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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ बुधवार को, सुहागिन महिलाएं व्रत करते समय इन बातों का रखें ध्यान

सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व का पर्व करवा चौथ इस बार बुधवार 1 नवंबर को रहेगा. इस दौरान संध्याकाल में चंद्रमा दर्शन से पहले अपने इष्ट देव की पूजा के साथ ही शिव परिवार की पूजा का विधान है.

Karwa Chauth 2023
करवा चौथ 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 31, 2023, 4:59 PM IST

Updated : Oct 31, 2023, 6:58 PM IST

बीकानेर. सनातन धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व सबसे ज्यादा महत्व रखता है. अखंड सुहाग की कामना को लेकर यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं और निराहार व्रत का पालन करती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्र दर्शन और चंद्र पूजन का खास महत्व है. इस बार करवा चौथ को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बुधवार को उदया तिथि को होगी. करवा चौथ व्रत का समय सुबह 06:36 से रात 08:26 तक है. पूजा मुहूर्त शाम 05.44 से रात 07.02 तक होगा.

महिलाओं के लिए साज-सज्जा का पर्व: विवाह के ठीक बाद पहले करवा चौथ के व्रत के दिन नव विवाहित महिलाओं में इस पर्व का खासा क्रेज रहता है. सुहागन महिलाओं के लिए भी यह इतना ही महत्व रखता है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए स्त्रियां कठिन व्रत रखती हैं. करवा चौथ पूजन का मुहूर्त, चंद्र दर्शन और पूजन का महत्व है.

पढ़ें: Karva Chauth 2023 : करवा चौथ को लेकर जानिए मुहूर्त और चंद्र दर्शन का सही समय

सूर्योदय से चंद्रदर्शन तक व्रत: करवा चौथ व्रत सूर्योदय से पहले भोर में शुरू हो जाता है और चांद निकलने के बाद तक रहता है. व्रती सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा की पूजा करती हैं. हालांकि देश में कई स्थानों पर छलनी से पति के मुंह को देखने का भी रिवाज है. बाद में पति अपने हाथों से पानी पिलाता है और उसके बाद महिलाएं भोजन करती हैं.

पढ़ें: Karwa Chauth 2023 : देशभर में दिखाई दे रहा करवा चौथ की शापिंग का जोश, खरीदारी ने बढ़ाया बिजनेस

इष्ट के साथ शिव परिवार की पूजा: संध्याकाल में चंद्रमा दर्शन से पहले अपने इष्ट देव की पूजा के साथ ही शिव परिवार की पूजा का विधान है. क्योंकि मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हुए अखंड सुहाग की कामना की जाती है. ज्योतिषाचार्य पंडित कपिल जोशी कहते हैं कि इस बार करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का विशेष संयोग है. इस दिन पूजा अनुष्ठान का भी विशेष महत्व है.

बीकानेर. सनातन धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ का पर्व सबसे ज्यादा महत्व रखता है. अखंड सुहाग की कामना को लेकर यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं और निराहार व्रत का पालन करती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्र दर्शन और चंद्र पूजन का खास महत्व है. इस बार करवा चौथ को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बुधवार को उदया तिथि को होगी. करवा चौथ व्रत का समय सुबह 06:36 से रात 08:26 तक है. पूजा मुहूर्त शाम 05.44 से रात 07.02 तक होगा.

महिलाओं के लिए साज-सज्जा का पर्व: विवाह के ठीक बाद पहले करवा चौथ के व्रत के दिन नव विवाहित महिलाओं में इस पर्व का खासा क्रेज रहता है. सुहागन महिलाओं के लिए भी यह इतना ही महत्व रखता है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए स्त्रियां कठिन व्रत रखती हैं. करवा चौथ पूजन का मुहूर्त, चंद्र दर्शन और पूजन का महत्व है.

पढ़ें: Karva Chauth 2023 : करवा चौथ को लेकर जानिए मुहूर्त और चंद्र दर्शन का सही समय

सूर्योदय से चंद्रदर्शन तक व्रत: करवा चौथ व्रत सूर्योदय से पहले भोर में शुरू हो जाता है और चांद निकलने के बाद तक रहता है. व्रती सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा की पूजा करती हैं. हालांकि देश में कई स्थानों पर छलनी से पति के मुंह को देखने का भी रिवाज है. बाद में पति अपने हाथों से पानी पिलाता है और उसके बाद महिलाएं भोजन करती हैं.

पढ़ें: Karwa Chauth 2023 : देशभर में दिखाई दे रहा करवा चौथ की शापिंग का जोश, खरीदारी ने बढ़ाया बिजनेस

इष्ट के साथ शिव परिवार की पूजा: संध्याकाल में चंद्रमा दर्शन से पहले अपने इष्ट देव की पूजा के साथ ही शिव परिवार की पूजा का विधान है. क्योंकि मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हुए अखंड सुहाग की कामना की जाती है. ज्योतिषाचार्य पंडित कपिल जोशी कहते हैं कि इस बार करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का विशेष संयोग है. इस दिन पूजा अनुष्ठान का भी विशेष महत्व है.

Last Updated : Oct 31, 2023, 6:58 PM IST
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