बीकानेर. इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रखरखाव को लेकर 7 मार्च से शुरू हुई नहरबंदी से लोगों को पेयजल की खासी परेशानी हो रही है. अब गर्मी का सितम बढ़ने के साथ ही यह किल्लत और ज्यादा होने लग गई. ऐसे में लोगों ने पानी बचाने के लिए छोटे कुंओं पर ताले लगा दिए हैं.
पश्चिमी राजस्थान की लाइफ लाइन कही जाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 7 मार्च से शुरू हुई नहरबंदी 5 जून तक चलेगी. पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों की लिए पेयजल की आपूर्ति का सबसे बड़ा जरिया इंदिरा गांधी नहर ही है. 10 जिलों की करीब पौने दो करोड़ की ज्यादा से आबादी की प्यास बुझाने वाली इंदिरा गांधी नहर में मरम्मत चल रही है. जिसको लेकर 7 मार्च से चल रही नहर बंदी के चलते अब पेयजल की किल्लत हो रही है और भीषण गर्मी ने इस किल्लत को और ज्यादा बढ़ा दिया है.
यह भी पढ़ें. ब्लड कैंसर के साथ ब्लैक फंगस से जूझ रहा मासूम, उपचार में जुटे चिकित्सक
बीकानेर जिले में पेयजल की किल्लत को लेकर शहरी क्षेत्र में जहां लोग टैंकरों से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कर पेयजल किल्लत को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने अब अपने निजी छोटे कुओं पर ताला लगा दिया है. दरअसल जिस तरह से शहरी क्षेत्रों में घरों में पानी की टंकियां होती है. उसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में एक निश्चित स्थान पर छोटा कुआं यानी कि निश्चित स्थान पर जमीन के अंदर रिसते हुए पानी की संग्रहण की जगह होती है, जहां लोग अपने अनुभव के आधार पर उस कुएं को खुदवाते हैं और आपात स्थिति में यह काम आता है.
यह भी पढ़ें. Rajasthan Corona Update : राजस्थान में कोरोना के 3454 नए मामले, 85 मरीजों की मौत, 10396 हुए रिकवर
आमतौर पर इस कुएं से कोई भी व्यक्ति पानी पी सकता है लेकिन अब जब पानी की किल्लत हो गई है और आपूर्ति सुचारू नहीं है. ऐसे में लोगों ने इन कुएं के ढक्कनों को बंद कर इन पर ताला लगा दिया है. जिससे हर कोई इससे पानी न ले सके और पानी का अपव्यय भी ना हो.
बीकानेर जिले में श्रीडूंगरगढ़ और लूणकरणसर में इस तरह के दृश्य आम है. क्योंकि यहां पानी जमीनी स्तर से ज्यादा नीचे नहीं है और यहां इस तरह के कुएं आमतौर देखने को मिलते हैं. इन इलाकों में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे कुआं पर अभी ग्रामीणों ने ताला लगा हुआ है.