में अपने परिजनों को गवां चुके परिवार वैसे ही अवसाद में रहते हैं. ऊपर से उन्हें मोर्चरी में फैली गंदगी से भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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मोर्चरी के बाहर गंदगी का अंबार

जिला अस्पताल का पोस्टमार्टम भवन हो आधुनिक

जिले की एकमात्र मोर्चरी को चाहिए कि जिला अस्पताल अधीक्षक संज्ञान में लेकर आधुनिक करें और वहां की साफ-सफाई को सुव्यवस्थित करवाएं. गंदगी को साफ कराएं ताकि आने जाने वाले तीमारदारों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. साथ ही डेड बॉडी को रखने के लिए उचित व्यवस्था कराएं. जिसके की डेड बॉडी सुरक्षित रह सके. यहां आने वाले परिजनों के लिए बैठने की, पानी की और अच्छी छांव की व्यवस्था हो. जिससे परिजन इधर-उधर नहीं भटके.

इस मामले में स्वास्थ्य विभाग बोलने को तैयार नहीं है और मीडिया से पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन तस्वीरें बता रही है कि किस तरीके से अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है और एक बड़े संक्रमण को यहां साफ सफाई नहीं करवाकर स्वास्थ्य विभाग ने आमजन को छोड़ रखा है. शहर के लोगों ने भी इस जिला अस्पताल की मोर्चरी को आधुनिक करने की मांग की है और रखरखाव की मांग की है.

बूंदी. जिले की एकमात्र सबसे बड़ी मोर्चरी बदहाल हो चुकी है. बड़े प्रांगण में बनी यह मोर्चरी कहीं से भी नहीं लगती कि यह जिले की सबसे बड़ी मोर्चरी है. प्रवेश द्वार पर बड़ी संख्या में संक्रमण से भरे मेडिकल वेस्ट के पैकेट पड़े रहते हैं. जिससे आने-जाने वाले तीमारदारों को संक्रमण से फैलने का खतरा मंडराता दिखता है. इसी तरह मोर्चरी के पूरे प्रांगण में गंदगी ही गंदगी देखी जा सकती है.

बता दें कि मोर्चरी के अंदर शव रखने का कोई व्यापक इंतजाम नहीं है. हालांकि यहां तो रखने के लिए डीप फ्रीज भी बनाया हुआ है, लेकिन वह भी कई बार तकनीकी कारणों से बंद ही रहता है. ऐसे में शव को बाहर ही टेबल के सहारे खुले में रखने को मजबूर होना पड़ता है. अधिकतर बार गर्मी के सीजन में शव पर कीड़े पड़ जाने की खबर भी कहीं ना कहीं चिकित्सा विभाग की पोल खोल देने वाली होती है. मोर्चरी में मेडिकल टीम द्वारा शव के अंश साक्ष्यों को बाहर निकाला जाता है. अंश को भी विभाग ने खुले में ही रखकर छोड़ रखा है जो कि एक बड़ी लापरवाही है.

मोर्चरी का हाल-बेहाल

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दरअसल, पहले मोर्चरी पुराने भवन में चला करती थी, लेकिन तत्कालीन सांसद इज्यराज सिंह ने मोर्चरी का भवन नया बना दिया और आधुनिक भवन बना तो यहां सुविधाएं और बढ़ गई. सुविधाएं बढ़ी तो यकीन हुआ कि जिला अस्पताल की मोर्चरी संक्रमण मुक्त है और पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन धीरे-धीरे लापरवाही बढ़ती गई और चिकित्सा विभाग मूक दर्शक बना रहा. इसके साथ ही इलाके के कुछ असामाजिक तत्वों ने जिला अस्पताल की इस मोर्चरी को अपना अड्डा बना लिया.

मृतक के तीमारदारों को होती है पोस्टमार्टम भवन में परेशानियां

जिले की एकमात्र मोर्चरी होने के कारण जिले के अधिकतर मामलों के पोस्टमार्टम यहां पर ही किए जाते हैं. हालांकि केशवरायपाटन और हिंडोली में भी पोस्टमार्टम केंद्र है. लेकिन मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने के लिए पुलिस अधिकतर मामलों के पोस्टमार्टम बूंदी में ही किए जाते हैं. इसके बावजूद ना तो पुलिस को कोई सुविधा दी गई है और ना ही मृतक के तीमारदारों को.

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पोस्टमार्टम भवन के अंदर जैसे ही तीमारदार प्रवेश करते हैं तो उन्हें आसपास की पड़ी संक्रमण वाली चीजों से संक्रमण का खतरा और पैदा हो जाता है. इसके लिए बड़ी सावधानी पूर्वक वह मोर्चरी के अंदर पहुंचते हैं और अपने परिवार जन के शव को ले जाते हैं. घटना में अपने परिजनों को गवां चुके परिवार वैसे ही अवसाद में रहते हैं. ऊपर से उन्हें मोर्चरी में फैली गंदगी से भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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मोर्चरी के बाहर गंदगी का अंबार

जिला अस्पताल का पोस्टमार्टम भवन हो आधुनिक

जिले की एकमात्र मोर्चरी को चाहिए कि जिला अस्पताल अधीक्षक संज्ञान में लेकर आधुनिक करें और वहां की साफ-सफाई को सुव्यवस्थित करवाएं. गंदगी को साफ कराएं ताकि आने जाने वाले तीमारदारों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. साथ ही डेड बॉडी को रखने के लिए उचित व्यवस्था कराएं. जिसके की डेड बॉडी सुरक्षित रह सके. यहां आने वाले परिजनों के लिए बैठने की, पानी की और अच्छी छांव की व्यवस्था हो. जिससे परिजन इधर-उधर नहीं भटके.

इस मामले में स्वास्थ्य विभाग बोलने को तैयार नहीं है और मीडिया से पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन तस्वीरें बता रही है कि किस तरीके से अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है और एक बड़े संक्रमण को यहां साफ सफाई नहीं करवाकर स्वास्थ्य विभाग ने आमजन को छोड़ रखा है. शहर के लोगों ने भी इस जिला अस्पताल की मोर्चरी को आधुनिक करने की मांग की है और रखरखाव की मांग की है.

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