बीकानेर. एक समय पंजाब और हरियाणा के कैंसर रोगियों के लिए बीकानेर का आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर इलाज का महत्वपूर्ण पड़ाव था. यहां आने वाले अधिकांश रोगियों में पंजाब और हरियाणा के लोगों की संख्या ज्यादा हुआ करती थी. पंजाब में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ने का कारण फैक्ट्रियों का वेस्ट नहर के पानी में मिलना और पेस्टिसाइड्स का ज्यादा इस्तेमाल करना सामने आया था. लेकिन अब यहां पंजाब की बजाए उत्तर प्रदेश के रोगी ज्यादा सामने आ रहे हैं.
पंजाब के रोगियों का आना हुआ कम : एक समय में पंजाब-हरियाणा से यहां आने वाले रोगियों की संख्या बहुत ज्यादा हुआ करती थी. पंजाब से बीकानेर चलने वाली ट्रेन को भी बोलचाल में कैंसर ट्रेन के नाम से बोला जाने लगा. इसका कारण यह था कि उस ट्रेन में पंजाब और हरियाणा से बीकानेर आने वाले अधिकांश यात्री कैंसर रोगी और उनके परिजन हुआ करते थे. लेकिन अब पंजाब में चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार और कैंसर के इलाज के लिए खुले नए सेंटर्स के बाद पंजाब से यहां आने वाले रोगियों की संख्या कम हो गई है.
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उत्तर प्रदेश के रोगियों का बढ़ा आंकड़ा : वहीं, दूसरी ओर अब उत्तर प्रदेश के गंगा तट के किनारे बसे जिलों के लोग कैंसर के नए रोगी के रूप में चिन्हित हो रहे हैं. कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीति शर्मा कहती हैं कि पंजाब में चिकित्सकीय सुविधाओं का विस्तार हुआ है. इसलिए वहां से रोगी आना कम हो गए हैं, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसे शहरों के रोगी सामने आ रहे हैं.
पित्ताशय के कैंसर रोगी : कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ. नीति शर्मा कहती हैं कि गंगा के किनारे बसे शहरों में चमड़े के कारोबार के अलावा अन्य फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पदार्थ को नदी में बहा दिया जाता है. शायद यही पानी जब उपयोग में लिया जाता है तो यह बीमारी का कारण बन रहा है. क्योंकि वहां से आने वाले अधिकांश रोगी पित्ताशय यानी कि गॉल ब्लैडर में कैंसर के रोगी होते हैं. इतना ही नहीं, दूसरे राज्यों जैसे हरियाणा से भी यहां रोगी काफी संख्या में आ रहे हैं. हालांकि, 2022 में हरियाणा की जगह उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा रोगी आए हैं.
देश के कई राज्यों से आते हैं लोग : इस सेंटर में देश के अलग-अलग राज्यों और यहां तक कि नेपाल से भी रोगी इलाज के लिए आते हैं. हालांकि, यहां आने वाले मरीजों के इलाज की सुविधाओं को लेकर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. शंकरलाल जाखड़ कहते हैं कि हमारे यहां अत्याधुनिक मशीनों के साथ ही एक ही छत के नीचे सुलभ इलाज होना इसका एक बड़ा कारण है. आज भी मरीज इलाज के लिए अन्य जगह जाने की बजाय बीकानेर आने को प्राथमिकता देते हैं. यहां कमोबेश राजस्थान के हर जिले से रोगी आते हैं, लेकिन आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर में आने वाला हर तीसरा रोगी दूसरे राज्य का निवासी होता है. यहां आने वाले कुल रोगियों में अन्य राज्यों के 35 फीसदी रोगी होते हैं.