बीकानेर. केंद्र सरकार ने बड़े शहरों के मुकाबले दूसरे शहरों को आगे लाने के लिए (Bikaner Smart City Plan) आधारभूत ढांचे में विकास को लेकर स्मार्ट सिटी योजना शुरू की. लेकिन केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना से पिछले 8 महीनों में राजस्थान के शहरों को कोई खास लाभ नहीं मिला. इसी को लेकर इस कार्यकाल में पेश किए अपने चौथे बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार के स्तर पर स्मार्ट सिटी योजना (Rajasthan Budget announcement of Smart city ) की शुरुआत की. जिसमें बीकानेर सहित प्रदेश के 6 शहरों को शामिल किया गया और इन शहरों में पंद्रह सौ करोड़ की लागत से विकास कराए जाने की बात कही गई.
बीकानेर में इस योजना के तहत ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे, लेकिन आज 8 महीने बीतने के बावजूद भी स्मार्ट सिटी की झलक कहीं दिख नहीं रही है. अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके बावजूद मौजूदा समय में इस योजना के पूरा होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. हालांकि, मजे की बात यह है कि जब सरकार ने इस स्मार्ट सिटी की घोषणा की तो बीकानेर पश्चिम से विधायक और प्रदेश के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला (Education Minister BD Kalla) ने बीकानेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए खुद के प्रयासों को बताते हुए इस को लेकर खूब वाहवाही लूटी थी.
वहीं, बीकानेर नगर विकास न्यास को इस स्मार्ट सिटी की योजना का नोडल एजेंसी बनाया गया. नगर विकास न्यास, नगर निगम, जलदाय विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीन आने वाले कामों को इस योजना के तहत करवाए जाने को लेकर जिला प्रशासन ने प्रस्ताव दिए और जयपुर में इसको लेकर बैठक भी हुई. लेकिन अब बताया जा रहा है कि उच्च अधिकारियों की इस बैठक में ढाई सौ करोड़ रुपए की व्यवस्था पर बात शुरू होते ही खत्म हो गई.
बजट वहन करने से खींचे हाथ: जब बात यूआईटी के स्तर पर खर्च की आई तो यूआईटी ने अपनी वित्तीय हालात की जानकारी दे दी. दरअसल, जयपुर में हुई बैठक में खर्च की बजट को लेकर नगर विकास न्यास के स्तर पर ही वहन करने की बात की गई थी. लेकिन बीकानेर नगर विकास न्यास तो खुद देनदारों की बकाया चुकाने की स्थिति में नहीं है. यहां तक कि कर्मचारियों को जैसे-तैसे करके वेतन मिल रहा है. ऐसे में यूआईटी के इस योजना से हाथ पीछे खींचे जाने के बाद अब इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है.
जयपुर में हुई बैठक में कहा गया था कि आधे बजट का प्रबंध राज्य सरकार के स्तर पर हो और आधी राशि यूआईटी के स्तर पर हो. इसके लिए यूआईटी की ओर से लोन लेने की भी कार्रवाई करवाई जाए, पर अहम बात यह है कि इन सब के बीच केवल समय व्यतीत होता रहेगा और चुनावी साल में इस योजना के पूरा होने की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.
कागजों में बात: इस योजना को लेकर पिछले 8 महीनों में जिस तरह से कागजों में बातें हुई हैं. उससे साफ है कि भले ही विकास की बातें कर ली जाएं, लेकिन धरातल पर वे सब बेमानी हैं. खुद यूआईटी के सचिव यशपाल आहूजा भी कहते हैं कि जयपुर में हुई बैठक में हमने हमारी सारी आर्थिक स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार हमें निर्देश देगी तो हम इस काम के लिए ऋण लेकर इसे करेंगे.
दूसरे विभागों के काम: स्मार्ट सिटी की इस योजना में नगर विकास न्यास के साथ ही अन्य विभागों को भी शामिल किया गया और उनके कामों को लेकर भी प्रस्ताव जिला प्रशासन ने लिए थे. इन सभी विभागों में भी काम अभी यूआईटी के स्तर पर ही होने थे. दूसरे विभागों के अधिकारी भी बजट स्वीकृति का इंतजार करने की बात कहते हुए बताते हैं कि हमने प्रस्ताव भिजवाए हैं, अब जब बजट आएगा तब काम शुरू हो पाएगा.
27 काम शामिल: बीकानेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए तय किए गए प्रस्तावों में चारों विभागों के 27 कामों को चिन्हित किया गया था. हालांकि, इनका बजट बहुत ज्यादा है, लेकिन सरकार की ओर से ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की गई थी. शुरुआती दौर में उन्हीं कामों को चयनित किया जाना था. हालांकि, इन कामों में अधिकतर काम बीकानेर पश्चिम क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जो कि खुद मंत्री बीडी कल्ला का विधानसभा क्षेत्र है.
सूची में शामिल हैं ये बड़े काम
- बीकानेर शहर की सबसे बड़ी समस्या कोटगेट और फाटक रेलवे क्रॉसिंग है. जिससे निजात दिलाने को करीब 30 करोड़ की लागत से दो आरयूबी के निर्माण की बात कही गई थी.
- शहर के तीन राजमार्गों पर 20.5 किलोमीटर तक 80 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण और सौंदर्यकरण सहित अन्य काम होने थे.
- फोर्ट स्कूल और रतन बिहारी पार्क में मल्टी लेवल पार्किंग बननी थी, जिसकी लागत 30 करोड़ तय की गई थी.
- 10 करोड़ की लागत से शहर में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इंडोर स्केटिंग ट्रैक बनने थे.
- करीब 100 करोड़ की लागत से बीकानेर शहर के चारदीवारी की पुरानी सीवरेज लाइनों को बदलने और नई पाइप लाइन डालने के साथ ही 20,000 घरों को सीवरेज से जोड़ने का काम होना था.
- इसके अलावा भी कई अन्य कार्य होने थे. जिनको प्रारंभिक स्तर पर योजना व बजट स्वीकृत होने पर कराने की तैयारी थी.