ETV Bharat / state

चैत्र नवरात्रि 2023 नवमी आज, मां सिद्धिदात्री की होती हैं पूजा, कन्या भोज से मिलता है नवरात्र का फल - Ramnavmi puja date time and importance news

नवरात्र के नवमी तिथि यानि नौवां दिन माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन हवन और मां का स्वरूप मानते हुए कन्या पूजन का विशेष विधान है. नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी कष्ट स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं.

माता सिद्धिदात्री
माता सिद्धिदात्री
author img

By

Published : Mar 30, 2023, 6:51 AM IST

बीकानेर. मां सिद्धिदात्री की निश्चल भाव और पूरी एकाग्रता के साथ पूजा आराधना करने से मां प्रसन्न होकर सिद्धियां प्रदान करती है. ऐसा करने से मोक्ष के रास्ते के लिए खुलते हैं. इसलिए मां सिद्धिदात्री को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री को सफेद और लाल कमल के फूल अत्यंत ही प्रिय है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में कमल के फूल का प्रयोग अत्यंत ही उत्तम माना जाता है.

खीर मालपुआ का भोग

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी को नैवेद्य में खीर, मालपुआ और हलवे का भोग लगाना चाहिए. इससे परिवार में खुशहाली आती है. उन्होंने बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाले स्वरूप में कमल पर विराजमान हैं. जिनमें भुजाओं में मां गदा, कमल, शंख और सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं.

नौवीं शक्ति है मां सिद्धिदात्री

पंचांगकर्ता किराडू कहते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की नौंवी शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करने पर साधक को अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. साथ ही कहते हैं कि मां सिद्धिदात्री की गंधर्व किन्नर, नाग, यक्ष और मनुष्य पर कृपा हमेशा रहती है.

पढ़ें Ram Navami 2023 : रामनवमी पर आज 4 विशेष योग का संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

कन्या भोज का विशेष विधान

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना और तपस्या स्वयं भगवान भोलेनाथ ने भी की थी. भगवान शिव की तपस्या से देवी सिद्धिदात्री बहुत ही प्रसन्न हुई थी. इसी के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अर्द्धनारीश्वर का रूप प्रचलन में आया. उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक भगवती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना व अनुष्ठान के बाद नौवें दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराएं. दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराएं.

दांपत्य जीवन से तनाव दूर

दांपत्य जीवन से तनाव दूरसुबह स्नान के बाद गणपति की पूजा करें और मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें. इसके साथ ही उन्हें कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल आदि चढ़ाएं. उसके बाद 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख का आगमन होता है. पति-पत्नी के बीच चल रहा तनाव भी दूर होता है.

बीकानेर. मां सिद्धिदात्री की निश्चल भाव और पूरी एकाग्रता के साथ पूजा आराधना करने से मां प्रसन्न होकर सिद्धियां प्रदान करती है. ऐसा करने से मोक्ष के रास्ते के लिए खुलते हैं. इसलिए मां सिद्धिदात्री को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री को सफेद और लाल कमल के फूल अत्यंत ही प्रिय है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में कमल के फूल का प्रयोग अत्यंत ही उत्तम माना जाता है.

खीर मालपुआ का भोग

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी को नैवेद्य में खीर, मालपुआ और हलवे का भोग लगाना चाहिए. इससे परिवार में खुशहाली आती है. उन्होंने बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाले स्वरूप में कमल पर विराजमान हैं. जिनमें भुजाओं में मां गदा, कमल, शंख और सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं.

नौवीं शक्ति है मां सिद्धिदात्री

पंचांगकर्ता किराडू कहते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की नौंवी शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करने पर साधक को अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. साथ ही कहते हैं कि मां सिद्धिदात्री की गंधर्व किन्नर, नाग, यक्ष और मनुष्य पर कृपा हमेशा रहती है.

पढ़ें Ram Navami 2023 : रामनवमी पर आज 4 विशेष योग का संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

कन्या भोज का विशेष विधान

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना और तपस्या स्वयं भगवान भोलेनाथ ने भी की थी. भगवान शिव की तपस्या से देवी सिद्धिदात्री बहुत ही प्रसन्न हुई थी. इसी के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अर्द्धनारीश्वर का रूप प्रचलन में आया. उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक भगवती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना व अनुष्ठान के बाद नौवें दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराएं. दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराएं.

दांपत्य जीवन से तनाव दूर

दांपत्य जीवन से तनाव दूरसुबह स्नान के बाद गणपति की पूजा करें और मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें. इसके साथ ही उन्हें कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल आदि चढ़ाएं. उसके बाद 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख का आगमन होता है. पति-पत्नी के बीच चल रहा तनाव भी दूर होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.