बीकानेर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी खासतौर से विषय के विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी के चलते जहां विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होती है. उच्च माध्यमिक स्कूलों में इस तरह की परेशानी देखने को मिलती है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात कई बार और भी विकट हो जाते हैं. कोरोना काल चलते शिक्षण व्यवस्था बाधित रही लेकिन ऑनलाइन एजुकेशन ने शिक्षण व्यवस्था ने ना सिर्फ इसकी भरपाई की बल्कि अब इसका एक सुखद पहलू भी देखने को मिल रहा है.
शिक्षा विभाग आओ घर से सीखे और 'इस्माइल टू' जैसे कार्यक्रम चला रहा है. अब इसी तर्ज पर उच्च माध्यमिक कक्षाओं मसलन 9 से 12 तक कक्षाओं में किसी विषय के विशेषज्ञ शिक्षक के नहीं होने से पढ़ाई बाधित होने वाली समस्या को दूर करने की कवायद कर रहा है. हालांकि प्रारंभिक तौर पर इस को लेकर शिक्षा विभाग ने कवायद शुरू की है और शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लागू किया जाएगा (pilot project for Rajasthan Gov Schools). उसके बाद उसके परिणाम के आधार पर ही इसे आगे लागू करने की योजना बनेगी (shortage of teachers in Rajasthan).
शिक्षा निदेशक कानाराम की अध्यक्षता में प्रदेश भर के जिला शिक्षा अधिकारियों और मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों और समग्र शिक्षा के समन्वयक की एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक आयोजित की जा रही है और इस बैठक में ई कक्षा के विद्यालयों में उपयोग की स्थिति, जिले में विद्यालयवार स्मार्ट टीवी उपलब्धता की स्थिति, जिले में विद्यालयवार आईसीटी लैब की स्थिति को लेकर चर्चा होगी. दरअसल शिक्षा विभाग इस बैठक के बाद पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर कार्रवाई होगी और इसी के बाद यह तय होगा कि एक साथ कितने जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए और उसके क्या परिणाम आ रहे हैं.
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जानकारों के मुताबिक शिक्षा विभाग की प्रारंभिक योजना में इस तरह की कवायद है कि किसी स्कूल में केमिस्ट्री की टीचर के नहीं होने के बावजूद भी उच्च विद्यालय में उस विषय के तय समय में उस पाठ्यक्रम को ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाए. इससे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित नहीं होगी और पाठ्यक्रम भी पूरा हो जाएगा. साथ ही शिक्षक नहीं होने की स्थिति में विद्यार्थियों और अभिभावकों की ओर से होने वाले विरोध या आक्रोश जैसी भी नहीं होगी. हालांकि, बुधवार को आयोजित इस बैठक के बाद प्रदेशभर में आईसीटी लैब और ई-कक्षा के विद्यालयों में स्मार्ट टीवी की उपलब्धता के न सिर्फ आंकड़े सामने आएंगे बल्कि इसके साथ ही आने वाले समय में शिक्षा विभाग यदि भारत प्रोजेक्ट को शुरू करता है तो उसका रोड में भी तैयार होने में मदद मिलेगी.