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बीकानेरः महापौर के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू...भाजपा-कांग्रेस के सामने यह रहेगी बड़ी चुनौती

लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जहां भाजपा उत्साहित है। वहीं, कांग्रेस हार के कारणों का विशलेषण करने में जुटी है। इस बीच जिले में भाजपा और कांग्रेस के भीतर निकाय चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होती दिखाई देने लगी है.

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Published : Jun 6, 2019, 4:15 AM IST

गांधी म्यूनिसिपल हॉल

बीकानेर. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही जहां केंद्र में फिर से एक बार भाजपा की सरकार बन गई है। वहीं राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही निकाय चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. साथ ही महापौर के लिए दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं. पिछले दो निकाय चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही चुनाव जीतने के लिए जनता के बीच कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कह कर वोट मांगे, जिसमें वे सफल भी रहे। लेकिन, इस बार राजनीतिक हालात अलग है। ऐसे में पुराने नारे को दोहराते हुए वोट हासिल करना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही चुनौती बनी हुई है..

बीकानेरः महापौर के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू...भाजपा-कांग्रेस के सामने यह रहेगी बड़ी चुनौती

दरअसल 2009 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी, और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। उस वक्त पहली बार महापौर के सीधे हुए चुनाव में बीकानेर में कांग्रेस की भवानी शंकर शर्मा ने जीत हासिल की थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने विकास के नाम पर वोट मांगते हुए केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार होने का हवाला देते हुए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कही। इसी नारे के जरिए कांग्रेस को सफलता भी मिली और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आया. वहीं, 2014 में प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने महापौर के सीधे चुनाव की व्यवस्था को एक बार फिर बदल दिया। लेकिन इस बार भी भाजपा ने अपना बोर्ड और महापौर बनाने के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कहते हुए वोट मांगे.

दरअसल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी तो वहीं, प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भी भाजपा की ही सरकार थी. ऐसे में एक बार फिर कड़ी से कड़ी जोड़ने वाले नारे का जमीनी प्रभाव देखने को मिला और जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया. इस चुनाव में भाजपा के नारायण चोपड़ा बीकानेर के महापौर बने. लेकिन, वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो केंद्र में भाजपा की सरकार है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां कड़ी से कड़ी जोड़ने वाले नारे के जरिए चुनावी वैतरणी पार करती दिखाई नहीं दे रही हैं. हालांकि, दोनों ही पार्टियों के नेताओं की ओर से निकाय चुनाव की तैयारियां जिले में प्रारंभ हो चुकी है.

भाजपा के शहर जिला उपाध्यक्ष अशोक प्रजापत इस मामले में कहते हैं कि अब क्षेत्र और दायरा बड़ा होगा. बीकानेर सीधा दिल्ली से जुड़ेगा और देश में नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर है और हमें विश्वास है कि फिर से एक बार बीकानेर में भी नगर निगम में भाजपा का कमल खिलेगा. वहीं दूसरी और राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें हारने के बाद भी कांग्रेसी जहां हार के कारणों पर चिंतन में डूबे हुए हैं. वहीं निकाय चुनावों की तैयारी भी अंदरुनी स्तर पर शुरू कर दी है.

बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत कहते हैं कि हम हार के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं. लेकिन साथ ही निकाय चुनाव को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि निकाय के चुनाव में सीधा असर राज्य की सरकार का होता है और राजस्थान में हमारी सरकार है. निकाय के मुद्दे नाली सड़क और सफाई के रहते हैं और राज्य सरकार के अधीन आते हैं ऐसे में जनता राजस्थान की सरकार से बीकानेर नगर निगम की कड़ी को जोड़ेगी और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आएंगे.

बीकानेर. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही जहां केंद्र में फिर से एक बार भाजपा की सरकार बन गई है। वहीं राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही निकाय चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. साथ ही महापौर के लिए दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं. पिछले दो निकाय चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही चुनाव जीतने के लिए जनता के बीच कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कह कर वोट मांगे, जिसमें वे सफल भी रहे। लेकिन, इस बार राजनीतिक हालात अलग है। ऐसे में पुराने नारे को दोहराते हुए वोट हासिल करना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही चुनौती बनी हुई है..

बीकानेरः महापौर के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू...भाजपा-कांग्रेस के सामने यह रहेगी बड़ी चुनौती

दरअसल 2009 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी, और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। उस वक्त पहली बार महापौर के सीधे हुए चुनाव में बीकानेर में कांग्रेस की भवानी शंकर शर्मा ने जीत हासिल की थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने विकास के नाम पर वोट मांगते हुए केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार होने का हवाला देते हुए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कही। इसी नारे के जरिए कांग्रेस को सफलता भी मिली और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आया. वहीं, 2014 में प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने महापौर के सीधे चुनाव की व्यवस्था को एक बार फिर बदल दिया। लेकिन इस बार भी भाजपा ने अपना बोर्ड और महापौर बनाने के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कहते हुए वोट मांगे.

दरअसल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी तो वहीं, प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भी भाजपा की ही सरकार थी. ऐसे में एक बार फिर कड़ी से कड़ी जोड़ने वाले नारे का जमीनी प्रभाव देखने को मिला और जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया. इस चुनाव में भाजपा के नारायण चोपड़ा बीकानेर के महापौर बने. लेकिन, वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो केंद्र में भाजपा की सरकार है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां कड़ी से कड़ी जोड़ने वाले नारे के जरिए चुनावी वैतरणी पार करती दिखाई नहीं दे रही हैं. हालांकि, दोनों ही पार्टियों के नेताओं की ओर से निकाय चुनाव की तैयारियां जिले में प्रारंभ हो चुकी है.

भाजपा के शहर जिला उपाध्यक्ष अशोक प्रजापत इस मामले में कहते हैं कि अब क्षेत्र और दायरा बड़ा होगा. बीकानेर सीधा दिल्ली से जुड़ेगा और देश में नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर है और हमें विश्वास है कि फिर से एक बार बीकानेर में भी नगर निगम में भाजपा का कमल खिलेगा. वहीं दूसरी और राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें हारने के बाद भी कांग्रेसी जहां हार के कारणों पर चिंतन में डूबे हुए हैं. वहीं निकाय चुनावों की तैयारी भी अंदरुनी स्तर पर शुरू कर दी है.

बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत कहते हैं कि हम हार के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं. लेकिन साथ ही निकाय चुनाव को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि निकाय के चुनाव में सीधा असर राज्य की सरकार का होता है और राजस्थान में हमारी सरकार है. निकाय के मुद्दे नाली सड़क और सफाई के रहते हैं और राज्य सरकार के अधीन आते हैं ऐसे में जनता राजस्थान की सरकार से बीकानेर नगर निगम की कड़ी को जोड़ेगी और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आएंगे.

Intro:बीकानेर लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही जहां केंद्र में फिर से एक बार भाजपा की सरकार बन गई है वहीं राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही निकाय चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही महापौर के चुनाव की घोषणा को लेकर दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही चुनाव जीतने के लिए जनता के बीच कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कह कर वोट मांगे लेकिन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही इस नारे से दूर रहना होगा दरअसल 2009 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे उस वक्त पहली बार महापौर के सीधे हुए चुनाव में बीकानेर में कांग्रेस की भवानी शंकर शर्मा ने जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस ने विकास के नाम पर वोट मांगते हुए केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के हवाले को देते हुए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात जनता से कहीं और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम गया


Body:वहीं 2014 में प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने महापौर के सीधे चुनाव की व्यवस्था को एक बार फिर बदल दिया लेकिन इस बार भी भाजपा ने अपना बोर्ड और महापौर बनाने के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ने की बात कहते हुए वोट मांगे दरअसल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी तो वही सुबह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भी भाजपा की ही सरकार थी ऐसे में जनता ने भी फिर से एक बार कड़ी से कड़ी को जोड़ते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान किया और भाजपा के नारायण चोपड़ा बीकानेर के महापौर बने।

बाढ़ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो वहीं केंद्र में भाजपा की सरकार है ऐसे में दोनों ही पार्टियां कड़ी से कड़ी जोड़ने के नाम पर वोट मांगने की स्थिति में नहीं है बावजूद इसके भाजपा और कांग्रेस में विकास के नाम पर वोट मांगने की तैयारी कर ली है भाजपा के शहर जिला उपाध्यक्ष अशोक प्रजापत कहते हैं कि अब क्षेत्र और दायरा बड़ा होगा और बीकानेर सीधा दिल्ली से जुड़ेगा और देश में नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर है और हमें विश्वास है कि फिर से एक बार बीकानेर में भी नगर निगम में भाजपा का कमल खिलेगा

वहीं दूसरी और राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें हारने के बाद भी कांग्रेसी जहां हार के कारणों पर चिंतन में डूबे हुए हैं वहीं निकाय चुनावों की तैयारी भी शुरू कर दी है बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत कहते हैं कि हम हार के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं लेकिन साथ ही निकाय चुनाव को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है यशपाल कहते हैं कि निकाय के चुनाव में सीधा असर राज्य की सरकार का होता है और राजस्थान में हमारी सरकार है और निकाय के मुद्दे नाली सड़क और सफाई के रहते हैं और राज्य सरकार के अधीन आते हैं ऐसे में जनता राजस्थान की सरकार से बीकानेर नगर निगम की कड़ी को जोड़ेगी और बीकानेर में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आएंगे।


Conclusion:हालांकि हर चुनाव में दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा करती है लेकिन जीत एक को ही नसीब होती है ऐसे में नगरी निकाय के चुनावों को लेकर भी कांग्रेस और भाजपा ने अपनी तैयारी शुरू करते हुए जीत के दावों को भी कहना शुरू कर दिया है लेकिन या तो परिणाम ही बताएगा कि कौन सफल होता है लेकिन कब तक इतना तय है कि इस बार नोट कड़ी से कड़ी जोड़ने के नाम पर नहीं मांगे जाएंगे


बाइक वन अशोक प्रजापत उपाध्यक्ष शहर भाजपा
बाइट टू यशपाल गहलोत अध्यक्ष शहर कांग्रेस बीकानेर
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