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भीलवाड़ा का ये स्कूल बना देश के लिए मॉडल, यहां अनोखे अंदाज में होती है पढ़ाई, बर्थडे पर मिलता है खास तोहफा

आज हम भीलवाड़ा के एक ऐसा मॉडल स्कूल (Vivekananda Model School of Bhilwara ) की बात करेंगे, जहां कचरा निपटान और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने को स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर छात्र नित्य नवाचार की दिशा में अग्रसर हैं. साथ ही स्कूल में छात्रों के जन्मदिन पर उन्हें बतौर उपहार एक पौधा भेंट किया जाता है.

Vivekananda Model School of Bhilwara
Vivekananda Model School of Bhilwara
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Published : Dec 20, 2022, 4:49 PM IST

भीलवाड़ा का विवेकानंद मॉडल स्कूल

भीलवाड़ा. जिले के बनेड़ा कस्बे का विवेकानंद मॉडल स्कूल (Unique Model School of Bhilwara) वास्तव में देशभर में मॉडल बना हुआ है. यहां बच्चों में स्वच्छता व शैक्षणिक अभिवृत्ति जागृत करने को काफी नवाचार किए गए हैं. स्कूल परिसर में बच्चों के पढ़ने व चित्र के जरिए ज्ञान अर्जित करने के लिए दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए गए हैं. साथ ही परिसर में सुदृढ़ जल प्रबंधन के लिए संस्था प्रधान को 'नेशनल वाटर हीरो' पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इन सब के इतर स्कूली छात्रों के जन्मदिन पर उन्हें बतौर उपहार एक पौधा दिया जाता है. इस स्कूल की सबसे खास बात यह है कि यहां प्रबंधन और छात्र मिलकर वैज्ञानिक तरीके से जल संरक्षण व स्वच्छता की दिशा में एक के बाद एक नवाचार कर रहे हैं.

स्कूल में छोटे-छोटे प्लास्टिक और कागज के टुकड़े को बोतल में एकत्रित कर उससे इको फ्रेंडली पैड बनाए जाते हैं. इसके अलावा अध्ययनरत बच्चों के मानसिक विकास के लिए स्कूल की (Big work of students on water conservation) दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए गए हैं, ताकि बच्चे पुस्तकीय ज्ञान के साथ ही दृश्यों को देख ज्ञान अर्जित कर सके. स्कूल के छात्र दक्ष पारीक ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हम पानी की खाली बोतलों का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोग पानी पीने के बाद बोतल को सड़क पर फेंक देते हैं. ऐसे में हमारे जहन में आया कि अगर यूं ही बोतल फेंके जाते रहे तो भविष्य में खाली बोतलों का अंबार लग जाएगा.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान ऐसा पहला राज्य जहां सरकारी स्कूलों में लगेंगी प्री प्राइमरी क्लास, लॉटरी सिस्टम से एडमिशन

यही कारण है कि इस दिशा में हमने नवाचार को अपना और स्कूल परिसर के बाहर व आपसास की सड़कों पर फेंकी खाली बोतलों को एकत्र कर उसमें प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों को डालना (Education done through mural painting) शुरू किया. जिसे बाद में पेड़ के चारों ओर लगाकर उसे सीमेंट से कवर करते हैं. ताकि वहां वृक्ष लगा सके. ऐसा करने से वहां इको फ्रेंडली वृक्ष तैयार होते हैं. जिससे पौधे का भी बचाव संभव होता है.

दक्ष ने कहा कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. उस समय उन्होंने देश को कचरा व प्लास्टिक मुक्त करने का संकल्प लिया था. साथ ही स्वयं पीएम ने अपने हाथों से कचरा उठाया था. जिससे प्रेरित होकर हम भी बेझिझक कचरा उठाते हैं और उसके निपटान की दिशा में काम करते हैं. इस काम को करने में हमें कभी शर्म नहीं आती, क्योंकि हम इस कार्य को दिल से करते हैं. ताकि हमारी आबो हवा स्वच्छ बनी रहे.

इधर, स्कूल की संस्था प्रधान डॉ. कल्पना शर्मा ने बताया कि हम बच्चों को नवाचार के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं. साथ ही उन्हें किताबों के इतर भित्ति चित्र के जरिए शिक्षित करने की कोशिश करते हैं. कल्पना ने आगे बताया कि भित्ति चित्रों में समस्यामूलक विषयों पर अधिक फोकस किया जाता है. ताकि बच्चों को उनसे अवगत कराया जा सके और समाधान की दिशा में एक साथ हम आगे बढ़ सके. उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए हमने स्कूल के बाहर भी जागरूकता अभियान चलाए हैं और लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया. जिले के बनेड़ा कस्बा क्षेत्र के मानसरोवर, राम सागर और खारिया कुंड जैसी ऐतिहासिक विरासत को हमने जनभागीदारी से प्रदूषण मुक्त किया. जिसके लिए उन्हें जल संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 'नेशनल वाटर हीरो' पुरस्कार प्रदान किया गया.

वहीं, विज्ञान की शिक्षा के लिए भित्ति चित्रों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कल्पना ने कहा कि कोरोना काल के दौरान इसकी शुरुआत हुई. तब ऑनलाइन क्लास के बाद शेष बचे समय में हम स्कूल की दीवारों पर चित्र बनाया करते थे. ताकि भित्ति चित्रों के जरिए भी छात्र सीख सके. चित्रों के विषय वस्तु पर उन्होंने कहा कि हम जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन ,बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, चलो स्कूल चले के साथ ही अन्य जरूरी सब्जेक्ट्स पर फोकस करते थे.

भीलवाड़ा का विवेकानंद मॉडल स्कूल

भीलवाड़ा. जिले के बनेड़ा कस्बे का विवेकानंद मॉडल स्कूल (Unique Model School of Bhilwara) वास्तव में देशभर में मॉडल बना हुआ है. यहां बच्चों में स्वच्छता व शैक्षणिक अभिवृत्ति जागृत करने को काफी नवाचार किए गए हैं. स्कूल परिसर में बच्चों के पढ़ने व चित्र के जरिए ज्ञान अर्जित करने के लिए दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए गए हैं. साथ ही परिसर में सुदृढ़ जल प्रबंधन के लिए संस्था प्रधान को 'नेशनल वाटर हीरो' पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इन सब के इतर स्कूली छात्रों के जन्मदिन पर उन्हें बतौर उपहार एक पौधा दिया जाता है. इस स्कूल की सबसे खास बात यह है कि यहां प्रबंधन और छात्र मिलकर वैज्ञानिक तरीके से जल संरक्षण व स्वच्छता की दिशा में एक के बाद एक नवाचार कर रहे हैं.

स्कूल में छोटे-छोटे प्लास्टिक और कागज के टुकड़े को बोतल में एकत्रित कर उससे इको फ्रेंडली पैड बनाए जाते हैं. इसके अलावा अध्ययनरत बच्चों के मानसिक विकास के लिए स्कूल की (Big work of students on water conservation) दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए गए हैं, ताकि बच्चे पुस्तकीय ज्ञान के साथ ही दृश्यों को देख ज्ञान अर्जित कर सके. स्कूल के छात्र दक्ष पारीक ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हम पानी की खाली बोतलों का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोग पानी पीने के बाद बोतल को सड़क पर फेंक देते हैं. ऐसे में हमारे जहन में आया कि अगर यूं ही बोतल फेंके जाते रहे तो भविष्य में खाली बोतलों का अंबार लग जाएगा.

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यही कारण है कि इस दिशा में हमने नवाचार को अपना और स्कूल परिसर के बाहर व आपसास की सड़कों पर फेंकी खाली बोतलों को एकत्र कर उसमें प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों को डालना (Education done through mural painting) शुरू किया. जिसे बाद में पेड़ के चारों ओर लगाकर उसे सीमेंट से कवर करते हैं. ताकि वहां वृक्ष लगा सके. ऐसा करने से वहां इको फ्रेंडली वृक्ष तैयार होते हैं. जिससे पौधे का भी बचाव संभव होता है.

दक्ष ने कहा कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. उस समय उन्होंने देश को कचरा व प्लास्टिक मुक्त करने का संकल्प लिया था. साथ ही स्वयं पीएम ने अपने हाथों से कचरा उठाया था. जिससे प्रेरित होकर हम भी बेझिझक कचरा उठाते हैं और उसके निपटान की दिशा में काम करते हैं. इस काम को करने में हमें कभी शर्म नहीं आती, क्योंकि हम इस कार्य को दिल से करते हैं. ताकि हमारी आबो हवा स्वच्छ बनी रहे.

इधर, स्कूल की संस्था प्रधान डॉ. कल्पना शर्मा ने बताया कि हम बच्चों को नवाचार के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं. साथ ही उन्हें किताबों के इतर भित्ति चित्र के जरिए शिक्षित करने की कोशिश करते हैं. कल्पना ने आगे बताया कि भित्ति चित्रों में समस्यामूलक विषयों पर अधिक फोकस किया जाता है. ताकि बच्चों को उनसे अवगत कराया जा सके और समाधान की दिशा में एक साथ हम आगे बढ़ सके. उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए हमने स्कूल के बाहर भी जागरूकता अभियान चलाए हैं और लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया. जिले के बनेड़ा कस्बा क्षेत्र के मानसरोवर, राम सागर और खारिया कुंड जैसी ऐतिहासिक विरासत को हमने जनभागीदारी से प्रदूषण मुक्त किया. जिसके लिए उन्हें जल संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 'नेशनल वाटर हीरो' पुरस्कार प्रदान किया गया.

वहीं, विज्ञान की शिक्षा के लिए भित्ति चित्रों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कल्पना ने कहा कि कोरोना काल के दौरान इसकी शुरुआत हुई. तब ऑनलाइन क्लास के बाद शेष बचे समय में हम स्कूल की दीवारों पर चित्र बनाया करते थे. ताकि भित्ति चित्रों के जरिए भी छात्र सीख सके. चित्रों के विषय वस्तु पर उन्होंने कहा कि हम जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन ,बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, चलो स्कूल चले के साथ ही अन्य जरूरी सब्जेक्ट्स पर फोकस करते थे.

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