बीकानेर. देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हुए विवाह एवं मांगलिक कार्यक्रमों का दौर अब एक महीने के लिए थमेगा. मलमास या खरमास में विवाह एवं मांगलिक कार्यक्रम निषेध रहेंगे. इस माह में सूर्य की गति धीमी हो जाती है जिस कारण कोई भी शुभ काम सफल नहीं होते हैं (Malmaas 2022). शास्त्रों में मलमास का महीना शुभ नहीं माना गया है. इस अवधि में मांगलिक कार्य करना प्रतिबंधित है. इस बार 16 दिसंबर से मलमास प्रारंभ होगा. 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर मलमास की पूर्णाहुति होगी. 14 जनवरी के बाद विवाह एवं मांगलिक कार्यक्रमों के आयोजन होंगे व एक बार फिर मांगलिक कार्य शुरु होंगे.
16 को होगा शुरू- पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य बारह राशियों में भ्रमण करते-करते जब गुरु की राशि धनु राशि में प्रवेश करता है, उस दिन से मलमास (खर मास) प्रारंभ होगा. इस बार धनु राशि में सूर्य 16 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 58 बजे प्रवेश करेगा. इस समय से मलमास प्रारंभ होगा.
दान-पुण्य व धार्मिक अनुष्ठान- मलमास में दान-पुण्य और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन होंगे. तिल, गुड़ और मूंगफली से बनी खाद्य वस्तुओं के दान-पुण्य का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति पर घेवर, फीणी, तिल पट्टी, तिल लड्डू, रेवड़ी, गजक, खजूर आदि के दान-पुण्य की विशेष परम्परा है.
साल में दो बार खरमास- मलमास साल में दो बार लगता है. जब सूर्य मार्गी होते हुए बारह राशियों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो इस दौरान बृहस्पति के आधिपत्य वाली राशि धनु और मीन में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो खरमास लगता है. इस तरह से मार्च माह में जब सूर्य मीन में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है तो वहीं, दिसंबर में जब सूर्य धनु में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है. इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है. खासतौर पर जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान- मलमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी नहीं करनी चाहिए. नया कार्य या व्यापार शुरू नहीं करना चाहिए. द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है.
डेढ़ महीने बाद मुहूर्त- मलमास की पूर्णाहुति के बाद जनवरी और फरवरी में विभिन्न श्रेष्ठ मुहूर्तो में विवाह कार्यक्रमों के आयोजन होंगे. पंडित किराडू के अनुसार जनवरी में 25 और 26 जनवरी विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है. इसी प्रकार फरवरी में 6, 9, 15 और 22 फरवरी विवाह के लिए श्रेष्ठ है.