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चैत्र शुक्ल तृतीया आज, गणगौर माता का त्योहार, पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत

अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर तीज का व्रत रखा जाता है। धुलंडी के दिन से गणगौर का पूजन शुरू होता है जो चैत्र शुक्ल तृतीया तक चलता है। हालांकि इस बार गणगौर का पूजा 18 दिन का है वहीं कुछ लोग चतुर्थी को भी गणगौर की पूजा करते हैं.

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Published : Mar 24, 2023, 10:01 AM IST

बीकानेर. अखंड सुहाग की कामना को लेकर शिव और माता गौरी के स्वरूप 'गण' और 'गौर' का पूजन और व्रत आज यानी शुक्रवार को है. आज कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं गणगौर का पूजन और व्रत करेंगी. साथ ही आज ही के दिन विवाहित महिला गणगौर का उद्यापन भी करती है. बीकानेर में भी शुक्रवार को हर्षोल्लास से गणगौर का पर्व मनाया जा रहा है. इस दौरान शहर के अलग-अलग स्थानों पर गणगौर मेले का भी आयोजन है जहां बड़ी संख्या में युवतियां और महिलाएं अपनी गणगौर को पानी पिलाने की रस्म की अदायगी के लिए लेकर आएगी.

ससुराल के लिए विदाई
दरअसल विश्वास यह है कि साल में 16 दिन माता गौरी अपने पीहर आती है. इसी के चलते गणगौर का पर्व मनाया जाता है. साथ ही चैत्र शुक्ल तृतीया को वापिस वे ससुराल के लिए विदा होती हैं. इसलिए चैत्र शुक्ल तृतीया और चतुर्थी 2 दिन गणगौर की सवारी निकाली जाती है.

इस बार जूनागढ़ से नहीं निकलेगी शाही गणगौर
रियासत काल से चली आ रही परंपरा के चलते हर साल जूनागढ़ से 2 दिन तक राजपरिवार की शाही गणगौर जूनागढ़ से शाही सवारी के साथ बाहर निकलती है. फिर चौतीना कुआं पर पानी पीने की रस्म अदायगी के साथ फिर से गढ़ में प्रवेश करती है. लेकिन इस बार जूनागढ़ किले में ही इस रस्म की अदायगी की जाएगी और शाही गणगौर घर से बाहर नहीं निकलेगी.

बता दें कि यहां के गणगौर के बारे में कहा जाता है कि यह विश्व के सबसे महंगे आभूषणों से लदी गणगौर हैं. दरअसल, यहां चैत्र शुक्ल तृतीया और चतुर्थी को गणगौर का मेला लगता हैै. परंतु बीकानेर में गणगौर की सवारी केवल दो दिनों के लिए बाहर निकलती है.

पढ़ें Special : कल निकलेगी दुनिया के सबसे महंगे आभूषणों से सजी गणगौर की सवारी

बीकानेर. अखंड सुहाग की कामना को लेकर शिव और माता गौरी के स्वरूप 'गण' और 'गौर' का पूजन और व्रत आज यानी शुक्रवार को है. आज कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं गणगौर का पूजन और व्रत करेंगी. साथ ही आज ही के दिन विवाहित महिला गणगौर का उद्यापन भी करती है. बीकानेर में भी शुक्रवार को हर्षोल्लास से गणगौर का पर्व मनाया जा रहा है. इस दौरान शहर के अलग-अलग स्थानों पर गणगौर मेले का भी आयोजन है जहां बड़ी संख्या में युवतियां और महिलाएं अपनी गणगौर को पानी पिलाने की रस्म की अदायगी के लिए लेकर आएगी.

ससुराल के लिए विदाई
दरअसल विश्वास यह है कि साल में 16 दिन माता गौरी अपने पीहर आती है. इसी के चलते गणगौर का पर्व मनाया जाता है. साथ ही चैत्र शुक्ल तृतीया को वापिस वे ससुराल के लिए विदा होती हैं. इसलिए चैत्र शुक्ल तृतीया और चतुर्थी 2 दिन गणगौर की सवारी निकाली जाती है.

इस बार जूनागढ़ से नहीं निकलेगी शाही गणगौर
रियासत काल से चली आ रही परंपरा के चलते हर साल जूनागढ़ से 2 दिन तक राजपरिवार की शाही गणगौर जूनागढ़ से शाही सवारी के साथ बाहर निकलती है. फिर चौतीना कुआं पर पानी पीने की रस्म अदायगी के साथ फिर से गढ़ में प्रवेश करती है. लेकिन इस बार जूनागढ़ किले में ही इस रस्म की अदायगी की जाएगी और शाही गणगौर घर से बाहर नहीं निकलेगी.

बता दें कि यहां के गणगौर के बारे में कहा जाता है कि यह विश्व के सबसे महंगे आभूषणों से लदी गणगौर हैं. दरअसल, यहां चैत्र शुक्ल तृतीया और चतुर्थी को गणगौर का मेला लगता हैै. परंतु बीकानेर में गणगौर की सवारी केवल दो दिनों के लिए बाहर निकलती है.

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