बीकानेर. हिंदू धर्म शास्त्रों में हर वार की तरह शनिवार का भी महत्व है. यह दिन शनिदेव को समर्पित है. शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है. इस दिन विधि विधान से शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. शनि को धर्म शास्त्र और ज्योतिष में न्यायप्रिय कहा जाता है. शनि के प्रभावों से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है.
शनिवार को मिलेगा लाभा- दृष्टिहीन, निशक्तजन, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें और उन्हें किसी भी प्रकार का दान दें. यदि संभव हो सके तो जूता दान करें. साथ ही शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं. यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी.
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ये नहीं करें- शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है. इस दिन पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है. लड़की को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए. शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा.
इस दिशा में करें पूजा- शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए. आमतौर पर पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके की जाती है, लेकिन शनिदेव को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है इसलिए पूजा भी इसी दिशा में की जाती है.
पूजा के समय शनिदेव की आंखों में नहीं देखें- शनिदेव की पूजा करते समय उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा के समय शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए.
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इस चीज का लगाएं भोग- अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन शनिदेव को तिल, गुड़ या खिचड़ी का भोग लगाना काफी अच्छा माना जाता है.