बूंदी. 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन खत्म होने के साथ ही सेंटरों को भी बंद कर दिया गया है, लेकिन 45 प्लस वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है और वहां पर वैक्सीन खराब होने के मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि राजस्थान में लगातार वैक्सीन की बर्बादी की खबरें सामने आने के बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है और वैक्सीन की डोज की निगरानी रख रखा है साथ में बाकयदा उसका रजिस्टर मेंटेन किया जा रहा है ताकि अब विवाद हो तो जवाब दिया जा सके.
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राजस्थान में जितनी वैक्सीन की कमी है उतनी ही मांग सरकार की ओर से की जा रही है. उसकी एक चौथाई भी केंद्र नहीं दे पा रहा है किल्लत तो होगी ही और सेंटर बंद पड़े हैं. राजस्थान सरकार यह बात अमूमन हर रोज कह रही है केंद्र रोज आंकड़े जारी कर बता रहा है कि किस राज्य को कितनी डोज ओर वायल देनी है और दी है और कितनी ही डोज राज्यों ने खराब कर दी है.
उधर मीडिया कवरेज को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग ने टीका केंद्र के अंदर जाने से रोक लगा दी है. केवल बाहर से ही मीडिया कवरेज कर सकता है. अंदर डोज किस प्रकार से लगाई जा रही है कैसी लगाई जा रही है इसका मीडिया कवरेज नहीं हो पाएगा. इसके पीछे अधिकारियों का तर्क यह है कि अंदर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो पा रही है जिसके चलते रोक लगाई गई है. लगातार राजस्थान सहित बूंदी जिले के स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही किस तरीके से हो रही है यह किसी से छिपा नहीं है. जिस वजह से मीडिया कवरेज पर रोक लगाना प्रशासन की मजबूरी हो गई है, ताकि सच्चाई को उजागर नहीं कर सके.
वैक्सीन सेंटर पर मौजूद स्टाफ कर्मी मनोज कुमार जैन, गजानंद कहार का कहना है कि हम किसी प्रकार के डोज को बर्बाद नहीं कर रहे हैं, यहां पर वैक्सीन की डोज को बराबर लगाया जा रहा है. किसी भी डोज को बायो मेडिकल वेस्ट में नहीं फेंका जा रहा है. जो खबरें आ रही है वह खबरें झूठी है. चाहे तो आप हमारा रिकॉर्ड जो चेक कर सकते हैं.
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एक वाइल में 10 से 11 लोगों को डोज लगाई जा सकती है. जब वायल को खोला जाता है और वायल से डोज लगाना शुरू किया जाता है तो पूरी वायल की डोज को 4 घंटे के अंदर लगाना होता है, लेकिन बूंदी जिले के ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां वैक्सीन लगाने के लिए ग्रामीण नहीं आ रहे हैं तो अमूमन वैक्सीन के डोज को डस्टबिन या बायो मेडिकल वेस्ट में फेंकना पड़ता है.
बूंदी जिले के खटकड़ स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र लाखेरी, स्वास्थ्य केंद्र इंदरगढ़ ऐसे हैं जहां पर वैक्सीन की डोज इसलिए फेंकनी पड़ी क्योंकि यहां डोज की वायल खुलने के बाद कुछ ग्रामीणों ने वैक्सीन लगा ली जबकि कुछ ग्रामीण नहीं पहुंचे तो 4 घंटे की अवधि के बाद वह डोज काम की नहीं रही तो जिस वजह से उसे फेंकना पड़ा. हमारी पड़ताल में यही सामने आया कि बूंदी जिले के ग्रामीण इलाकों में लोग वैक्सीन के प्रति जागरूक नहीं हैं. हालांकि कुछ लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं पर ज्यादा लोगों के न आने से एक बार खुले वायल को 4 घंटे बीत जाने के बाद फेंकना पड़ रहा है.