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बूंदी में 11 शिशुओं की मौत का मामला, निरीक्षण दल ने बताया- सभी मौतें सामान्य लेकिन स्टाफ की कमी

बूंदी के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में 11 बच्चों की मौत के बाद रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने दौरा किया था. वहीं, सोमवार को कोटा जोन की जॉइंट डायरेक्टर के नेतृत्व में टीम ने एसएनसीयू यूनिट (Special Newborn Care Unit) का दौरा किया. इस दौरान टीम ने अस्पताल में स्टाफ की कमी जरूर पाई लेकिन सभी मौतों को सामान्य बताया है.

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Published : Jan 6, 2020, 10:50 PM IST

Special Newborn Care Unit bundi, बूंदी में नवजात शिशुओं की मौत
11 infants died in Bundi hospital

बूंदी. मातृ एवं शिशु अस्पताल की एसएनसीयू यूनिट में 11 बच्चों की मौत के बाद लगातार टीमों का अस्पताल में पहुंचना जारी है. रविवार को जहां केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने निरीक्षण किया था, सोमवार को कोटा जोन जॉइंट डायरेक्टर की टीम ने एसएनसीयू यूनिट का दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया. इस दौरान टीम के साथ बूंदी सीएमओ ऑफिस के अधिकारी भी मौजूद रहे.

मातृ एवं शिशु अस्पताल में 11 बच्चो की मौत मामला , कोटा से दो जॉइंट डारेक्टर एवं टीम ने किया निरीक्षण

टीम ने गोपनीय तरीके से यूनिट का दौरा किया और करीब 2 घंटे तक वहां के हालातों को जाना. इस दौरान टीम ने अस्पताल में रिक्त पदों, ऑक्सीजन, रूम वार्मर, नेबुलाइजर सहित प्रसूताओं के बेड की संख्या और व्यवस्था की जानकारी जुटाई. इसके बाद टीम के सदस्यों ने अस्पताल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं.

पढ़ेंः बूंदी: लाइट कटने से बंद होती रही मशीनें, बच्चों की चीख से सहमता रहा SNCU यूनिट

जॉइंट डायरेक्टर हेमंत विजय एवं आरके लवानिया ने बताया कि उन्होंने जांच में बच्चों की मौत सामान्य तरीके से होना पाया है. मरने वाले शिशुओं में कोई भी पूर्ण तरीके से विकसित नहीं था, कुछ में वजन भी कम था. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की हरसंभव कोशिश रहती है कि जो भी बच्चा आए उसे स्वस्थ किया जाए. लेकिन कुछ परिस्थितियों में शिशुओं की मौत होती है तो उसके पीछे अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार नहीं होता.

आंकड़े बताते हुए उन्होंने कहा कि बूंदी के अस्पताल में राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले शिशु मृत्यु दर बहुत कम है. जब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि आंकड़ों से लापरवाही छुपाई जा सकती है. इस पर उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों की लापरवाही होगी तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन हमारे निरीक्षण में इस तरीके से कोई भी खामियां नहीं पाई गई है और बच्चों की मौत सामान्य हुई है. उन्होंने अस्पताल में चिकित्सकों की कमी बताई और इसके लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की बात कही है.

पढ़ेंः कोटा के बाद अब बूंदी के अस्पताल में एक महीने के भीतर 10 बच्चों की मौत

गौरतलब है कि बूंदी अस्पताल में 11 शिशुओं की मौत हो गई थी. जिसके बाद स्वास्थय विभाग के दल ने निरीक्षण किया है. अधिकारियों के निरीक्षण में हालात सामान्य पाए गए हैं लेकिन ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में हमने पाया था कि एसएनसीयू में लगे हीट वॉर्मर मॉनिटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे. जबकि स्टेप डाउन वार्ड में एक दीवार पर सीलन व पानी टपकने की शिकायत भी हमें मिली थी.

बूंदी. मातृ एवं शिशु अस्पताल की एसएनसीयू यूनिट में 11 बच्चों की मौत के बाद लगातार टीमों का अस्पताल में पहुंचना जारी है. रविवार को जहां केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने निरीक्षण किया था, सोमवार को कोटा जोन जॉइंट डायरेक्टर की टीम ने एसएनसीयू यूनिट का दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया. इस दौरान टीम के साथ बूंदी सीएमओ ऑफिस के अधिकारी भी मौजूद रहे.

मातृ एवं शिशु अस्पताल में 11 बच्चो की मौत मामला , कोटा से दो जॉइंट डारेक्टर एवं टीम ने किया निरीक्षण

टीम ने गोपनीय तरीके से यूनिट का दौरा किया और करीब 2 घंटे तक वहां के हालातों को जाना. इस दौरान टीम ने अस्पताल में रिक्त पदों, ऑक्सीजन, रूम वार्मर, नेबुलाइजर सहित प्रसूताओं के बेड की संख्या और व्यवस्था की जानकारी जुटाई. इसके बाद टीम के सदस्यों ने अस्पताल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं.

पढ़ेंः बूंदी: लाइट कटने से बंद होती रही मशीनें, बच्चों की चीख से सहमता रहा SNCU यूनिट

जॉइंट डायरेक्टर हेमंत विजय एवं आरके लवानिया ने बताया कि उन्होंने जांच में बच्चों की मौत सामान्य तरीके से होना पाया है. मरने वाले शिशुओं में कोई भी पूर्ण तरीके से विकसित नहीं था, कुछ में वजन भी कम था. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की हरसंभव कोशिश रहती है कि जो भी बच्चा आए उसे स्वस्थ किया जाए. लेकिन कुछ परिस्थितियों में शिशुओं की मौत होती है तो उसके पीछे अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार नहीं होता.

आंकड़े बताते हुए उन्होंने कहा कि बूंदी के अस्पताल में राज्य के अन्य जिलों के मुकाबले शिशु मृत्यु दर बहुत कम है. जब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि आंकड़ों से लापरवाही छुपाई जा सकती है. इस पर उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों की लापरवाही होगी तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन हमारे निरीक्षण में इस तरीके से कोई भी खामियां नहीं पाई गई है और बच्चों की मौत सामान्य हुई है. उन्होंने अस्पताल में चिकित्सकों की कमी बताई और इसके लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की बात कही है.

पढ़ेंः कोटा के बाद अब बूंदी के अस्पताल में एक महीने के भीतर 10 बच्चों की मौत

गौरतलब है कि बूंदी अस्पताल में 11 शिशुओं की मौत हो गई थी. जिसके बाद स्वास्थय विभाग के दल ने निरीक्षण किया है. अधिकारियों के निरीक्षण में हालात सामान्य पाए गए हैं लेकिन ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में हमने पाया था कि एसएनसीयू में लगे हीट वॉर्मर मॉनिटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे. जबकि स्टेप डाउन वार्ड में एक दीवार पर सीलन व पानी टपकने की शिकायत भी हमें मिली थी.

Intro:बूंदी के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में 11 बच्चों की मौत के बाद कल रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने दौरा किया था आज कोटा से दो जॉइंट डायरेक्टर टीम एसएनसीयू यूनिट का दौरा करने पहुंचे । जहां उन्होंने करीब 2 घंटे तक यूनिट का दौरा किया और अस्पताल के विभिन्न वार्डों का निरीक्षण करने पहुंचे । उन्होंने मीडिया से बातचीत में बच्चों की मौतों को सामान्य बताया है साथ में उन्होंने स्टाफ की कमी जरूर यूनिट में बताई है जिसको लेकर उच्च अधिकारियों से वार्ता करने की बात कही है


Body:बूंदी की मातृ एवं शिशु अस्पताल की एसएनसीयू यूनिट में 11 बच्चों की मौत के बाद लगातार टीमों का अस्पताल में पहुंचना जारी है । रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने निरीक्षण किया था उसके बाद आज मंगलवार को कोटा जोन जॉइंट डायरेक्टर एवं टीम ने एसएनसीयू यूनिट का दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया। इस दौरान टीम के साथ बूंदी सीएमओ ऑफिस के अधिकारी भी मौजूद रहे हैं । इस दौरान टीम पहले पीएमओ कक्ष पहुंची जहां से वह एसएनसीयू यूनिट का दौरा करने पहुंची । यहां पर गोपनीय तरीके से यूनिट का उन्होंने दौरा किया करीब 2 घंटे तक यूनिट एवं शिशु अस्पताल का दौरा करती रही और वहां के हालातों को उन्होंने जाना इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं । टीम ने वहां के स्टाफ की जानकारी ली तथा कौन कौन से पद रिक्त खाली चल रहे हैं इसको लेकर अस्पताल चिकित्सकों से पूछा ।साथ में उन्होंने ऑक्सीजन वॉर्मर, नेबुलाइजर सहित प्रसूताओं की बेड संख्या की भी जानकारी ली। जहां पर टीम के अनुसार उन्हें यह सब जानकारियां सही पाई गई । साथ ही अस्पताल की व्यवस्थाओं को टीम ने अच्छा बताया है । मीडिया से बातचीत में जॉइंट डायरेक्टर हेमंत विजय व आरके लवानिया ने बताया कि बच्चों की मौत के बाद हम यहां पर दौरा करने के लिए पहुंचे हैं और बच्चों की मौत सामान्य तरीके से हुई है । कोई बच्चा पूरी तरह से विकसित नहीं था तो किसी का वजन कम था तथा किसी की बीमारी के चलते मौत हो गई । उन्होंने कहा कि जो भी बच्चा हमारे पास आता है हम पूरी कोशिश करते हैं उसे बचाने की लेकिन अगर स्थिति सही नहीं हो और उसकी डेथ हो जाए तो अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार नहीं होता है । उन्होंने कहा कि बूंदी अस्पताल काफी अच्छा अस्पताल है राजस्थान के अन्य जिलों के मुकाबले बूंदी में काफी अच्छी स्थिति है । यहां पर पांच फीसदी से बच्चे की मौत का आंकड़ा कम है जो कि साफ तौर से दर्शाता है कि अस्पताल में मौत ज्यादा हो नहीं रही है। ऐसे में मीडिया कर्मियों द्वारा उनसे सवाल किया गया कि क्या मौतों के आंकड़ों से लापरवाही छुपाई जा सकती है क्या तो इस पर डायरेक्टर ने कहा कि ऐसा नहीं है अगर अधिकारियों की लापरवाही होगी तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा । लेकिन हमारे निरीक्षण में इस तरीके से कोई भी खामियां नहीं पाई गई है और बच्चों की मौत सामान्य हुई है । हालांकि यहां पर चिकित्सकों की भी कमी है जिसको लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा और जल्द ही बूंदी में रिक्त पद भरे जाएंगे ।


Conclusion:बूंदी में लगातार बच्चों की मौत के बाद टीमो का दौरा जारी है केंद्रीय स्वास्थ्य दल की टीम ने मीडिया से बात नहीं की ओर कोटा से आई डायरेक्टर एंड टीम ने मीडिया से बातचीत में बूंदी अस्पताल को सही बताया है और यहां की व्यवस्थाओं को सही बताया है और बच्चों की मौत को भी सामान्य बताया है। अब सवाल यह कि बच्चों की मौत सामान्य हुई है तो आखिरकार लापरवाही किसकी रही कोटा जॉइंट डायरेक्टर ने अस्पताल के लापरवाह चिकित्सक व पीएमओ को क्लीन चिट दे दी है । जबकि टीम ने यह भी माना है कि यहां पर किसी प्रकार की हिट वॉर्मर के मोनिटर की कमी नहीं है। जबकि ईटीवी भारत की टीम ने वहां पर पड़ताल में यह पाया था कि वहां पर हिट वॉर्मर मॉनिटर एवं स्टेप डाउन वार्ड में एक दीवार पर सीलन व पानी टपकने की शिकायत है लेकिन टीम ने बड़ी आसानी से कह दिया कि बूंदी अस्पताल ऑल ओके है ।

बाईट- हेमन्त विजय , जॉइंट डारेक्टर
बाईट - आरके लवानिया , जॉइंट डारेक्टर
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