बीकानेर. कोविड 19 के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे राज्य में परिवहन सेवा बंद है. केवल आवश्यक वस्तुओं के लाने और ले जाने के लिए केवल विशेष अनुमति पर ही चलाया जा रहा है. ऐसे में लगभग 54 दिन से शहर के बस स्टैंड पर संचालित होने वाली बसों का परिवहन भी बंद है. बीकानेर के बस ऑपरेटर्स की सैकड़ों बसों का संचालन बंद हैं. ऐसे में पीक सीजन में बसों के बंद होने के कारण रोजाना 22 से 24 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.
सबसे ज्यादा परेशानी छोटे बस ऑपरेटटर्स को उठानी पड़ रही है, जो बैंकों से फाइनेंस लेकर बसे खरीदकर चला रहे हैं अब किश्तें नहीं चुकाने के चलते फायनेंस कंपनियां बस ऑपरेटर्स पर किश्तें चुकाने का दबाव बना रही हैं. उधर, बसों के लगातार बंद होने के बावजूद भी अब तक ना तो राज्य सरकार और ना ही केन्द्र सरकार की ओर से बस ऑपरेटरों के लिए कोई राहत का ऐलान किया है. जबकि बस संचालकों द्वारा पहले से ही बीमा, फिटनेस व टैक्स की राशि सरकार द्वारा जमा करा ली जाती है.
लॉकडाउन के चलते प्राइवेट बस संचालकों की लगभग सैकडों बसें लॉकडाउन के चलते खड़ी हैं. कई बसों के चालकों व परिचालकों ने अपने घरों के बाहर ही बसों को खड़ा कर दिया है. ऐसे में लगातार बसें खड़ी होने के कारण खराब हो कही है.
प्राइवेट बस यूनियन के अध्यक्ष ने बताया कि, अप्रैल और मई माह के सीजन में शादी का सीजन भी चला गया है. इस दौरान गर्मी की छुट्टियां होने के चलते बाहरी राज्यों से हजारों की संख्या में यात्री आते थे उनसे होने वाली कमाई से ही बस मालिक साल भर तक वाहनों का रख रखाव करते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से पूरा सीजन ही निकलने वाला है अब दोहरी मार पड़ रही है.
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उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार से भी कोई राहत नहीं मिली रही है. जबकि कई बार परिवहन मंत्री की वीसी में भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं. बस ऑपरेटर्स की समस्याओं को लेकर परिवहन मंत्री, मुख्यमंत्री तक को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं.
बीकानेर से लगभग 300 बसों का संचालन:
वर्तमान में बीकानेर से लगभग 300 बसों का संचालन होता है. ज्यादातर बसें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, नाथद्वारा, दिल्ली, लुधियाना, चंडीगढ़ भटिंडा ,आगरा, अहमदाबाद, सूरत सिरोही और पाली जिले केलिए चलती हैं. शेष बसें बीकानेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चलती हैं. एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर से जयपुर तक चलने वाली प्रत्येक बस ऑपरेटर को करीब 6 से 7 हजार रुपए का खर्च आता है. इतना ही खर्च आने में होता है.
रोजाना 22 से 24 लाख का नुकसान:
सभी खर्चों को मिलाकर करीब 5 हजार रुपए की बचत होती है. यही हालात जोधपुर, उदयपुर,पाली, नाथद्वारा के रूट का भी है, जहां सभी खर्चों को मिलाकर एक बस के परिचालन में आने-जाने में करीब तीन से चार हजार रुपए की बचत होती है. इसी खर्चे में से बस के चालक, परिचालक का रोजाना का खर्च, टोल टैक्स एवं महीने का वेतन भी देना पड़ता है. इसके अलावा टेक्स, बीमा, फिटनेस का पैसा पहले ही परिवहन विभाग को जमा करा दिया जाता है. इस तरह सभी खर्चों को मिलकर बस ऑपरेटरों को रोजाना 22 से 24 लाख का नुकसान हो रहा है.