बीकानेर. हर महीने में एक बार कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या होती है. सोमवती अमावस्या का आशय सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि से होता है और इसका शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन दान-पुण्य कर और तीर्थों में स्नान का महत्व बताया गया है. तीर्थ स्थानों पर नदियों में जाकर स्नान करके पूर्वजों के दर्पण के लिए सोमवती अमावस्या का महत्व है.
क्या करना चाहिए ? किसी के जीवन में यदि किसी भी प्रकार से पितृ दोष की बाधा उत्पन्न हो रही हो तो सोमवती अमावस्या का दिन इसके निराकरण के लिए श्रेष्ठ है. सोमवती अमावस्या के दिन हवन, पितरों के निमित्त खीर का भोग अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही तीर्थ स्थानों में जाकर पितृ दोष की पूजा करवाना भी एक उपाय है.
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बाधाओं से मुक्ति : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में बार-बार बाधाओं और परेशानी से मुक्ति के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और पितरों का ध्यान करते हुए दीपक जलाकर प्रार्थना करनी चाहिए. पीपल पर अर्पित किए प्रसाद को बांट देने पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
श्रीहरि माता लक्ष्मी की पूजा : सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के समय 'ऊं लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः' का जाप करें. पूजा संपन्न होने के बाद फल कन्याओं को दान दे दें. इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आर्शीवाद मिलेगा. इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करने का भी फल मिलता है.