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Special : इच्छा थी सेना में जाने की, लेकिन जब कामयाब नहीं हुए तो सरहद की हिफाजत के लिए तैयार किया 'दूत'

भले ही वर्दी पहनकर देश की सेवा नहीं कर सके, लेकिन नोएडा निवासी तीन युवकों ने अब सरहद की हिफाजत के लिए (Drone made to protect border) एक खास तरह का ड्रोन बनाया है. ये ड्रोन कम वजनी और किफायती होने के साथ ही दुश्मनों के लिए किसी काल से कम नहीं है. देखिए राजस्थान के बीकानेर से ये खास रिपोर्ट...

Made special drone Doot for Indian forces
Made special drone Doot for Indian forces
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Published : Dec 12, 2022, 5:35 PM IST

Updated : Dec 12, 2022, 7:55 PM IST

सरहद की हिफाजत के लिए बनाया ड्रोन

बीकानेर. बदलते वक्त में अब तकनीक के सहारे युद्ध कौशल में आगे रहने का जमाना है. आज दुश्मन देश बिना हमारे सरहद में घुसे ही अपनी नापाक हरकतों को साधने की कोशिश करते हैं. जिससे निपटने को अब हमारी सेना ने भी खुद को तकनीकी रूप से अपडेट करना शुरू कर दिया है, ताकि दुश्मनों की हर चाल पर पैनी नजर रखी जा सके. वहीं, सेना की तकनीकी अपडेशन में तीन दोस्त मयंक प्रताप सिंह, अंकुर यादव और व्योम राजन सिंह इन दिनों अहम भूमिका निभा (Mechanical engineer friends made drone) रहे हैं. जिनके जज्बे की कोई सानी नहीं है.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ये तीनों दोस्त कभी सेना में जाना चाहते थे. इसके लिए कई बार परीक्षा भी दी, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी इन्हें सफल नहीं मिली. बावजूद इसके, इन तीनों ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिभा के दम पर अब बिना वर्दी के ही सेना की मदद की दिशा में अग्रसर हैं.

करीब डेढ़ साल पहले अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू करने वाले अंकुर यादव बताते हैं कि हम तीनों मैकेनिकल इंजीनियर है और तीनों की इच्छा थी कि हम सेना में भर्ती जाएं, लेकिन हमारा ये सपना सच नहीं हो हुआ. ऐसे में जब भी हम मिलिट्री ऑपरेशन के बारे में सुनते और देखते थे तो सोचते थे कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे हमारे सेना के जवानों की मदद की जा सके. इसी बीच एक हिंदी फिल्म 'उरी द सर्जिकल स्ट्राइक' के एक संवाद से हमें आइडिया (Inspired by movie Uri The Surgical Strike) आया.

Made special drone Doot for Indian forces
Made special drone Doot for Indian forces

अंकुर दावा करते हैं कि देश में उन्होंने सबसे कम वजन का और सबसे ज्यादा समय तक उड़ने वाला नैनो ड्रोन (longest flying nano drone) बनाया है. वे कहते हैं कि प्रायोगिक तौर पर सेना ने भी उनके ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जिसका नाम 'दूत' रखा गया है.

इसे भी पढ़ें - Special : यहां रिक्शा चालक बोलते हैं अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच, सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान

अंकुर ने बताया कि पुराने जमाने में राजा महाराजा अपने संदेश को दूत के जरिए भेजा करते थे. इसी तर्ज पर हमने भी अपने ड्रोन का नामकरण (Drone DOOT helps indian army) किया. हालांकि, शुरुआत में काफी दिक्कतें पेश आई, क्योंकि इसके उड़ने का समय चार मिनट ही सामने आ रहा था. धीरे-धीरे हमने इसको अपडेट किया और अब यह 30 मिनट तक उड़ान भरने में सक्षम है. अंकुर ने बताया कि उनका ड्रोन दो किलोमीटर तक उड़ने के साथ ही रात में भी नाइट विजन में बेहतर काम कर सकता है.

मदद पहुंचाने के लिए 'पारुस' : इसके अलावा उन्होंने एक केरिंग ड्रोन भी बनाया है, जो कि आपात स्थिति में दवाई पहुंचाने और जरूरत पड़ने पर ग्रेनेड फेंकने का भी काम कर सकता है. यादव ने दावा किया कि उनका यह ड्रोन करीब पांच किलोमीटर रेंज में जाकर काम को पूरा करने के बाद वापस अपने ठिकाने पर आ सकता है.

Made special drone Doot for Indian forces
Made special drone Doot for Indian forces

आस्ट्रेलिया का नैनो ड्रोन : भारत और आस्ट्रेलिया की सेना सयुंक्त रूप से महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में युद्ध अभ्यास कर रही है. जहां आस्ट्रेलिया की सेना नैनो ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है. जिसकी क्षमता कई मायनों में इन तीनों दोस्तों के नवाचार की तरह ही है, लेकिन इसकी लागत के मुकाबले भारतीय तकनीक से बना दूत काफी किफायती है.

सरहद की हिफाजत के लिए बनाया ड्रोन

बीकानेर. बदलते वक्त में अब तकनीक के सहारे युद्ध कौशल में आगे रहने का जमाना है. आज दुश्मन देश बिना हमारे सरहद में घुसे ही अपनी नापाक हरकतों को साधने की कोशिश करते हैं. जिससे निपटने को अब हमारी सेना ने भी खुद को तकनीकी रूप से अपडेट करना शुरू कर दिया है, ताकि दुश्मनों की हर चाल पर पैनी नजर रखी जा सके. वहीं, सेना की तकनीकी अपडेशन में तीन दोस्त मयंक प्रताप सिंह, अंकुर यादव और व्योम राजन सिंह इन दिनों अहम भूमिका निभा (Mechanical engineer friends made drone) रहे हैं. जिनके जज्बे की कोई सानी नहीं है.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ये तीनों दोस्त कभी सेना में जाना चाहते थे. इसके लिए कई बार परीक्षा भी दी, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी इन्हें सफल नहीं मिली. बावजूद इसके, इन तीनों ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिभा के दम पर अब बिना वर्दी के ही सेना की मदद की दिशा में अग्रसर हैं.

करीब डेढ़ साल पहले अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू करने वाले अंकुर यादव बताते हैं कि हम तीनों मैकेनिकल इंजीनियर है और तीनों की इच्छा थी कि हम सेना में भर्ती जाएं, लेकिन हमारा ये सपना सच नहीं हो हुआ. ऐसे में जब भी हम मिलिट्री ऑपरेशन के बारे में सुनते और देखते थे तो सोचते थे कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे हमारे सेना के जवानों की मदद की जा सके. इसी बीच एक हिंदी फिल्म 'उरी द सर्जिकल स्ट्राइक' के एक संवाद से हमें आइडिया (Inspired by movie Uri The Surgical Strike) आया.

Made special drone Doot for Indian forces
Made special drone Doot for Indian forces

अंकुर दावा करते हैं कि देश में उन्होंने सबसे कम वजन का और सबसे ज्यादा समय तक उड़ने वाला नैनो ड्रोन (longest flying nano drone) बनाया है. वे कहते हैं कि प्रायोगिक तौर पर सेना ने भी उनके ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जिसका नाम 'दूत' रखा गया है.

इसे भी पढ़ें - Special : यहां रिक्शा चालक बोलते हैं अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच, सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान

अंकुर ने बताया कि पुराने जमाने में राजा महाराजा अपने संदेश को दूत के जरिए भेजा करते थे. इसी तर्ज पर हमने भी अपने ड्रोन का नामकरण (Drone DOOT helps indian army) किया. हालांकि, शुरुआत में काफी दिक्कतें पेश आई, क्योंकि इसके उड़ने का समय चार मिनट ही सामने आ रहा था. धीरे-धीरे हमने इसको अपडेट किया और अब यह 30 मिनट तक उड़ान भरने में सक्षम है. अंकुर ने बताया कि उनका ड्रोन दो किलोमीटर तक उड़ने के साथ ही रात में भी नाइट विजन में बेहतर काम कर सकता है.

मदद पहुंचाने के लिए 'पारुस' : इसके अलावा उन्होंने एक केरिंग ड्रोन भी बनाया है, जो कि आपात स्थिति में दवाई पहुंचाने और जरूरत पड़ने पर ग्रेनेड फेंकने का भी काम कर सकता है. यादव ने दावा किया कि उनका यह ड्रोन करीब पांच किलोमीटर रेंज में जाकर काम को पूरा करने के बाद वापस अपने ठिकाने पर आ सकता है.

Made special drone Doot for Indian forces
Made special drone Doot for Indian forces

आस्ट्रेलिया का नैनो ड्रोन : भारत और आस्ट्रेलिया की सेना सयुंक्त रूप से महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में युद्ध अभ्यास कर रही है. जहां आस्ट्रेलिया की सेना नैनो ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है. जिसकी क्षमता कई मायनों में इन तीनों दोस्तों के नवाचार की तरह ही है, लेकिन इसकी लागत के मुकाबले भारतीय तकनीक से बना दूत काफी किफायती है.

Last Updated : Dec 12, 2022, 7:55 PM IST
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