ETV Bharat / state

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, संयम और इन्द्रियों पर विजय की प्राप्ति

गुप्त नवरात्र में मंत्र सिद्धि और तंत्र विद्या सिद्धि के लिए पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि पूजा सफल होने पर साधक को संयम और इंद्रियों पर विजय प्राप्त होती है.

मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी
author img

By

Published : Jun 20, 2023, 7:56 AM IST

बीकानेर. विशेष प्रयोजन और सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में मंत्र सिद्धि और तंत्र पूजा के लिए देवी की आराधना करने वाले लोगों को फल मिलता है देवी के अलग-अलग 9 स्वरूप में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ऐसा विश्वास है कि पूजा सफल होने पर साधक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है.

मां ब्रह्मचारिणीमां ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना के लिए साधक को कठोर तपस्या करनी पड़ती है. इस कठोर तपस्या से माता को प्रसन्न करते हुए साधक एक तपस्वी बन जाता है और तपस्वी में होने वाले सभी गुण के अनुरूप बल, सदाचार, संयम, संकल्प, त्याग और धैर्य की वृद्धि होती है. पूजा आराधना से मंत्र सिद्धि करते हुए साधक खुद पर विजय पाने में सफल होता है और लोभ, क्रोध, वासना, अहंकार पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाता है.

मालपुआ और पायस का भोग : वैसे तो 9 दिन की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से की जाती है. इस दौरान साधक माता की आराधना करते हुए जाप करता है. पूजा आराधना में लगने वाली भोग में गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को सभी प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं. लेकिन कहा गया है कि माता ब्रह्मचारिणी को पायस यानी की खीर और मालपुआ का भोग लगाने से माता ब्रह्मचारिणी जल्दी प्रसन्न होती है. पुष्प में कनेरी के पुष्प अर्पित करने चाहिए.

पढ़ें गुप्त नवरात्र कल से शुरू, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

बीकानेर. विशेष प्रयोजन और सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में मंत्र सिद्धि और तंत्र पूजा के लिए देवी की आराधना करने वाले लोगों को फल मिलता है देवी के अलग-अलग 9 स्वरूप में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ऐसा विश्वास है कि पूजा सफल होने पर साधक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है.

मां ब्रह्मचारिणीमां ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना के लिए साधक को कठोर तपस्या करनी पड़ती है. इस कठोर तपस्या से माता को प्रसन्न करते हुए साधक एक तपस्वी बन जाता है और तपस्वी में होने वाले सभी गुण के अनुरूप बल, सदाचार, संयम, संकल्प, त्याग और धैर्य की वृद्धि होती है. पूजा आराधना से मंत्र सिद्धि करते हुए साधक खुद पर विजय पाने में सफल होता है और लोभ, क्रोध, वासना, अहंकार पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाता है.

मालपुआ और पायस का भोग : वैसे तो 9 दिन की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से की जाती है. इस दौरान साधक माता की आराधना करते हुए जाप करता है. पूजा आराधना में लगने वाली भोग में गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को सभी प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं. लेकिन कहा गया है कि माता ब्रह्मचारिणी को पायस यानी की खीर और मालपुआ का भोग लगाने से माता ब्रह्मचारिणी जल्दी प्रसन्न होती है. पुष्प में कनेरी के पुष्प अर्पित करने चाहिए.

पढ़ें गुप्त नवरात्र कल से शुरू, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.