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Shani Dev Puja: शनिवार को करें इन मंत्रों का जाप, मिलेंगे सकारात्मक परिणाम

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Published : Dec 24, 2022, 6:51 AM IST

हिंदू धर्म शास्त्रों में हर वार की तरह शनिवार का (Shani Puja on Saturday) भी विशेष महत्व है. यह दिन शनिदेव को समर्पित है. शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है. इस दिन विधि विधान से शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. शनि को धर्म शास्त्र और ज्योतिष में न्यायप्रिय कहा जाता है. शनि के प्रभावों से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है.

How to worship Lord Shani
शनिवार को शनि देव की पूजा होती है

बीकानेर. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. इस दिन शनि देव की विधि-विधान (Shani Dev Ki Puja Vidhi) से पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं शनि देव की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

पूजा करते वक्त रखें यह ध्यान : शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा (Shani Puja on Saturday) करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए. आमतौर पर पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके की जाती है, लेकिन शनिदेव को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है. इसलिए पूजा भी इसी दिशा में की जाती है. इसलिए शनि भगवान के मंदिर पूर्व दिशा की और बने होते हैं.

आंखों में नहीं देखें: शनिदेव की पूजा करते समय उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा के समय शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए.

इन मंत्रों का करें जाप: शनि देव की कृपा बनी रहे इसलिए इनके मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही द्वादश ज्योर्तिलिंग के नामों का भी उच्चारण करना चाहिए. इसके अलावा हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनिवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से शनि की वक्र दृष्टि से राहत मिलती है. शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए नियमित और संभव न हो तो शनिवार को शनिमंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन शनिदेव को तिल, गुड़ या खिचड़ी का भोग लगाना काफी अच्छा माना जाता है.

ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ||

द्वादश ज्योर्तिलिंग नाम
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति

ये भी पढ़े: Daily Rashifal : कैसा बीतेगा आज का दिन जानिए अपना आज का राशिफल

इन कामों को करने से बचें: शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है. इस दिन पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है. पीहर आई विवाहित लड़की को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए. शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु खरीद कर घर नहीं लानी चाहिए. वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ सकता है.

बीकानेर. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. इस दिन शनि देव की विधि-विधान (Shani Dev Ki Puja Vidhi) से पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं शनि देव की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

पूजा करते वक्त रखें यह ध्यान : शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा (Shani Puja on Saturday) करते समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए. आमतौर पर पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके की जाती है, लेकिन शनिदेव को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है. इसलिए पूजा भी इसी दिशा में की जाती है. इसलिए शनि भगवान के मंदिर पूर्व दिशा की और बने होते हैं.

आंखों में नहीं देखें: शनिदेव की पूजा करते समय उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा के समय शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए.

इन मंत्रों का करें जाप: शनि देव की कृपा बनी रहे इसलिए इनके मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही द्वादश ज्योर्तिलिंग के नामों का भी उच्चारण करना चाहिए. इसके अलावा हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनिवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से शनि की वक्र दृष्टि से राहत मिलती है. शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए नियमित और संभव न हो तो शनिवार को शनिमंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन शनिदेव को तिल, गुड़ या खिचड़ी का भोग लगाना काफी अच्छा माना जाता है.

ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ||

द्वादश ज्योर्तिलिंग नाम
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति

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इन कामों को करने से बचें: शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है. इस दिन पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है. पीहर आई विवाहित लड़की को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए. शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु खरीद कर घर नहीं लानी चाहिए. वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ सकता है.

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