बीकानेर. राजस्थान में आचार संहिता का समय नजदीक आ चुका है और संभावना है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लग जाए. पूरी तरह से चुनावी मोड में नजर आ रही सरकार भी चुनाव आचार संहिता लगने से पहले अपनी बची हुई घोषणाओं को अमलीजामा पहनाना चाहती है. इन सबके बावजूद इन पांच सालों में सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों का काम नहीं कर पाई और अब लग रहा है कि इस सरकार में इन शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाएंगे.
दरअसल, पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में प्रदेश में शिक्षा विभाग के तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया को उस समय भी लगभग पौने साल तक नहीं किया गया और अब इस सरकार के कार्यकाल में 5 साल से तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों की आस लगाए हुए हैं. कांग्रेस सरकार बनने के बाद शिक्षकों को इस बात की आस लगी थी और तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के समय 85 हजार शिक्षकों ने सरकार की आवेदन की प्रक्रिया में हिस्सा लेते हुए आवेदन किया था. लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकाला और यह प्रक्रिया भी कागजों में ही रह गई.
कांग्रेसी विधायक मंत्री भी उठा चुके बात : दरअसल, लगातार शिक्षक संगठन जहां सरकार से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की मांग कर रहे हैं. वहीं, सरकार के मंत्री और विधायक भी लगातार इस बात को कई बार उठा चुके हैं. सरकार के स्तर पर अभी तक इसको लेकर कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. यहां तक कि शिक्षक संगठन एक दिन पहले कांग्रेस नेता तारिक अनवर से मिलकर भी इस मामले को उठाया.
कम लग रही है संभावना : दरअसल, सरकार के स्तर पर इन तबादलों के होने की संभावना की आस अब धूमिल होती नजर आ रही है और ऐसा लग रहा है कि शायद अब इस सरकार में इन तबादलों की प्रक्रिया नहीं होगी. इसका एक बड़ा कारण यह है कि आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के फॉर्म भरे जाएंगे, जिसके बीच में शिक्षक तबादलों की प्रक्रिया होने से शिक्षा विभाग के कार्य प्रणाली पर असर पड़ेगा. वहीं, जिस प्रक्रिया को पौने पांच साल में सरकार पूरा नहीं कर पाई उस प्रक्रिया को अगले एक महीने में कर पाना सरकार के लिए भी संभव नहीं है और इतने समय में आचार संहिता लग जाएगी. हालांकि, बताया जा रहा है कि चुनाव आचार संहिता से पहले सरकार विधवा, परित्यकता, गंभीर असाध्य रोगों से पीड़ित श्रेणी के लोगों की तबादलों को कर सकती है, लेकिन सवाल यह है कि अब तक ऐसी कोई हलचल नजर नहीं आ रही है.
मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होना है फैसला : दरअसल, सरकार ने इन तबादलों को लेकर पॉलिसी बनाने की बात कही थी, जिसके बाद शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला नई शिक्षा विभाग की ओर से पॉलिसी बना लिए जाने और मुख्य सचिव को भेजने की बात कही थी. अब मुख्यमंत्री के स्तर पर पॉलिसी और तबादलों को लेकर निर्णय होना है.
भर्ती में कैसे भरेंगे पद : शिक्षक संगठन शेखावत प्रदेश मंत्री श्रवण पुरोहित का कहना है कि एक ओर सरकार 48 हजार पदों पर भर्ती की बात कह रही है, लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि सरकार किस हिसाब से इन भर्तियों को करेगी क्योंकि प्रारंभिक शिक्षा विभाग में वर्तमान में 29 हजार पद ही रिक्त हैं. पुरोहित ने कहा कि हमारे संगठन ने पिछले दिनों मुख्य सचिव मुख्यमंत्री की सचिव से मुलाकात की और हमारी मांग रखी है और सरकार यदि हमारी मांग के अनुसार काम करती है तो शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया भी आसानी से हो जाएगी और शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की भर्ती भी हो जाएगी.
पहले पदोन्नति की प्रक्रिया करें : उन्होंने कहा कि बार-बार सरकार तबादलों की प्रक्रिया को इसलिए नहीं करती है, क्योंकि यह एक हौव्वा बनाया हुआ है कि बड़ी संख्या में इन शिक्षकों के तबादले होंगे, लेकिन यदि सरकार इसके लिए नियम अनुसार प्रक्रिया करें तो आसानी से यह हो सकता है. इसके लिए सरकार को सबसे पहले तीन साल की बकाया विभागीय पदोन्नति की प्रक्रिया करना चाहिए. इससे तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत होने वाले शिक्षकों के चलते तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की संख्या कम हो जाएगी.
पुरोहित कहते हैं कि सबसे पहिले पदोन्नत किए हुए वाइस प्रिंसिपल को पदस्थापन करना चाहिए. उसके बाद व्याख्याता के 43 हजार पद रिक्त हो जाएंगे, इनमें से आधे पद 21500 पदोन्नति से भरे जा सकते हैं. सेकंड ग्रेड के वर्तमान में 32 हजार पद रिक्त है और 21500 लोग व्याख्याता बन जाएंगे. जिसके बाद द्वितीय श्रेणी के 53500 पद रिक्त हो जाएंगे. इनमें से आधे पद थर्ड ग्रेड शिक्षकों को पदोन्नत कर पुनः भरे जा सकते हैं.
कुल 27 हजार शिक्षकों को पदोन्नत कर सेकेंड ग्रेड में भेजा जा सकता है. प्रारंभिक शिक्षा में वर्तमान में 29 हजार पद रिक्त है 27 हजार पद पदोन्नति से रिक्त हो जाएंगे. कुल 56 हजार पद थर्ड ग्रेड के रिक्त हो जाएंगे. माध्यमिक शिक्षा में थर्ड ग्रेड के 30 हजार पद रिक्त हैं. इन पदों को प्रारम्भिक शिक्षा के 6 (3) की पात्रता रखने वाले शिक्षकों को सीधे ही उच्च माध्यमिक स्कूलों में तबादले कर भरे जा सकते हैं.
30 से 35 हजार ही तबादले : पुरोहित कहते हैं कि यह प्रक्रिया अगर सरकार नियम अनुसार समय रहते करती है तो महज 30 से 35 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ही तबादलों की प्रक्रिया होगी.
डार्क जोन का दोबारा निर्धारण : दरअसल, शिक्षा विभाग में पहले करीब 9 जिले डार्क जोन में है, लेकिन अब जब सरकार ने नए जिले बने हैं तो इन डार्क जोन वाले जिलों की परिभाषा भी बदल गई है. ऐसे में अब सरकार को भी डार्क जोन जिलों को लेकर नए दिशा-निर्देश देने होंगे.
चुनाव में नुकसान का डर : हालांकि, राजनीतिक जानकार कहते हैं कि चुनाव से पहले एक बार जरूर सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया को करेगी, लेकिन इसका प्रारूप ऐसा होगा यह कहना मुश्किल है. जिस हिसाब से सरकार सभी वर्गों को साधने का प्रयास कर रही है, उसके मुताबिक प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की एक बड़े वर्ग के रूप में कार्यरत शिक्षकों की नाराजगी लेने का रिस्क सरकार नहीं लेगी.
इससे सीधे तौर पर सरकार को चुनाव में नुकसान होने का डर है. वर्तमान में दिख रही संभावनाओं में अब तृतीय श्रेणी शिक्षकों की तबादलों की आस धीरे-धीरे कम होती नजर आ रही है. पिछले दिनों मुख्य सचिव शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के सचिव से मिलने वाले शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को अब भी इस बात की आस है कि सरकार आचार संहिता से पहले एक बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की तबादलों को कर सकती है.