बीकानेर. भगवान शिव को सभी देवताओं का देवता यानी कि देवादिदेव देव कहा जाता है. असुर भी भगवान शिव की पूजा आराधना करते थे. वैसे तो भगवान शिव के कई नाम हैं लेकिन इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि यह अपने भक्तों के प्रेम के प्रति आसक्त होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं. एक लोटा जल अर्पित करने से प्रसन्न होने वाले और भस्मासुर की मंशा जानते हुए भी उसे मनचाहा वरदान प्रदान कर देते हैं. इसलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करना श्रेष्ठ माना जाता है.
आज है विशेष संयोग
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी की आराधना की जाती है। सोमवार के दिन अष्टमी का होना एक विशेष संयोग है और इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने का विशेष महत्व बताया गया है. रुके हुए काम और मनवांछित प्रगति के लिए इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करना श्रेयस्कर माना गया है.
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ऐसे करें भगवान शिव की पूजा आराधना
भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए सर्वप्रथम प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना करने के साथी शिव परिवार की पूजा भी करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल पंचामृत का अभिषेक करना चाहिए और पूजा के बाद बिल्वपत्र भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही प्रसाद में भगवान शिव को यथा योग्य अर्पण करना बतलाया गया है. इस दिन व्रत करने वाले जातकों को प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा आराधना और भोग अर्पित करने के बाद व्रत खोलना चाहिए.
संकटों से मुक्ति: भगवान शिव की आराधना करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है साथ ही किसी भी ग्रह से पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए और रुद्री का पाठ करना चाहिए.