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Budh Pradosh Vrat 2023: बुध प्रदोष आज, जानिए क्या है व्रत का महात्म्य, शिव आराधना ने बनेंगे बिगड़े काम - बुध प्रदोष क्या है और किसे कहते हैं

आज ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. आज के दिन को प्रदोष भी कहते हैं. प्रदोष तिथि में भगवान शिव की पूजा (Budh Pradosh Vrat Upay) होती है.

Budh Pradosh Vrat 2023
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Published : May 17, 2023, 8:22 AM IST

बीकानेर. ऐसे तो प्रदोष का व्रत साल में 24 बार आता है, लेकिन हिंदू पञ्चांग व मास के अनुसार ये व्रत दो बार ही आता है. प्रत्येक मास के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है और इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आज है, जो रात 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. त्रयोदशी के व्रत में शाम को सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व व 45 मिनट पश्चात कुल डेढ़ घंटे की अवधि को प्रदोष काल कहते हैं और इसी अवधि में प्रदोष की पूजा का महात्म्य है.

बुध प्रदोष व्रत महात्म्य - आज के दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है. वहीं, बुधवार को त्रयोदशी पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. बुध प्रदोष का शास्‍त्रों में विशेष महत्‍व बताया गया है. इस दिन शिव परिवार की पूजा करने के साथ बुध ग्रह से जुड़े उपाय करना शुभ फल देने वाला माना जाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की आराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है.

इसे भी पढ़ें - Budh Pradosh Vrat 2023: साल का पहला प्रदोष व्रत है खास, सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय

नियमों से करें व्रत - प्रदोष व्रत में बिना जल पिए व्रत रखना होता है, लेकिन यदि कोई निर्जला व्रत नहीं रख सकता तो सामान्य व्रत भी रख सकता है. सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं. शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें.

पूजा की सारी तैयारी करने के बाद आप उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं. ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं. फिर शिव चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें. शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें रात्रि में जागरण करें. पूजा के अंत में भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त कर उनसे क्षमा प्रार्थना कर लें. फिर प्रसाद वितरण करें. व्रत में दान करने का महत्व होता है, इसलिए गरीब को दान की वस्तुएं निकाल भेंट करें.

बीकानेर. ऐसे तो प्रदोष का व्रत साल में 24 बार आता है, लेकिन हिंदू पञ्चांग व मास के अनुसार ये व्रत दो बार ही आता है. प्रत्येक मास के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है और इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आज है, जो रात 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. त्रयोदशी के व्रत में शाम को सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व व 45 मिनट पश्चात कुल डेढ़ घंटे की अवधि को प्रदोष काल कहते हैं और इसी अवधि में प्रदोष की पूजा का महात्म्य है.

बुध प्रदोष व्रत महात्म्य - आज के दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है. वहीं, बुधवार को त्रयोदशी पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. बुध प्रदोष का शास्‍त्रों में विशेष महत्‍व बताया गया है. इस दिन शिव परिवार की पूजा करने के साथ बुध ग्रह से जुड़े उपाय करना शुभ फल देने वाला माना जाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की आराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है.

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पूजा की सारी तैयारी करने के बाद आप उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं. ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं. फिर शिव चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें. शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें रात्रि में जागरण करें. पूजा के अंत में भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त कर उनसे क्षमा प्रार्थना कर लें. फिर प्रसाद वितरण करें. व्रत में दान करने का महत्व होता है, इसलिए गरीब को दान की वस्तुएं निकाल भेंट करें.

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