बीकानेर. सनातन धर्म शास्त्र में ग्रहण को दो रूपों में परिभाषित किया गया है. जिसमें एक चंद्रग्रहण और दूसरा सूर्य ग्रहण होता है. अमावस्या के दिन होने वाले ग्रहण को सूर्य ग्रहण और पूर्णिमा के दिन होने वाले ग्रहण को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. साल 2023 में पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023, गुरुवार को और दूसरा 14 अक्टूबर 2023, शनिवार को होगा.
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पांच घंटे से ज्यादा समय तक रहेगा ग्रहणः साल 2023 का पहला ग्रहण वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने वाला है. साल के इस पहले ग्रहण की शुरुआत 20 अप्रैल, 2023 को सुबह 7 बजकर 04 मिनट से होगी. यह सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म हो जाएगा. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि ग्रहण में पूजा पाठ करना चाहिए और ग्रहण के बाद अपनी यथा सामर्थ्य के अनुसार खाद्यान्न का दान करना चाहिए. इसके साथ ही रोग से मुक्ति और शारीरिक कष्ट झेल रहे लोगों को घी का दान करना चाहिए.
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हवन के साथ करें मंत्र जापः पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि यह ग्रहण भारत में अदृश्य (दिखाई न देने वाले ) खग्रास सूर्यग्रहण है. यह विश्व के अनेक भागों में खग्रासरूप में दिखाई देगा. इस ग्रहण की यह आकृति दक्षिण-पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक सागर और अंटार्कटिका आदि के काफी भागों में दृष्टिगोचर होगी. फ्रांस, इंडोनेशिया, फिलीपींस, गाईना, प्लाऊ, सोलोमन आईलैंड, गॉम, माइक्रोनेशिया, टुवालु, मरिआना आईजलैंड. नौरु आदि देशों/क्षेत्रों में इस सूर्यग्रहण की यह 'खग्रास आकृति' दिखाई देगी. उन्होंने बताया कि भारत में कहीं भी यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा. ग्रहण का सूतक 19 अप्रैल को शाम 07:04 से शुरू होगा. उन्होंने बताया कि ग्रहण के सूतक काल में नित्य कर्म में पूजा पाठ करने वाले लोग बिना किसी चिंता के पूजा पाठ कर सकते हैं. इस दौरान हवन, पाठ, पूजा नित्यक्रम करने पर ग्रहण दौरान कोई रोक-टोक शास्त्रों में नहीं है और बल्कि इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव कम होते हैं. इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए.