भीलवाड़ा. विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की अवधारणा के 50 वर्ष पूरे हो गए लेकिन आज भी प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्तमान में ओजोन परत कमजोर होने, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ताप वृद्धि, औद्योगिक प्रदूषण सहित कई तरह के प्रदूषण हो रहे हैं. इन प्रदूषण को रोकने के लिए " थिंक ग्लोबली- एक्ट लोकली" के सूत्र के अनुसार लोगों में चेतना जागृत कर अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए. इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम वन और अर्थ है. यानी वसुदेव कुटुंबकम से मिलती जुलती है. लोग प्रकृति को मां मानकर इसके साथ व्यवहार करेंगे तो सारी समस्या से निजात पा सकते हैं.
देश में प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. विश्व पर्यावरण दिवस के दिन सरकार व प्रशासन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह की रैली, समीक्षा , पौधारोपण व प्रतियोगिता का आयोजन कर मोटिवेट करते हैं. वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में भी लगातार प्रदूषण बढता जा रहा है.
देश में पर्यावरण की स्थिति को लेकर ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा की माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटीया ने ईटीवी से खास बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान में देश में प्रदूषण की दर बढ़ रही है. विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर पहली संकल्पना व अवधारणा 1972 में की गई. पहला विश्व पर्यावरण दिवस 1974 में मनाया गया. वर्तमान मे विश्व पर्यावरण दिवस की संकल्पना को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. 1970 से अब तक देखते हैं तो हमारी आबादी भी दुगुनी हो गई है. इसके कारण कार्बन उत्सर्जन भी दुगुना हो गया है. जिसके कारण वर्तमान में कहीं तरह की प्रमुख पर्यावरण समस्या है.
प्रमुख पर्यावरणी समस्या: जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत क्षरण, वैश्विक ताप वृद्धि, औद्योगिक प्रदूषण , जिसमें वायु, जल, मृदा, नाभिकीय, सौर (ध्वनि) इन सभी प्रदूषण के साथ साथ जैव विविधता में भी निरंतर क्षति होती जा रही है.
उन्होंने कहा कि इन सभी प्रदूषणों के कारण वन्यजीवों में 70 प्रतिशत की कमी आई है. यह समस्या ग्लोबल है. " थिंक ग्लोबली- एक्ट लोकली" सूत्र के अनुसार अधिकाधिक वृक्षारोपण करें जिससे पर्यावरण में सुधार होगा. साथ ही हमारे जनमानस में भी चेतना लेकर आए तो समस्या से निजात पा सकते हैं. इस बार पर्यावरण दिवस की थीम वन अर्थ है यानी भारतीय अवधारणा वसुदेव कुटुंबकम से मिलती जुलती है. हम प्रकृति के साथ विजय की धारणा के बजाय प्रकृति के साथ प्रकृति को मां मानकर इसके साथ ही व्यवहार करेंगे तो इसी तरह की सभी समस्या से निजात पा सकते हैं.
किससे प्रदूषण ज्यादा बढ़ रहा है इस सवाल को लेकर वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ जागेटिया ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण हमारे देश में प्रमुख समस्या है. जैवविविधता की दृष्टि से भारत मेधा डायवरस्टीक कंट्री में स्थान आता है. उद्योगों से भी बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा है. उद्योगों से कार्बन उत्सर्जन व जो गैस निकल रही है. उनसे भी पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है.
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वस्त्र नगरी के उद्योग से किस तरह पर्यावरण प्रदूषण होता है के सवाल पर डॉ जागेटिया ने कहा कि भीलवाड़ा वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात है. जिसमें अनेक प्रोसेस हाउस स्थित है. इन प्रोसेस हाउस से प्रदुषित जल व कुछ गैस निकलती है. यह नाइट्रोजन व सल्फर के आक्साइड है. जो बारिश के साथ जमीन पर आते हैं. तब अम्लीय वर्षा के रूप में यहां की मृदा में मिल जाते हैं. जिससे मर्दा खराब हो जाती है. इन औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए जीरो डिग्री डिस्चार्ज पर पानी छोड़ना चाहिए. पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जनमानस में चेतना लानी होगी. तब ही पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक होंगे. साथ ही हमारे सरकारी स्तर पर सख्त कानून बनाने की जरूरत है. अगर सरकार सख्त कानून बनाएगी तो पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति पा सकते हैं. अब देखना यह होगा कि पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे करते हैं. लेकिन जिस तरह पर्यावरण प्रदूषण फैल रहा है. उससे निजात के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाती हैं या नहीं.