बीकानेर. आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हंसना किसी व्यक्ति के लिए टॉनिक से कम नहीं है. राजस्थान के ठेठ सुदूर गांव का रहने वाला एक शख्स बिना किसी बड़े पर्दे या लाफ्टर शो के लाखों लोगों के चेहरे की मुस्कान का कारण बना हुआ है. विश्व हास्य दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने कॉमेडियन मुरारी लाल पारीक से खास बातचीत की और जाना उनके आम इंसान से कॉमेडियन बनने का सफर.
संघर्ष में बीता बचपन और जवानी : चूरू जिले के गोगासर गांव के मुरारी लाल पारीक का जन्म 1 मार्च 1976 को हुआ था. मुरारी आज राजस्थान ही नहीं बल्कि हरियाणा और देश के अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हैं. राजस्थानी भाषा में कॉमेडी करने वाले मुरारी लाल पारीक की जिंदगी भी संघर्षपूर्ण रही. बचपन से लेकर जवानी संघर्ष में बीता और आखिरकार मुरारी लाल को वो मुकाम और इज्जत मिली जिसके वो हकदार थे.
₹700 की नौकरी से शुरू किया सफर : मुरारी लाल ने बचपन के कुछ साल असम में बिताए. उन्होंने नौकरी और आजीविका के लिए कई पापड़ बेले, लेकिन हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी. देश के अलग-अलग राज्यों गुजरात, असम, कर्नाटक, केरल में नौकरी के लिए संघर्ष किया. बेहतर जिंदगी जीने की आस में एक बार अंडर गारमेंट्स का व्यापार भी किया, लेकिन नसीब ने साथ नहीं दिया. इसके बाद ₹700 में पहली बार नौकरी शुरू की. धीरे-धीरे मुरारी लाल ₹25000 महीने की पगार तक पहुंच गए. इसके बावजूद मन में एक कसक थी.
एक कॉल ने बदल दी जिंदगी : एक बार असम में एक रेडियो प्रोग्राम के दौरान कॉल करते समय मुरारी लाल ने मिमिक्री की और अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज में बात की, जो उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बना. मुरारी लाल की आवाज सुनकर उन्हें रेडियो स्टेशन से कॉल आया और इसके बाद 3 साल तक उन्होंने रेडियो जॉकी के रूप में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने कई मिमिक्री के स्टेज प्रोग्राम भी किए और ये सिलसिला चलता रहा. इसके बाद मुरारी लाल ने अपने वीडियो सोशल मीडिया पर भी अपलोड किए, जहां से उनको खूब प्यार मिला.
पहली बार मिले ₹6500 : सोशल मीडिया पर अपनी मिमिक्री और कॉमेडी वीडियो को अपलोड करने से उन्हें पहली बार ₹6500 मिले थे. मुरारी लाल का मानना है कि यहीं से उनकी जिंदगी का अच्छा समय शुरू हुआ. 2016 में शुरू हुआ यह सफर लगातार जारी है और आज राजस्थानी भाषा में कॉमेडियन के रूप में मुरारी काफी लोकप्रिय हैं.
सोचो और करो : मुरारी लाल अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि जीवन में कुछ करने के लिए इंसान में जुनून और इच्छाशक्ति का होना जरूरी है. उन्होंने बताया कि लोग कहते थे कि बचपन से उनके अंदर बड़ा कलाकार बनने का जुनून था. हर पल बस इस बारे में सोचा करता था. उनका मानना है कि समय के साथ उन्हें तकदीर का साथ मिला और इसी के बदौलत आज वो इस मुकाम पर हैं.
ब्रह्माकुमारीज से भी जुड़े : मुरारी लाल कहते हैं कि 90 के दशक में वे 6 साल तक ब्रह्माकुमारी आश्रम से भी जुड़े रहे और इस दौरान 6 महीने वो माउंट आबू में भी रहे. वे कहते हैं कि जिंदगी में कई बातें हम अपने अतीत से सीखते हैं. इन बातों से सीख लेते हुए हमें आगे बढ़ने की जरूरत है. मुरारी लाल कहते हैं कि जिंदगी में तनाव और चिंता बहुत है, लेकिन हमें छोटी-छोटी बातों से खुशी तलाश करनी चाहिए और हंसना चाहिए. हमारे चेहरे की मुस्कुराहट जिंदगी में कई नई और अच्छी चीजें लाती हैं.
कभी मोहताज और आज ऐशो आराम: अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मुरारी लाल कहते हैं कि वो कभी दो पैसे के लिए भी मोहताज रहे थे, लेकिन आज ऊपर वाले की कृपा से जिंदगी में सबकुछ है, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी. दो बच्चों के पिता मुरारी कहते हैं कि आज पूरे परिवार का जीवन स्तर सुधर गया है.