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Til Dwadashi 2023: भगवान विष्णु की आराधना से मिलता है खास फल, बन रहा खास संयोग

माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन तिलों के तेल से भगवान विष्णु का विशेष पूजन किया जाता है. आज द्वादशी और गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है. गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा होती है और विष्णु की आराधना के दिन तिल द्वादशी का होना बहुत ही शुभ संयोग है.

Til Dwadashi 2023
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Published : Jan 19, 2023, 6:30 AM IST

बीकानेर. नारद और स्कंद पुराण के मुताबिक माघ महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी पर पूजा व्रत का काफी महत्व है. इस दिन तिल दान करने का भी महत्व बताया गया है. तिल का सेवन, दान और हवन करने की परंपरा है. धर्म शास्त्रों और पुराणों में द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है. द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा से मनवांछित फल मिलता है.

अश्वमेध यज्ञ के समान महत्व- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए. फिर तिल का उबटन लगाएं. इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए. इस दिन तिल से हवन करें. फिर भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए. इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है.

पढ़ें- Daily Love Rashifal : इन राशियों की मैरिड लाइफ में मजबूत होगा रिश्ता, सिंगल्स को मिल सकता है नया पार्टनर

इस विधि से करें पूजा- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें. फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें. इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं. पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बांट दें. इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

मुक्ति का मार्ग है माघ तिल द्वादशी- मान्यता है कि सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए. महाभारत में उल्लेख है कि जो मनुष्य माघ मास में संतों को तिल दान करता है, वह कभी नरक का भागीदार नहीं बनता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु का पूजन तिल से किया जाता है और पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का महत्व होता है. इस दिन मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. पौराणिक ग्रंथ पद्म पुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने मात्र से होती है.

पढ़ें- Aaj Ka Rashifal 19 January : कैसा बीतेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल

व्रत का पालन- माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ के सामान फल प्राप्त होता है. इस प्रकार माघ मास में तिल द्वादशी का व्रत एवं स्नान-दान की अपूर्व महिमा है. इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप किया जाता है. वैसे तो शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व विशेष मानी गई है. यदि किसी स्थिति के कारण पूरे माह में संभव नहीं हो तो किसी एक दिन माघ स्नान का व्रत का पालन करें. तिल द्वादशी का व्रत भी एकादशी की तरह ही पूर्ण पवित्रता के साथ मन को शांत रखते हुए पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से करता है तो यह व्रत उस जातक के सभी कार्य सिद्ध कर उसे पापों से मुक्ति प्रदान करता है.

बीकानेर. नारद और स्कंद पुराण के मुताबिक माघ महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी पर पूजा व्रत का काफी महत्व है. इस दिन तिल दान करने का भी महत्व बताया गया है. तिल का सेवन, दान और हवन करने की परंपरा है. धर्म शास्त्रों और पुराणों में द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है. द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा से मनवांछित फल मिलता है.

अश्वमेध यज्ञ के समान महत्व- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए. फिर तिल का उबटन लगाएं. इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए. इस दिन तिल से हवन करें. फिर भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए. इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है.

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इस विधि से करें पूजा- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें. फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें. इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं. पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बांट दें. इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

मुक्ति का मार्ग है माघ तिल द्वादशी- मान्यता है कि सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए. महाभारत में उल्लेख है कि जो मनुष्य माघ मास में संतों को तिल दान करता है, वह कभी नरक का भागीदार नहीं बनता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु का पूजन तिल से किया जाता है और पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का महत्व होता है. इस दिन मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. पौराणिक ग्रंथ पद्म पुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने मात्र से होती है.

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व्रत का पालन- माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ के सामान फल प्राप्त होता है. इस प्रकार माघ मास में तिल द्वादशी का व्रत एवं स्नान-दान की अपूर्व महिमा है. इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप किया जाता है. वैसे तो शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व विशेष मानी गई है. यदि किसी स्थिति के कारण पूरे माह में संभव नहीं हो तो किसी एक दिन माघ स्नान का व्रत का पालन करें. तिल द्वादशी का व्रत भी एकादशी की तरह ही पूर्ण पवित्रता के साथ मन को शांत रखते हुए पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से करता है तो यह व्रत उस जातक के सभी कार्य सिद्ध कर उसे पापों से मुक्ति प्रदान करता है.

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