बीकानेर. दीपोत्सव पर्व इस बार ग्रहण सूर्य ग्रहण लगेगा. दीपावली के अगले दिन अमावस्या तिथि रहेगी और इस दिन सूर्य ग्रहण (solar eclipse and lunar eclipse 2022 in india) है. इस बार दीपावली के अगले दिन की बजाय एक दिन छोड़कर यानि 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी. दरअसल गोवर्धन पूजा कार्तिक प्रतिपदा को होती है. लेकिन इस बार तिथि अंतर होने के चलते दीपावली के अगले दिन अमावस्या रहेगी ऐसे में प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा होगी. जिसके चलते इस बार दीपोत्सव 6 दिन का होगा.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि इस बार दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण भी होगा. कार्तिक मास में इस बार 2 ग्रहण होंगे हालांकि शास्त्र के मुताबिक की है शुभ नहीं माने जाते हैं और उसके चलते आपदाएं घटित होती है.
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ग्रहण में कर सकते हैं पूजा: उन्होंने बताया कि इस बार गोवर्धन पूजा पर ग्रहण होने के चलते दीपावली के अगले दिन नहीं होगी. लेकिन यह कहना गलत है बल्कि इसका कारण यह है कि गोवर्धन पूजा कार्तिक प्रतिपदा को होती है और दीपावली के अगले दिन प्रतिपदा तिथि नहीं आ रही है, बल्कि उस दिन अमावस्या है ऐसे में अमावस्या के अगले दिन गोवर्धन पूजा होगी. उन्होंने ग्रहण में पूजा करना मना नहीं है बल्कि ग्रहण में तो और ज्यादा पूजा करनी चाहिए. पिंकी ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले प्रभावी होता है और इस दौरान पाठ पूजा करना चाहिए. लेकिन जिस समय ग्रहण हो उस समय भगवान की प्रतिमा को हाथ नहीं लगाना चाहिए. इस बात का हमें विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
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ग्रहण में करना चाहिए दान: पंडित किराडू ने बताया कि ग्रहण में पूजा पाठ करना चाहिए और ग्रहण के बाद अपनी यथा सामर्थ्य के अनुसार खाद्यान्न का दान करना चाहिए. इसके साथ ही रोग से मुक्ति और शारीरिक कष्ट झेल रहे लोगों को घी का दान करना चाहिए.
सूर्य ग्रहण 2022 और चंद्र ग्रहण 2022- इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को होगा और शाम ग्रहण शाम 4:27 बजे से 5:55 बजे तक रहेगा. इससे 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा. पूरे भारत में ग्रहण दोपहर 2:28 से शाम 6:32 तक रहेगा. ग्रहण का सूतक आज सुबह 4:27 से शुरू होगा. उन्होंने बताया कि ग्रहण के सूतक काल में नित्य कर्म में पूजा पाठ करने वाले लोग बिना किसी चिंता के पूजा पाठ कर सकते हैं हवन पाठ पूजा नित्यक्रम से करने वाली पूजा में ग्रहण दौरान कोई रोक-टोक शास्त्रों में नहीं है और बल्कि इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव कम होते हैं.