बीकानेर. मृत पशुओं की एशिया की सबसे बड़ी डंपिंग साइट के रूप में पहचान रखने वाला बीकानेर का जोड़बीड़ गिद्ध संरक्षण क्षेत्र विदेशी पक्षियों की चहक से गूंज उठा है (Vultures flock to Jorbeer). करीब साढ़े पांच हजार वर्ग किलोमीटर में फैले जोड़बीड़ कंजर्वेशन रिजर्व में हर साल अक्टूबर से दिसंबर प्रवासी पक्षियों का आना लगा रहता है. हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए यह पक्षी बीकानेर पहुंचते हैं.
हर साल करीब दस हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षी जोड़बीड़ पहुंचते हैं. कजाकिस्तान, उज्जबेकिस्तान, मंगोलिया, ओमान, रोमानिया सहित मध्य एशिया के विभिन्न देशों से 2000 से 5000 किलोमीटर की दूरी तय कर विदेशी मेहमान यहां पधारते हैं. वजहें कई है. खासकर उन्हें यहां का मौसम रास आता है.
भोजन और सर्द मौसम- बीकानेर का मौसम और इन विदेशी पक्षियों के लिए भोजन की उपलब्धता होना ही इन पक्षियों यहां आना इसका सबसे बड़ा कारण है. जोड़बीड़ क्षेत्र को मृत पशुओं के डंपिंग साइट के रूप में जाना जाता है. एशिया में सबसे बड़ा! सर्दियों में यहां पर हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हुए शिकारी पक्षी चील, बाज और गिद्ध की कई प्रजातियां पहुंचती हैं.
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शिकार की तलाश होती पूरी- डंपिंग साइट में मृत पशुओं के अलावा जोड़बीड़ में रेप्टाइल्स और जमीन के अंदर बिल बनाकर रहने वाले जीव की संख्या बहुत ज्यादा है. इसी वजह से यहां पर चील-बाज जैसे शिकारी पक्षियों की तलाश खत्म होती है. इन रेप्टाइल्स का शिकार कर अपने भोजन की जरूरत को पूरा करते हैं.
और भी पंछियों पर नजर- पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार कंजर्वेशन क्षेत्र में इन दिनों दो हजार से ज्यादा इजिप्शियन वल्चर डेरा डाले हुए हैं. इनके अलावा पीली आंख वाले कबूतर, ब्लैक ईयर काइट, स्टेपी ईगल , टोनी ईगल, शॉर्ट टोड ईगल, इम्पीरियर ईगल और ग्रेटर स्पॉटेड ईगल मौजूद हैं. शिकारी पक्षी लैगर फैल्कन, लॉन्ग लेग बर्ड,मांस हैरियर बर्ड, लम्बी गर्दन वाले गिद्ध, यूरेशियन ग्रिफॉन और हिमालयन ग्रिफॉन भी आए हैं. दुर्लभ पक्षी सोशिएबल लैपविंग भी यहां डेरा डाले हुए हैं.