श्री डूंगरगढ़ (बीकानेर). कोरोना काल में महाविद्यालय में अध्ययनरत स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा करवाने के लिए यूजीसी की ओर से नई गाइडलाइन जारी की गई है. जिसका एनएसयूआई छात्रसंघ की ओर से विरोध किया जा रहा है. एनएसयूआई ने सोमवार को बीकानेर जिले के श्री डूंगरगढ़ स्थित राजकीय डूंगर महाविद्यालय के मुख्य द्वार के केंद्र सरकार और यूजीसी के लिए सद्बुद्धि यज्ञ किया.
डूंगर महविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राम निवास कूंकणा ने बताया कि, कोरोना की वैश्विक महामारी में पूरा देश पीड़ित है. ऐसे में राजस्थान सरकार की ओर से छात्रों के सुरक्षा को देखते हुए सभी छात्रों को बिना परीक्षा प्रमोट किया गया है. लेकिन कुछ दिन पहले ही यूजीसी ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा करवाने का निर्णय लिया है. जो की छात्र विरोधी फैसला है. इससे छात्रों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा है. साथ ही कहा कि, इस गाइडलाइन को वापस लेकर फाइनल ईयर के छात्रों को भी बिना परीक्षा प्रमोट किया जाए.
ये पढ़ें: सचिन पायलट के समर्थन में उतरी Congress की युवा ब्रिगेड, PCC मुख्यालय पर फिर लगाया गया पोस्टर
वहीं, छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा कि, यूजीसी के इस निर्णय के विरोध में छात्रों ने यज्ञ कर ईश्वर से प्रार्थना की है कि, केंद्र सरकार और यूजीसी को सद्बुद्धि दें. जिससे कि वह यह तुगलकी फरमान वापस लें. उन्होंने बताया कि, एनएसयूआई लगातार छात्रों को बिना परीक्षा प्रमोट की मांग उठा रही है. ऐसे में केंद्र सरकार यूजीसी की ओर से लिया गया फैसला छात्र विरोधी है.
ये पढ़ें: जयपुर में पायलट का विरोध...गहलोत समर्थकों ने जमकर लगाए नारे
बता दें कि, यूजीसी ने 6 जुलाई को एक संसोधित गाइडलाइन जारी की है. जिसमें कहा गया है कि, अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा करवाना अनिवार्य है. यूजीसी के अनुसार विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर संशोधित गाइडलाइन गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद जारी की है. विश्वविद्यालयों को परीक्षा कर लिए 30 सितंबर तक समय दिया था.